“अरे , सुनती हो ….” कमल जी ने अपनी पत्नी को आवाज लगाई ।
आवाज सुनते ही गैस बंद करके फटाफट अंकिता जी कमल जी के सामने खड़ी थीं ,” हां जी बोलिए, कुछ चाहिए था आपको ??”
“अरे नहीं , सब कुछ तो बिना बोले ही ला देती हो। मैं तो कह रहा था कुछ देर मेरे पास भी बैठ जाओ ।”
” हां हां , बैठूंगी, बस आपके लिए छेना फाड़ दूं । चाय के साथ थोड़ा खा लेना ।”
” भाग्यवान, कितना खिलाओगी मुझे । घिसे हुए कपड़े को कितना भी सील लो , वो ज्यादा नहीं चलने वाला ।” कहकर कमल जी खिखिया कर हंस दिए ।
“आप चुप करिये , खुद तो स्वस्थ होने की कोशिश करते नहीं हैं ऊपर से मैं कुछ करती हूं तो मेरा भी मजाक बनाते रहते हैं । आप घिस गए हैं तो मैं कौन सा अभी अभी फैक्ट्री से निकलकर आई हूं ।” स्नेह में लिपटे हुए शब्दों के साथ ही अंकिता जी कमल जी को डांट रही थी।
कमल जी साठ साल पार कर चुके थे और अंकिता जी भी साठी की कगार पर खड़ी थीं। एक बेटी थी जिसकी शादी करके वो अब बस एक दूसरे के साथ जी रहे थे। बेटी शादी के बाद विदेश में बस गई थी। कई कई सालों में मिलना होता था। सब कुछ ठीक था कि एक दिन अचानक ही कमल जी को माइनर हार्ट अटेक आ गया। अंकिता जी बहुत घबरा गई थीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। समय पर इलाज और देखभाल से कमल जी रिकवर कर रहे थे।
इस कहानी को भी पढ़ें:
गृहलक्ष्मी की लक्ष्मीपूजा – किरण केशरे : Moral Stories in Hindi
इस झटके ने दोनों के मन में एक डर बैठा दिया था लेकिन दोनों हीं एक दूसरे को अपनी कमजोरी दिखाना नहीं चाहते थे। इसलिए माहौल को हल्का रखने का भरसक प्रयास करते रहते थे ।
पत्नी की इस मीठी झिड़की से कमल जी के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई, ” अच्छा बाबा कुछ नहीं बोलूंगा, लेकिन थोड़ी देर तो यहां बैठो कुछ बात करनी है”
अंकिता जी वहीं पड़ी कुर्सी सरकाकर कमल जी के पास बैठ गई ।
कमल जी ने हाथ में ली हुई फ़ाइल खोलते हुए कहा ,
” देखो, ये कुछ इंसोरेंस पाॅलिसी हैं जो मैंने मेरे और तुम्हारे नाम से ली थीं, इन सबको समझ लो और अपने हाथों से उठाकर रख लो और ये देखो ये इस घर के कागज हैं. और हां… गांव में भी जो मां बाऊ जी का मकान था उसके आधे हिस्से के कागज भी इसी फ़ाइल में हैं ….. जरूरत पड़ने पर हमारे वकील से बात कर लेना वो सब समझा देगा.”
कमल जी बोले जा रहे थे और अंकिता जी उनका मुंह ताक रही थीं ,” बस हो गया या और कुछ बाकी है …. एक बात याद रखिए इतनी जल्दी मैं आपका पीछा छोड़ने वाली नहीं हूं।” अंकिता जी ऊपर से तो हंस रही थीं लेकिन वो कमल जी की मनसा को समझकर भावुक भी हो उठी थीं ।
कमल जी ने अंकिता जी के हाथों को अपने हाथ में लिया और बोलने लगे ,” पीछा तो मैं भी तुम्हारा नहीं छोड़ना चाहता… लेकिन वक्त का क्या भरोसा अंकिता । अब हमने कोई अमृत तो पी नहीं रखा जो जब तक चाहा तब तक जीते रहेंगे। बस हमें हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मुझे तो बस तुम्हारी चिंता है। तुम बस मुझसे वादा करो कि कभी हिम्मत नहीं हारोगी।”
कमल जी की बातें सुनकर अंकिता जी एक पल को तो रो पड़ी थीं लेकिन खुद पर काबू रखकर बोलीं , ” ठीक है , मैं वादा करती हूं मैं हिम्मत नहीं हारूंगी। लेकिन आज से आपको भी ट्रेनिंग लेनी होगी।”
” ट्रेनिंग !!! किस चीज की ट्रेनिंग ??? ,,
इस कहानी को भी पढ़ें:
जहां सुमति तहां संपत्ति नाना…! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi
आश्चर्य से अंकिता जी का मुंह देखते हुए कमल जी पूछ बैठे। “आज से आपको घर के छोटे मोटे काम सीखने पड़ेंगे , चाय और दूध बनाना तो आपको आता है लेकिन , वाशिंग मशीन चलाना , दलिया खिचड़ी पकाना और अपने आप डालकर खाना सीखना होगा , और रसोई में कौन सा सामान कहां रखा है ये सब भी याद रखना होगा। पता नहीं कल को मुझे कुछ हो गया तो आपको भी तो ये सब आना चाहिए ना।”अंकिता जी मुंह फुलाते हुए बोलीं।
” अरे बाप रे!! कुछ कागजात संभालने के बदले तुमने तो मुझे ठग लिए भाग्यवान,” कहकर कमल जी ठहाका मारकर हंस पड़े ।
दोस्तों, जिस तरह जीवन परमात्मा की देन है वैसे हीं मृत्यु पर भी सिर्फ परमात्मा का ही अधिकार है। पता नहीं वक्त कौन सी करवट ले ले। पति पत्नी एक दूसरे के हमसफ़र होते हैं और ये सफर हंसी खुशी निकलता रहे बस यही परम सुख है।
#हमसफर
सविता गोयल
Hmm to let Gaye tere pyr me…tu mane ya na….
Absolutely