जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि होनहार राजू ने वेश्यावृत्ति में लगी आंटी के काले कारनामों का पर्दा फास करा दिया है … इधर उसके गांव में उसके बाबा को सांप ने काटा है … सर जी ने राजू को बाबा को देखने के लिए गांव भेज दिया है …. इधर राजू के गांव में खबर चल रही है कि राजू के बाबा को विषबेल है …. राजू गांव के चौराहे पर पहुँच चुका है …. निम्मी राजू के लिए सज संवर रही है ….
अब आगे….
राजू को ,,राकेश,,चौराहे पर,,बाइक से लेने आया है …..
ए रे राकेश…..ताऊ,,,कब से तुझे बाइक दे दिये …..
काहे राजू मजे ले रहा….. वो तो तेरे बाबा को करिया ने काटा है इसलिये तू जल्दी घर पहुँच जायें …. दे दिये फटफटिया ….
अब जल्दी कर …..
बैठ जा पीछे……. सब तेरी ही राह देख रहे….
राकेश बोला…..
क्यूँ शंभू बाबा ने करिया को ना बुलाया का अभी तक ….जहर तो चूस लिया करिया ने य़ा अभी नहीं…. बता रे ….
अब तक का ज़िन्दा बचते तेरे बाबा अगर तेरे आने की राह देखते तो…. वो तो कर दिया सब शंभू बाबा ने….
राकेश गाड़ी चलाते हुए बोला……
फिर तो ठीक होंगे बाबा अब ??
ए रे राकेश बता ….
होश ना आया अभी तेरे बाबा को… य़ाई लिए सब चिंता में है …… ऊपर से तेरे बाबा को विषबेल है ये भी बतायी शंभू बाबा ने….
वहीं उन्होने अपने गुरु को दूर से थाली बजाने और मंत्र फूंकने के लिए बुलाया है ….
राकेश बोलता जा रहा है ….
अच्छा…. हां ये तो बतायी थी शंभू बाबा ने कि तेरे बाबा को विष बेल है पर किसी ने ध्यान ना दिया…..
तुझे पता है रे राजू…. पूरे गांव में किसी के यहां चूल्हा न जला आज… पूरा गांव और पास के गांव खुरीली,,के लोग भी सब तेरे घर में बैठे है …. तेरे घर में पैर रखने की जगह भी ना बची… तेरी अम्मा चाय पत्ता ही पिला रही तबसे सबको….
राकेश बोला….
अच्छा… अब घर जल्दी पहुँच अब…..
रास्ते में निम्मी का घर पड़ा तो राकेश ने अपने आप ही गाड़ी रोक दी….
राजू मुस्कुरा दिया राकेश की इस हरकत पर ….
राजू झट से गाड़ी से उतरा ….
जोर से चिल्लाया….
निम्मी ओ री निम्मी … कहां है बाहर आ….
निम्मी झट से राजू की आवाज पहचान दुपट्टा लिए बाहर आयी….
आ गया रे तू राजू…. तू यहां क्यूँ रुका….
जा बाबा को देख पहले … तेरे ही इंतजार में सांसे गिन रहे….
निम्मी राजू के चेहरे की ओर घूरती हुई बोली….
कुछ ना हो रहा मेरे बाबा को… अभी मुझे कलेक्टर बनते हुए देखेंगे…. समझी …..
ए री निम्मी …. तू अंधेरे में दीख ना रही..
ज़रा पास तो आना गाड़ी के….
राजू बोला….
निम्मी अपना नया सूट लहराते हुए आगे आयी….
राकेश ज़रा लाईट तो जला गाड़ी की….
राकेश ने गाड़ी की लाईट जलायी ….
निम्मी ने तेज रोशनी में अपनी आँखों पर हाथ रख लिया …..
राजू अपना पेट पकड़के जोर से हंसने लगा…
उसकी हंसी चारों तरफ गूंज रही थी….
राकेश की भी हंसी छूट गयी….
तू हंस क्यूँ रहा है राजू …. कैसी सुन्दर तो लग रही हूँ मैं ….
निम्मी गुस्से में पास में पड़ी लाठी उठाते हुए बोली…..
क्या बन गयी है तू ….. ये आँखों में भूत जैसा काजल , माथे पर अम्मा जैसी टिकुली (बिन्दी )….. होंठों पर पान के रंग जैसी वो का कहते है रे राकेश….
राजू वो लिपिटौनी …..
हां वहीं …. हाथों में चाची की बड़ी बड़ी चूड़ी ……कानों में बड़े बड़े झुमके,, गले में ये माला सी पहन ली है तूने निम्मी ….
तू कहीं सरकस में जा रही…. पूरी जोकर लग रही….
राजू की हंसी अभी भी ना रुक रही….
अब तू और ये तेरा सखा ना बचेगा मेरे हाथ से ….
तुझे मैं जोकर लग रही….
ब्याह के बाद तो ऐसे ही सजा करूँगी ना रे राजू …
निम्मी की आँखों में आंसू आ गए है … उसे बेइज्जती सी लग रही थी….
अगर तू ब्याह के बाद ऐसे सजेगी ना निम्मी तो ब्याह करना ही मत री तू … करना तो मुझे ना बुलाना…
हंस हंसकर पेट फूल जायेगा मेरा….
राजू बोला….
तो मैं तुझे इतनी बुरी लग रही रे राजू….
निम्मी सुबक रही थी….
उसने अपना काजल बिगाड़ दिया…
चूड़ी उतार दी… गले में पहनी माला सब गुस्से में उतारने लगी निम्मी ….
राजू ने झट से निम्मी का हाथ पकड़ उसे अपने पास लिया ….
ये क्या कर रहा है राजू….
सुन निम्मी तू जैसी है वो का कहते है सादी सिंपल ,,, मुझे वैसी ही अच्छी लगे है मेरी निम्मी ….
बिल्कुल मासूम सी बच्ची जैसी…..
रो मत रे निम्मी ….. तुझे पता है मैं तुझे रोता हुआ कभी नहीं देख सकता….
राजू प्यार से निम्मी के काजल से काले पड़े चेहरे को निहारते हुए बोला….
अच्छा फिर ठीक है राजू…. ऐसे नहीं सजूँगी अब….. अम्मा को देख के तैयार हो गयी….
अच्छा अब तू जा…..
निम्मी अपने आंसू पोंछती हुई बोली….
तू अब रोयेगी तो नहीं…..
नहीं रे राजू….
कसम खा मेरी….
ले तेरी कसम…. बस….
अच्छा जा अब….
तू ना चल रही राजू के बाबा को देखने निम्मी ….
राकेश बोला….
हां अभी पता चला मुझे….
तुम लोग पहुँचो … मैं आ रही….
निम्मी बोली….
तो बैठ जा ना हमारे साथ गाड़ी पर …. पैदल जायेगी इतने अंधेरे में….
राजू निम्मी को बैठने का इशारा करते हुए बोला….
नहीं रे राजू… मैं आ जाऊंगी….
क्यूँ स्कूल ज़ाती थी तो तुरंत बैठ ज़ाती थी मेरी सायकिल पे…
अब क्या हुआ तुझे….
राजू पूछता है ….
तू सवाल बहुत पूछे है राजू….. कुछ समझा भी कर ….
अब हम बच्चे ना रहे… सयाने हो गए है … किसी ने देखा ना गांव में तो अम्मा सूत देंगी…. मैं आ जाऊंगी बापू के साथ …. तू जा….
ठीक है सयानी निम्मी …… मैं जा रहा… आ जाना तू …. पर अकेले ना आना… समझी ….
राजू बोला…
ठीक है रे राजू….
राजू और राकेश घर आ गए है …..
थाली बजाने वाले बाबा और उनके चेले भी राजू के घर पहुँच चुके है ….
राजू अपने घर ज़मी जनता की भीड़ देखकर आश्चर्य में रह जाता है …. वो जगह बनाते हुए बाबा की खाट के पास पहुँच गया है ….
आगे की कहानी कल….. तब तक के लिए एकादशी पर राधा रानी का नाम ले लिया जायें ….
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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -18) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi
राधे राधे
मीनाक्षी सिंह की कलम से
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