राशि और निकुंज की यूँ तो अरेंज मैरिज हुई थी पर जो भी उन्हें देखता बरबस ही कह उठता आपकी लव मैरिज है क्या….. दोनों के बीच तालमेल इतना अच्छा था कि सब उनकी जोड़ी की अक्सर तारीफ़ करते रहते थे…. वक़्त के साथ साथ प्यार भी दिन ब दिन गहरा और गहरा होता जा रहा था….
जवान होते बच्चे भी अपने मम्मी पापा को छेड़ते हुए कहते रहते,“ आप दोनों के बीच इतना प्यार है कि देख कर लगता ही नहीं शादी के इतने साल हो गए है… अभी भी आप दोनों नए जोड़ों को मात दे देते हो।”
ये सब सुनकर राशि शरमा जाती और निकुंज राशि को छेड़ने से बाज नहीं आते ।
उम्र के इस दौर में हारी बीमारी जब तब गाहे-बगाहे दस्तक देती रहती थी…. राशि जब भी बीमार होती वो दवा लेने से अक्सर परहेज़ करती थी ।
बहुत ज़्यादा ज़रूरत हो तभी दवा लेती थी।
अपनी तकलीफ़ छिपा कर जीना हर औरत का हुनर होता है और राशि भी अक्सर यही करती थी ।
निकुंज की जॉब ऐसी थी कि उन्हें जब तब बाहर टूर पर ही रहना पड़ता था ।
उसके चले जाने से राशि उदास हो जाया करती थी।
एक बार निकुंज दूसरे शहर गए हुए थे….राशि को बहुत तेज बुख़ार हो गया…. बच्चे अपनी तरफ़ से माँ का पूरा ध्यान रख रहे थे…. समय मिलते ही निकुंज भी फोन पर राशि का हाल चाल पूछ रहे थे पर राशि का बुख़ार दवा से भी नहीं जा रहा था….. राशि बेहोशी की हालत में बस निकुंज का नाम ले रही थी…. बच्चे हार कर पापा से जल्दी आने को बोलने लगे ।
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“ राशि तुम ऐसे करोगी तो कैसे काम चलेगा…. परसो आ जाऊँगा प्लीज़ तुम ख़ुद को सँभालो…. देखो बच्चे भी घबरा रहे हैं…. तुम तो मेरी बहादुर पत्नी हो ना…. ऐसे वक़्त पर कमजोर मत पड़ो… तुम कुछ खा भी नहीं रही हो… मेरी ख़ातिर खा लो।” निकुंज गिड़गिड़ाते हुए राशि से बोला
बच्चे विडियो कॉल पर पापा के सामने राशि के लिए खाना और दवाई लेकर खड़े थे पर राशि एक ही रट लगाए रखी थी बस आप कल आ जाओ।
हार कर निकुंज को एक दिन पहले किसी तरह आने की परमिशन मिल गई और वो राशि के पास पहुँच गए।
घर आकर निकुंज ने राशि के हाथ को अपने हाथों में लिया और राशि के तपते हाथों की गर्मी से निकुंज का भी पूरा बदन जलने लगा था ।
“ निकुंज आप जानते हैं मुझे डॉक्टर…. दवाई …. इन सब से ज़्यादा आपकी ज़रूरत होती है…. आप ही मेरे डॉक्टर हो और मेरी दवा भी…. पर इस बार मन किसी और बात से ज़्यादा घबरा रहा था पता नहीं किसी अनहोनी की आशंका से डर लग रहा था जैसे कुछ बुरा होने वाला हो…
बस यही व्याकुलता मुझे ठीक नहीं होने दे रही थी अब आप आ गए हैं ना देखना मैं जल्दी से ठीक हो जाऊँगी… हर बीमारी का इलाज सिर्फ़ दवा नहीं होती है उसे प्यार की ज़रूरत होती है तभी इंसान जल्दी ठीक हो पाता है।” राशि निकुंज के हाथ को कस कर पकड़ते हुए बोली
बच्चे अपने माता पिता के प्यार को देख कर यही सोच रहे थे… लोग सही कहते हैं जीवनसाथी के प्यार में बहुत ताकत होती है….तभी तो उसकी माँ पापा के आते ठीक होने लगी थी ।
दूसरे दिन निकुंज को खबर मिली की वो जिस शहर गया हुआ था उस तरफ आधी रात को भयंकर भूकंप आया था और वो बिल्डिंग जिसमें निकुंज रूका हुआ था क्षतिग्रस्त हो चुका था….. निकुंज का यूँ अचानक आ जाना …. राशि के मन का भय सब कुछ उनके बीच के प्यार और विश्वास की वजह से ही था…… नहीं तो राशि बहुत बार बीमार पड़ी थी पर इस तरह निकुंज के लिए परेशान होकर उसे बुला लेना ये उसके प्यार की ही जीत थी … बीमारी शायद एक बहाना बन गया था ।
जब ये खबर राशि को मिली तो उसने निकुंज से कहा,“ देखा निकुंज … वैसे तो मैं अक्सर कहती रहती हूँ कि मेरी किसी भी बीमारी का इलाज बस तुम हो …. और देखो इस बार भी तुम मेरे पास आ गए और एक अनहोनी होने से रह गई नहीं तो…..!” दिल दहलाने वाली खबर का असर राशि के चेहरे पर साफ़ दिख रहा था
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“ मान गए माँ अपने जीवनसाथी के लिए तुम्हारा प्यार इस कदर था कि तुम जानबूझकर ठीक नहीं हो रही थी और आख़िर में उन्हें अपने पास बुला ही ली।” चुटकी लेते हुए बिटिया ने कहा
“ बेटा जीवनसाथी के प्यार में सच में बहुत ताकत होती है….. देखो तभी तो मैं खींचा चला आया और तुम्हारी माँ भी ठीक हो गई।” निकुंज राशि के हाथ पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला
कभी कभी प्यार करने वालों को एक अंदरूनी एहसास हो जाता है कि कुछ अनहोनी होने वाली है….ऐसे में अपने जीवनसाथी के लिए प्यार और बढ़ जाता है । ऐसा ही बेपनाह प्यार राशि और निकुंज के बीच बरपा हुआ है जिसके गवाह उसके अपने बच्चे बने हुए हैं ।
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रश्मि प्रकाश
#वाक्यकहानीप्रतियोगिता
# हर बीमारी का इलाज सिर्फ़ दवा नहीं होती
Nice Story
Bakwaas