बहू की समझदारी – अंजना ठाकुर  : Moral stories in hindi

जया सुबह से घर साफ करने मैं लगी थी अब बस खाना बनाना रह गया था ।आज उसकी सास शांति जी आ रही थी । जया के पति विराज ऑफिस से लेने जायेंगे ।

जया एक एक बात का ध्यान रख रही थी क्योंकि उस की सास की आदत थी हर काम मै कमी निकालना और दूसरी बहू की ज्यादा तारीफ करना

जया के ससुराल मैं जेठानी थी रूपा,जो सास ,ससुर के साथ ही रहती थी जेठ जी और ससुर अपना खुद का व्यवसाय करते है ,विराज की नौकरी है दूसरे शहर मैं तो जया कुछ महीने ससुराल मैं रुक कर विराज के पास आ गई ।

उसकी सास पहली बार गृहस्थी देखने आ रही थी

उसकी जेठानी ने कह दिया था सम्हल कर रहना

जया जानती थी उसकी जेठानी काफी परेशान हो चुकी थी इसलिए अब वो ध्यान ही नहीं देती थी।

जया ने खाना तैयार किया उसे लग रहा था सास को शिकायत का मौका नहीं दे क्योंकि वो उसके पास तो कम ही आएंगी।

विराज मां को ले कर आए घर मैं घुसते ही उन्होंने देखा घर एक दम साफ़ सुथरा है फिर भी आदत के अनुसार बोली रूपा कुछ ज्यादा ही सफाई करती है जबकि जया को पता था की जेठानी घर  गृहस्थी सम्हालने मैं ही पूरा दिन निकल जाता तो सफाई कम ही हो पाती थी सास को मेड रखना पसंद नहीं था और काम मै भी कम हाथ बंटाती थी ।

जया चुप रही बोली मांजी आप फ्रेश हो लो फिर खाना खाते है ।

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इतने दिनों बाद इतना स्वादिष्ट खाना खाया उनका मन प्रसन्न हो गया फिर भी बोली रूपा के हाथ मै स्वाद ज्यादा है ।

जया पल पल मांजी का ध्यान रख रही थी पैसे की कमी नही थी विराज ने कहा था मां पहली बार घर से निकली है उनको कमी महसूस नहीं हो जया को भी अच्छा लग रहा था कोई अपना घर आया है।

सुबह नाश्ते के साथ जया फल भी काट देती ।रात मैं भी बादाम वाला दूध तैयार करके देती शान्ती जी को बहुत अच्छा लग रहा था सोच रही थी दो -तीन महीने मैं आ ही जाया करूंगी इतनी सेवा हो रही है

मन ही मन खुश थी जया जैसी बहू पा कर पर कमी निकालने की आदत नहीं जा रही थी ।

जया भी परेशान हो गई थी लेकिन सोच रही थी कुछ ही दिनों की बात है ।

आज खाना खाने बैठे हुए थे आज शांति जी को पता था दही नहीं है बहू ने दाल ,दो सब्जी सब बनाया था मौका मिल गया था आज उन्हें ताना मारने का तभी शांती जी ने कहा , बहू थोड़ा दही ले

आ मुझे दही रोज खाने की आदत है ।

जया ने कहा मांजी दही खत्म हो गया है यहां आस पास मिलता नहीं है मैं ऑर्डर कर दूंगी तो आ जाएगा ।

तभी शांति जी बोली बस यही बात मुझे रूपा की अच्छी लगती है हर बात का ख्याल रखती है की मुझे क्या पसंद है मजाल एक दिन भी चूक हो जाए

अब जया को लगा इन्हें  समझाना  ही क्योंकि उसे सब पता था की जेठानी कैसे रखती है कई बार खाली सब्जी ही बनाती थी और वो उसी से खा लेती थी क्योंकि रूपा को पता था हमेशा उनके साथ ही रहना है तो वो बुराई सुनकर भी ज्यादा ध्यान नहीं देती थी ।

खाना खाने के बाद शांति जी कमरे मै आराम करने गई जया काम समेट कर मांजी के कमरे मै गई और उदास शक्ल बनाकर बोली माफ करना मांजी मैं आपका भाभी की तरह ध्यान नहीं रख पा रही मै अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही हूं ,मै अच्छी बहू नही हूं और मैं नही चाहती आपको ज्यादा तकलीफ हो इसलिए मैने विराज को बोल दिया की आपका टिकट करवा दे ।

और अब हम ही वहां मिलने आ जाया करेंगे फालतू आपको तकलीफ होती है ।

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अब शांती जी को काटो तो खून नहीं उनकी चाल तो उल्टी पड़ गई वो तो मजे कर रही थी अब क्या बोले पासा पलटते देख बोली अरे बहू तू चिंता मत कर सीख जाएगी मैं हूं ना मै तुझे सिखाऊंगी और बीच बीच मै आती रहूंगी ।तू विराज को टिकट की मना कर दे ।

दूसरे दिन से सास ने टोकना छोड़ दिया जया मन ही मन खुश थी की सास की आदत बदल गई इस बात से रूपा भी खुश थी बोली मान गए जया तुम्हारी समझदारी को।अपनी बात भी कह दी और मांजी को बुरा भी नहीं लगा।

#बेटियां 6 जन्मोत्सव

स्वरचित

अंजना ठाकुर 

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