उपरी तल्ले में जोर-जोर से सामान पटकने… राहुल के चीखने और मीनू की सिसकियों की आवाज़ आ रही थी।
नीचे रमा का हृदय व्यथित हो गया। इसी उठा-पटक तेज मिजाज बदजुबानी के कारण आपस में बोल-चाल बंद थी।
लेकिन सहृदय रमा का दिल हाहाकार कर बैठा, “जो भी हो हैं… देवर देवरानी ही न… बिना गार्जियन शीप के मेह के दौनी ऐसा निरंकुश हो गये हैं।”
मार-पीट …रोना-धोना जब अधिक होने लगा, पास-पडोसी ताक-झांक करने लगे तब रमा से रहा न गया। आखिर वह है घर की बड़ी ही न… धमधमाती ऊपर जा पहुंची।
देवरानी मीनू जो कभी लड़-झगड़कर झूठे शिकायतों के बल पर इनसे अलग होकर… पृथक गृहस्थी बसाई थी… जेठानी को देखते ही दौड़कर लिपट गई, “दीदी बचा लो, यह जल्लाद मुझे मार डालेगा। “
मातृतुल्य मां समान भाभी को सामने देख राहुल के हाथ रुक गये।
“यह क्या हो रहा है राहुल… तुमने यह कहाँ से सीखा… पत्नी पर हाथ उठाना, कुछ गलती हुई हो तो डांट देते… समझाते”रमा ने हस्तक्षेप किया।
“पूरा मुहल्ला मजा ले रहा है… तुम्हारे भैया सुनेगे तो कितने दुखी होंगे… तुमने कभी विचार किया है। “
“इसी से पूछो भाभी, मैं इसकी बातों में आकर देवतुल्य भैया और माँ समान भाभी से मनमुटाव कर अलग हुआ… जब सच्चाई सामने आई… मुझे अपनेआप से घृणा हो रही है। “
“मैं अपनी करनी के लिए आप सभी से माफी मांगती हूं… मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी… जो आपके और भैया जी पर झूठी तोहमत लगा… इनका कान भरी और ये मेरे बातों में आ गये। “
“खबरदार, जो अपनी गंदी जुबान से कुछ कहा तो… तुम्हारे शब्द सुनकर मेरा खून खौल गया “राहुल क्रोध से कांपने लगा।
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नौकरी लगते ही राहुल की पसंद उसकी सहकर्मी मीनू से धूम-धाम से विवाह कर दिया।
शुरू में तो सब ठीक-ठाक रहा लेकिन राहुल का भाई-भाभी से आत्याधिक लगाव, परिवार की बंदिशें …खुराफाती पैंतराबाज मीनू को अखरने लगा। अतः भाई-भाभी से अलग होने के लिये पति राहुल का कान भरने लगी। कभी कहती, “तुम्हारी भाभी ने मेरे जेवर कपड़े चुरा लिये! “
कभी कहती “तुम्हारे भैया मुझपर गंदी निगाहें रखते हैं। “
रोज-रोज के किच-किच से ऊबकर सरल हृदय राहुल अपनी नवपरिणीता के बातों में आकर भाई-भाभी से जुदा होकर उपरी तल्ले में शिफ्ट हो गया।
इस सबसे अनभिज्ञ रमा और उसका पति …राहुल मीनू की खुशी में ही खुश थे। मीनू ने धीरे धीरे बातचीत आना-जाना सब बंद कर दिया। राहुल पूर्णतः उसके वश में था।
उस दिन मीनू छुट्टी पर थी…राहुल जल्दी घर आ गया… इससे अनजान मीनू हंस-हंस कर अपनी माँ से बात कर रही थी, “देखा राहुल को कैसा बकरा बनाया… बहुत भाई-भाभी का चमचा बना फिरता था… जेवर कपड़े के चोरी का झूठा इल्जाम और सीधे-सादे भैया पर चरित्रहीनता का आरोप मढ दिया और मूर्ख राहुल मेरा अंधभक्त… इस निराधार बातों में आकर अपने प्यारे भाई-भाभी से जुदा हो गया… अब मेरे कलेजे को ठंढक पहुंची है… मम्मा। “
सामने राहुल को देख हाथ से मोबाइल छूट गया और लत्तम-जूत्तम लड़ाई झगड़ा शुरू हो गया।
“सुनो भाभी, मैं मीनू के साथ एक पल भी नहीं रहूंगा …इसकी इन बातों को सुन मेरा खून खौल गया है। “
रमा ने दोनों को शांत किया। इतना घिनौना आरोप… ईश्वर का शुक्र है बात समय रहते सामने आ गई… अब इसे संभालने में ही बहादुरी है… रमा पति की प्रतीक्षा करने लगी।
सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना-डाॅ उर्मिला सिन्हा©®