सरला बार-बार घड़ी की तरफ देख रही थी उसके पति के खाने का टाइम हो गया था परंतु ,फिर भी अपनी बहू मधु की वजह से सरला का रसोई में जाने को मन नहीं कर रहा था वह जब भी अपने बीमार पति के लिए रसोई में खाना बनाने जाती तो मधु उसे देख कर जल भून जाती थी वह नहीं चाहती थी कि उसकी सास उनके पास रहे सरला अपनी बहू की आदतों को जानती थी।
इसलिए वह अपने बेटे मानव की शादी के बाद भी गांव में ही रहती थी मानव एक स्कूल में अध्यापक था वहीं पर उसकी मुलाकात मधु जो उसी स्कूल में अध्यापन का कार्य करती थी से हुई थी छोटी-छोटी मुलाकाते कब मोहब्बत में तब्दील हो गई उन्हें पता ही ना चला जब दोनों को लगा कि वह एक दूसरे की बगैर जी नहीं पाएंगे तब मानव और मधु ने आपस में शादी का फैसला कर लिया था बस उन्हें शादी के लिए अपने मम्मी पापा से इजाजत लेनी थी बच्चों की खुशी के लिए मानव और मधु के मम्मी पापा ने दोनों को शादी की इजाजत दे दी थी।
मधु से शादी करने के बाद मानव यह सोचकर बहुत खुश था कि अब जीवन में सुख ज्यादा और दुख कम होंगे जीवन में कोई भी परेशानी होगी तो दोनों मिल बांट कर दूर कर देंगे लेकिन हुआ इसका उल्टा मधु से शादी के बाद मानव की जिंदगी में सुख कम और दुख ज्यादा हो गए थे
मधु अपने मम्मी पापा की इकलौती बेटी थी उसे जो भी वेतन मिलता था उसे वह अपने मम्मी पापा को खर्च करने के लिए दे देती थी मानव को इसमें कोई एतराज नहीं था क्योंकि वह जानता था कि मधु के पापा की एक दुर्घटना में एक्सीडेंट होने के कारण उनकी नौकरी छूट गई थी जिसके कारण उनके पास कमाई का कोई रास्ता न होने के कारण वह घर पर ही रहते थे उसकी मम्मी एक ग्रहणी थी जो बेटी की कमाई में से ही घर का खर्च चलाती थी
मधु जितना प्यार अपने मम्मी पापा से करती थी वह उतनी ही घृणा अपने सास ससुर से करती थी उसके ससुर सेवाराम अपने नाम के मुताबिक किसी से भी सेवा करवाना पसंद नहीं करते थे बल्कि लोगों की सेवा करना वह अपना धर्म समझते थे इसलिए सेवाराम अपनी पत्नी सरला के साथ गांव में रहकर खेती करते थे उससे उन्हें जो कमाई होती उसमें से अपने खर्च के लिए पैसे रखकर बाकी पैसे वह गरीबों पर खर्च करते थे।
एक दिन जब वह सुबह-सुबह अपने खेत पर जाने को तैयार हो रहे थे तभी अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ गया था उनके गांव में इलाज की अच्छी सुविधा न होने के कारण मानव अपने पापा को शहर ले आया था और वहीं पर एक अस्पताल में इलाज करवाने के बाद आराम मिलने पर वह उन्हें अपने घर ले आया था।
सेवाराम के पास जो भी पैसे थे इलाज के दौरान वह खत्म हो गए थे घर आने के बाद जब उन्हें दवाई और फल वगैराह के लिए पैसों की जरूरत होती तो मानव अपनी मम्मी को दवाई और फल खरीदने के पैसे दे देता था एक दिन मधु ने मानव को अपनी मम्मी को पैसे देते हुए देख लिया तो वह गुस्से में बोली “कोई जरूरत नहीं है इन्हें पैसे देने की आज के बाद सारे पैसे तुम मुझे दोगे
यदि इन्हें पैसे की ज्यादा ही जरूरत है तो यह वापस गांव चले जाएंगे वहां पर खेती करके पैसे कमा लेंगे।”मधु की बात सुनकर मानव आश्चर्य से बोला”मैंने तो तुम्हें कभी भी अपने मम्मी पापा की मदद करने से नहीं रोका बल्कि तुम्हारे घर जाकर मैं तुम्हारे मम्मी पापा की खैरियत पूछता हूं
मेरे मम्मी पापा के घर आने के बाद उनकी खैरियत पूछना तो दूर तुम उनसे बात तक नहीं करती मेरी मम्मी खुद पापा के सारे काम करती हैं फिर तुम किस अधिकार से मुझे अपने मम्मी पापा की मदद करने से रोक रही हो? माता-पिता है वह मेरे..… उनकी मदद मैं नहीं करूंगा तो और कौन करेंगे?
“”एक पत्नी के अधिकार से रोक रही हूं मैं तुम्हें…… मेरे पापा तो एक्सीडेंट के बाद नौकरी करने के लायक ही नहीं रहे परंतु, तुम्हारे पापा तो अब खेत पर जाकर काम कर सकते हैं ऐसे कब तक पड़े पड़े बिस्तर पर खाना खाएंगे”मधु ने मानव से कहा तो मानव उसे समझाते हुए बोला”
ऐसी हालत में पापा को गांव भेजना ठीक नहीं डॉक्टर ने अभी उनसे काम करने के लिए मना किया हुआ है इसलिए उनकी मदद करना मेरा कर्तव्य है और जब तक वो पूरी तरह से ठीक नहीं होंगे मैं उनकी मदद करता रहूंगा”मानव की बात सुनकर मधु गुस्से में पैर पटकती हुई अपने कमरे में चली गई थी।
शाम को जब वह खाना लेने रसोई में गई तब अपनी सास को रसोई में अपने ससुर के लिए खिचड़ी बनाते हुए देखकर ताना मारते हुए बोली”शर्म नहीं आती मेरे पति की कमाई खाते हुए”मधु की बात सुनकर घर में कोई क्लेश ना हो यह सोचकर सरला कुछ बोलने की बजाय चुपचाप अपने कमरे में आ गई थी
संयोग से मानव उस वक्त घर पर था अपनी मम्मी से इस तरह बोलने पर वह मधु की बात सुनकर उसे गुस्से में डांटने लगा तो मधु भी गुस्से में बोली”आज आपको फैसला करना ही होगा आपको अपने मम्मी पापा और मुझे में से किसी एक को चुनना होगा अगर वह आपके साथ यहां पर रहेंगे तो मैं तुमसे तलाक लेकर हमेशा के लिए यहां से चली जाऊंगी।”
मधु की बात सुनकर मानव दुखी हो गया था क्योंकि उसकी मम्मी बहुत सीधे स्वभाव की थी कभी मधु को उल्टा जवाब भी नहीं देती थी फिर भी मधु बात बात पर उनका अपमान करती थी जिसे बेटे की खुशी की खातिर वह बर्दाश्त कर लेती थी परंतु, इस बार मधु की बात सुनकर मानव को गुस्सा आ गया था
वह जितना प्यार मधु से करता था उससे कहीं ज्यादा प्यार अपने मम्मी पापा से करता था वह नहीं चाहता था कि जिन्होंने उसे अपने खून पसीने से सींचा उसकी हर इच्छा पूरी करने के लिए दिन-रात खेतों में मेहनत की बुढ़ापे में उसके मम्मी पापा दवाई गोली और खाने के लिए भी तरसे.….. मधु का अपने मम्मी पापा के प्रति प्यार और सास ससुर के प्रति नफरत का भाव देखकर मानव के दिल में उसके प्रति जो प्यार था वह खत्म हो गया था
रोज-रोज के क्लेश से पीछा छुड़ाने के लिए मानव ने मधु से तलाक लेने का निर्णय लेकर उसे उसी वक्त अपने घर जाने को बोल दिया था। “मम्मी जी पापा की दवाई का टाइम हो रहा है जल्दी से उनके लिए खाना बना दो” मानव ने फिर से कहा तो उसकी मम्मी रसोई में खाना बनाने के लिए चल दी थी।
अपने समाज में होने वाली ऐसी घटना को देखकर बहुत आश्चर्य होता है कि क्या एक लड़के का अपने माता-पिता के प्रति प्यार और समर्पण भी गुनाह होता है? जिसकी सजा कभी-कभी उसे तलाक के रूप में ना चाहते हुए भी मिल जाती है क्योंकि जिसे हम प्यार करते हैं उसे तलाक देना इतना भी आसान नहीं होता एक लडकी अपने माता-पिता की मजबूरी तो समझती है परंतु, अपने पति और सास ससुर की मजबूरी क्यों नहीं समझती?
बीना शर्मा