अनुराधा अपनी बेटी पिंकी के विवाह के लिए घर में सजावट कर रही थी कि तभी उसके पति अनुपम जो कुछ देर पहले ही अपने बेटे वैभव के ससुर दीनदयाल के पास बेटी के विवाह के लिए खुशी खुशी उनके ही कहने पर पैसे मांगने गए थे कुछ देर बाद जब वह वापस आए तो उनका चेहरा बेहद उतरा हुआ था पति का उतरा हुआ चेहरा देखकर अनुराधा उनसे मुस्कुराते हुए बोली “क्या हुआ आपका चेहरा क्यों उतरा हुआ है? आप तो खुशी-खुशी समधी जी के पास पैसे लेने गए थे उन्होंने आपकी कुछ मदद की या नहीं …..
“दीनदयालजी ने ऐन वक्त पर हमारी मदद करने से यह कहकर साफ इनकार कर दिया कि मेरे पास इस वक्त आपकी मदद करने के लिए बिल्कुल भी पैसा नहीं है मेरे पास जो भी पैसा था वह मैंने अपने दोनों बेटों में बराबर बांट दिया है अब आप खुद अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे का इंतजाम करो… अब बेटी की शादी के लिए मुझे अपना घर जमीन सब बेचनी पड़ेगी तब कहीं जाकर बेटी की शादी धूमधाम से होगी मुझे नहीं पता था कि दीनदयाल ऐन वक्त पर मुझे इतना बड़ा धोखा देंगे अपनी इज्जत बचाने के लिए मैंने एक खरीदार से बात भी कर ली है वह हमारी जमीन और घर खरीद कर हमें आज ही पैसा दे देगा मैंने अपने और बेटे बहु के रहने के लिए दूसरे गांव में एक छोटा सा घर खरीद लिया है।”
अनुराधा की बात सुनकर अनुपम ने दुखी मन से कहा तो अनुराधा बोली” मैंने आपसे मना किया था ना की मनु का रिश्ता ज्यादा ऊंचे खानदान में मत करो अपनी औकात देखकर अपने बराबर की रिश्तेदारी में ही करो लेकिन आपने मेरी बात बिल्कुल भी नहीं मानी अरे! भगवान का दिया सब कुछ तो था हमारे पास अपना मकान घर का खर्च चलाने के लिए खेत में इतनी उपज हो जाती थी कि पूरे साल अन्न की चिंता ना रहती थी घर और जमीन बेच कर बेटी के विवाह के लिए पैसा तो आ जाएगा परंतु, हमें हमारा मकान और जमीन दोबारा वापस तो नहीं मिलेगी।”
“अपनी जमीन और घर जाने का मुझे भी बहुत दुख है इस घर के आंगन में मैं पला बढ़ा था इस घर के कोने-कोने से तुम्हारी पायल की आवाज और मेरी प्यारी बेटी मनु की मधुर किलकारियां आज भी मेरे कानों में गूंजती है मुझे दुख तो इसी बात का है कि मैंने तुम्हारी बात मानने की बजाय बहु के पिता पर ज्यादा यकीन किया।”
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पति की बात सुनकर अनुराधा कुछ पुरानी यादों में खो गई थी दो ही बच्चे थे उनके बड़ा बेटा वैभव और छोटी बेटी मनु काफी संपन्न परिवार था उनका घर के अलावा काफी सारी जमीन भी थी उनके पास जिस पर खेती करके अनुपम इतना कमा लेते थे कि उनके घर का खर्चा आसानी से निकल जाता था बड़े बेटे वैभव की पढ़ाई लिखाई और विवाह उन्होंने बड़ी आसानी से साधारण परिवार की लड़की विनीता से बिना दहेज लिए कर दिया था वे मनु की शादी भी बिना दहेज के साधारण परिवार में करना चाहती थी ताकि उनके पति पर पैसों का कोई बोझ ना पड़े लेकिन उनके पति की वजह से उनकी इच्छा पूरी ना हो सकी हुआ यूं कि मनु के विवाह योग्य होने पर उसके पापा अनुपम उसके लिए एक योग्य वर की तलाश कर रहे थे उसी दौरान एक दिन उनकी बहु विनीता के पापा दीनदयाल मनु के लिए एक बेहद रईस घर से रिश्ता लेकर आए तो लड़के वालों की शानो शौकत के बारे में सुनकर उन्होंने और वैभव ने उस घराने में मनु की शादी करने से साफ इन्कार कर दिया था ।
उस वक्त मां बेटे को रिश्ते के लिए इंकार करते देखकर दीनदयाल ने अनुपम को आश्वासन देते हुए कहा तुम मनु की शादी इस घराने में कर दो यदि तुम्हें पैसों की जरूरत होगी तो मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा दीनदयाल जी से आश्वासन पाकर जब अनुपम मनु का रिश्ता अपने से ज्यादा रईस घराने में करने को तैयार हो गए तब अनुराधा ने उन्हें समझाते हुए कहा”आपको अपनी औकात के अनुसार ही बेटी का रिश्ता अपने जैसे साधारण परिवार में करना चाहिए ऐसे रईस घराने में नहीं”तब अनुपम ने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और दीनदयाल जी की बातों पर विश्वास करके मनु का रिश्ता अपने से ज्यादा रईस घर में कर दिया जिनकी मांग इतनी ज्यादा थी कि उन्हें पूरा करना उनके बस में नहीं था तब उन्होंने दीनदयाल से पैसे मांगने का निश्चय किया किया और जब वो दीनदयाल के पास पैसे मांगने गए तब उन्होंने अपने बेटों का बहाना लेकर उन्हें पैसे देने से साफ इनकार कर दिया था तब दुखी मन से उन्होंने बेटी की शादी धूमधाम से करने के लिए अपनी सारी जमीन और घर बेचने का निर्णय ले लिया था।
“क्या सोचने लगी?” जैसे ही अनुपम ने कहा तो अनुराधा की तंद्रा भंग हो गई है थी दुखी स्वर में पति की तरफ देखते हुए बोली”भगवान ने तुम्हें अच्छा सबक सिखाया अब समाज के लोग बेटी का रिश्ता करने से पहले तुम्हारे साथ हुई इस घटना को देखकर अपनी औकात के अनुसार ही अपनी बेटी का रिश्ता अपने जैसे ही घर में तय करेंगे ताकि बेटी की शादी करने के लिए उन्हें अपना घर और जमीन न बेचनी पड़े”ठीक कह रही हो भाग्यवान”पत्नी की बात सुनकर अनुपम यह कहकर खामोश हो गए थे।
बीना शर्मा