हरि बाबू – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अभी हाल ही में बोर्ड परिक्षायें चल रही थी तो मेरी भी ड्यूटी लगी थी….. आठ ड्यूटी सकुशल सम्पन्न हो चुकी थी…

हालांकि कुर्सी पर बैठने की मनाही होती है पेपर में…..पर जब पैर हार ज़ाते थे तो मेज का ही सहारा ले य़ा कुर्सी पर दो चार मिनट बैठ ही लेती थी….. जैसा कि प्रावधान है एक कक्ष में दो कक्ष निरीक्षक होते है ……

दोनों पालियों में ड्यूटी लग रही थी….नौवीं ड्यूटी का नंबर आया तो क्लर्क बाबू ने रजिस्टर पर साइन करवाया …. बोले मीनाक्षी मैम आपकी ड्यूटी कमरा नंबर नौ में है …. हरि बाबू वहां पहुँच चुके है……. आप जाईये……

हरि बाबू का नाम सुन पास बैठी मैडम बोली…. आज तो मीनाक्षी बुरी फंसी….. हरि बाबू के साथ ड्यूटी करना खेल नहीं….

मैने कहा…. क्यूँ मैम….

बोली जाओ तो सही सब पता चल जायेगा…..

कमरे में ज़ाते ज़ाते रास्ते में ही सबने इतना डरा दिया कि हरि बाबू नहीं कोई एटम बॉम्ब हो….

खैर डर तो मेरे मन में भी बैठ गया…..

आखिर अपनी पानी की बोतल और पेन लेकर आ गयी मैं कमरा नंबर नौ में……

अन्दर आयी तो कॉपी बंट चुकी थी…..

सामने हरि बाबू बच्चों की सीट दूर दूर कराने में लगे थे…. उमर यही कोई 55 से ऊपर  रही होगी उनकी….. आँखों में चस्मा , गालों पर थोड़ी सी झुर्रियां , बालों में सफेदी, सांवला रंग, लम्बाई भी कोई ज्यादा नहीं 5 फुट ही रही होगी हरि बाबू की….

मैने उन्हे देख उन्हे नमस्ते बोला…..

उन्होने चस्मा ऊपर करके मुझे घूर के देखा……

बोले… पूरे 7 मिनट लेट है आप …. घंटी  बज गयी है …. बच्चों को पेपर दीजिये ….

मैं थोड़ा हीचकिचा गयी कि अभिवादन स्वीकार करने के बजाय सीधा आदेश दे दिया सर ने…

पेपर तो मैं खुद ही हाथ में बांटने के लिये ले चुकी थी…

बिना कुछ बोले बिना देरी किये मैने पेपर बांट दिये…..

हरि बाबू अपनी चार आँखों से बच्चों को ऐसे घूर रहे थे जैसे खा ही ज़ायेंगे….. हर एक सीट पर जा हर बच्चे का पेपर उसके बायीं  तरफ और कॉपी दायीं तरफ रखा …. एक बच्चे को तो दो तीन बार व्यवस्थित करने का प्रयास किया उन्होने…….

वो लड़का झल्लाकर उठा… बोला…

क्या चाह रहे सर… पेपर ना करूँ …. मैं क्या चीटिंग कर रहा हूँ जो आप मुझे परेशान कर रहे….

तू मुझे पढ़ा रहा…. चल उठ यहां से….. अभी कॉपी पेपर ले लूँगा … समझा…

जो बच्चे अनुपस्थित थे… हरि बाबू ने उनकी सीट उठाकर पीछे की ओर बीचोंबीच रखवा दी…..

उस लड़के को कॉपी पेपर ले वहां बैठने को कहा ….

अब तू कही भी रख पेपर ….

वो लड़का रुआंसा सा हो गया…. जो थोड़ा बहुत ताकझाक का मौका था ,, वो भी जा चुका था  उसके हाथ से….

हरि बाबू के मुंह से इतनी खड़ी भाषा सुन मुझे अटपटा सा लगा….

आधा घंटा होने को आये… मेरे पैर दर्द होने लगे थे तो सोचा दो मिनट चेयर पर बैठ जाऊँ ….

बैठने को हुई… दहाड़ती आवाज में हरि बाबू बोले…

मैडम उधर से आप साइन कीजिये …. इधर से मैं कर रहा….

मैं सकपका कर उठी…. साइन करना शुरू किया ….

मैने दस बच्चों की कॉपी पर साइन कर दिये होंगे… हरि बाबू अभी दूसरे बच्चे पर  ही रुके थे…. एक पल को तो मुझे लगा क्या मैं ठीक से देख नहीं रही… जबकि एडमिट कार्ड से रोल नंबर , शक्ल  का मिलान कर रही थी अच्छे से …

मैं एक मिनट को रुक गयी… हरि बाबू को देखने लगी….

वो हर बच्चे को उठाकर उसकी जेब चेक कर रहे थे…. हर बच्चे से उसकी माता, पिता का नाम, जन्मतिथि पूछ रहे थे……

उसके पेपर पर भी टिक लगाकर साइन कर रहे थे….

मैने भी उन्हे देख कुछ बच्चों से पूछ लिया उनके माता पिता का नाम…..

जब अंतिम कॉपी चेक की तो मुझे लगा आज ज़ितना समय तो कभी नहीं लगा साइन करने में…

मैँ फिर बैठने को हुई तो फिर हरि बाबू बोले…

मैडम… बच्चों के शीट पर साइन करवा लो….. और कॉपी नंबर भरवा लीजिये ……

एक पल को गुस्सा तो आयी मुझे कि एक मिनट तो बैठ लेने देते … मुझे भी पता है शीट भरवानी है ….

पर कुछ कह ना सकी….. शीट का भी कार्यक्रम शुरू हुआ…

एक घंटा पूरे होने की घंटी बजी …. सभी औपचारिक कार्य पूर्ण हो चुके थे……

हरि बाबू ने मजाल है पलक भी झपकी हो…. वो एकटक सीधा खड़े होकर हर बच्चे की ओर देख रहे थे….

मैं मन ही मन सोच रही कि इस उम्र में भी मास्साब के पैरों में दर्द नहीं होता… फिर सोची काम ही क्या है सर पर … जैसे यहां ओरडर झाड़ रहे,,, वैसे ही घर में झाड़ते होंगे….. बना बनाया खाना मिलता होगा…. बच्चे भी बड़े होंगे… अपने काम खुद कर लेते होंगे मास्साब के…….यहीं  कहीं आस पास रहते होंगे…नौकर लगे होंगे…..खा पीकर सो ज़ाते होंगे….बस उठकर थैला लेकर चले आते होंगे……

एक मैं हूँ… घर में छोटे बच्चे संभालना , घर के काम….. बाहर नौकरी करना…. सुबह 4 बजे की उठी रात 11 बजे ही बिस्तर पर जा पाती हूँ…… उसमें भी कई बार बच्चों को टोयलेट कराना ,, पानी देना ,, रात भर कम्बल फेंकते है , वो उढ़ाना ,, नींद भी आधी ले पाती हूँ……

ऐसलिये ही तो हरि बाबू खड़े हो लेते है …. उनपर कोई काम नहीं ……

खैर ……बार बार मेरा बैठने का मन हो रहा था …. पर सामने हरि बाबू को खड़ा देख हिम्मत नहीं कर पायी बैठने की…

तभी चेकिंग टीम के साथ डायट के प्रवक्ता भी आये…. उन्होने हरि बाबू को देखा तो मुस्कुराकर बोले…

जहां हरि बाबू हो, वहां  नकल की तो रत्तीभर भी गुंजाईश नहीं……. और मैडम ठीक है मास्साब अब??

डायट के सर हरि बाबू से बोले….

हरि बाबू बिना चेहरे के भाव बदले बच्चों की ओर निगरानी करते हुए बोले…

जैसी थी ,, वैसी ही है ….

कहीं और दिखा लीजिये …. मैडम का ख्याल रखिये …. चाहे तो मेडीकल ले लीजिये …. ड्यूटी कटवा लेते…. आपकी तो कट जाती….

हरि बाबू अभी भी बच्चों की ओर ही देख रहे थे…..

आपसे बाद में बात करता हूँ….

जी….

यह बोल टीम चली गयी……

अब तो हरि बाबू के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गयी मेरी……

मैं  हरि बाबू के पास आयी….

मैं धीरे से बोली…

सर… कहां से है  आप?? यहां के तो नहीं  लगते भाषा से……

ए लड़के सीधा देख… यह बोल हरि बाबू थोड़ा मेरे नजदीक आये….

मैं थोड़ा असहज हुई….

वो पास आकर मुझसे बोले…

बेटा…. मैं डिस्ट्रीक्ट कन्नौज से हूँ…..

उनके मुंह से बेटा सुन थोड़ा अच्छा महसूस करते हुए मैं आगे बोली…

सर… दो घंटे होने को आये… हर कमरे में टीचर दो चार मिनट तो बैठ ही ज़ाते है …. और पैर भी दर्द होने लगते है सर चार घंटे की ड्यूटी में…. आप तो बिलकुल नहीं बैठे …. थकते नहीं आप??

हरि बाबू मुस्कुराये….

उनके चेहरे पर मुस्कान देख एक सर की बात तो गलत साबित हो गयी कि हरि बाबू अपनी शादी पर भी मुस्कुराये हो तो बड़ी बात है ….

वो फिर बोले…..

बेटा 1992 से नौकरी कर रहा हूँ…… आज तक सारी ड्यूटी ऐसा ही देता आया हूँ…. दूसरे को बैठने को मना नहीं करता पर खुद नहीं बैठता…… नियम हम नहीं फोलो करेंगे तो बच्चे क्या सीखेंगे हमसे…..

उनकी इस बात से मैं थोड़ा लज्जित महसूस कर रही थी…

सर आपके घर में कौन कौन है  ??

बेटा….. लड़की की शादी कर दी… बेटा है वो भी दिल्ली नौकरी करता है …. घर पर मैं और उमा (पत्नी ) है ….

हरि बाबू बोले…..

सर…. अभी सर बोल रहे थे…मैडम बीमार है क्या आपकी??

मैने पूछा….

हाँ… दस साल पहले दिल की बिमारी हुई उसे… उसकी सरज़री हुई….. सब कुछ बेचना पड़ा … दिल्ली एम्स में ईलाज के बावजूद  सारी ज़मा पूंजी लग गयी…. पर शुकर है उमा ठीक भले ही नहीं हुई….. पता नहीं कौन कौन सी और बिमारी लग गयी उसे…. बस ज़िन्दा है,,बेड पर है …. थोड़ा बहुत ही सहारे से उठ पाती है ….

बच्चों के ऊपर से माँ का साया नहीं उठा…..यहीं  बहुत है …..

हरि बाबू की आँखें थोड़ा नम थी यह बात बताते हुए….

सोरी सर…..फिर सर घर पर काम कौन करता है … मेड होगी  ??

पास में ही रहते होंगे आप… ??

अपने बातूनी स्वभाव के अनुसार मैने कई सवाल एक साथ पूछ लिए…..

नहीं…. मैं खुद ही करता हूँ सारे काम … काम ही क्या होता है … झाड़ू , पोंछा वो आजकल डंडे वाला आता है .. उससे कर देता हूँ….. मशीन में कपड़े धो देता हूँ…. चाय नाश्ता ,खाना कितना बनता है दो जने का….. बरतन भी थोड़े से ही होते है … उमा को नाश्ता देकर खाना उसके पास रख आ जाता हूँ….

इतना काम करना तो ज़रूरी है ,,,,नहीं तो  बीमार हो जाऊंगा…..

मैं मन ही मन सोची ये काम कम है …. मैं तो इतने कामों में पतिदेव को भी  दो चार सुना देती हूँ…..

हरि बाबू आगे बोले….

यहां से कुबेरपुर पर है मेरा घर …

सर कुबेरपुर … ये तो बहुत दूर है … कैसे आते है आप इतनी दूर से…. ??

मैँ आश्चर्य से थोड़ा जोर से बोली….

अपनी मोटरसायकिल से आता हूँ…… तीन घंटा आने जाने में  लगते है … बायपास है तो थोड़ा धीरे ही चलाता हूँ….

अब तो हरि बाबू की बातों से मैं अचंभित थी…..

मैने लास्ट सवाल पूछा ….

सर आपकी रिटायरमेंट में तो अभी टाइम होगा??

58 साल का हो गया हूँ… अभी चार साल है …. सरकार की मर्जी … देखो पूरी होने देगी य़ा नहीं……

अब चाय आ चुकी थी….

मैने चाय बिस्कुट ले लिया….

मैने हरि बाबू से चाय लेने का इशारा किया… तो चाय वाले भईया बोले… हरि बाबू नहीं लेंगे… जानता हूँ मैं…

वो चला गया….

हरि बाबू कमरे में गश्त करते रहे……

अब मेरे हाथ के चाय बिस्कुट मुझे चिढ़ा रहे थे…… मैने जल्दी से खत्म किया …

फिर हरि बाबू के पास आकर खड़ी हो गयी…

सर…. आप चाय नहीं पीते??

सर ने बच्चों की ओर देखते हुए बोला…

बेटा….. अगर मैं चाय पियूँगा तो हर बच्चा मेरी ओर देखेगा और उसका ध्यान भटकेगा ….. ऐसलिये नहीं लेता……

हरि बाबू की एक एक बात मुझे प्रभावित कर रही थी…..

मैने पूरी ड्यूटी के दौरान दो बार रिलीवर को बुलाया……

पर हरि बाबू ने किसी को भी नहीं बुलाया….. वो पूरे टाइम एक टक बच्चों की ओर निगाह गड़ाये खड़े रहे……

पेपर ओवर हुआ…. एक तरफ से हरि बाबू ने कॉपी ली… एक तरफ से मैने…..

कॉपी की गिनती हुई…. बच्चों को भेज दिया गया…

मैं भी हरि बाबू के पीछे पीछे जाने लगी… तो वो पीछे मुड़े ..

बोले…

बेटा तुम जाओ… मैं कॉपी ज़मा कर दूँगा… लेट हो जाऊँगी…. 6 बजने को आये…..

मैने स्कूटी उठाई…. आज रास्ते भर बस हरि बाबू के बारे में सोच रही थी… जो मुझे आज जीवन का बहुत बड़ा पाठ पढ़ा गये थे….. अगर आज मेरी ड्यूटी उनके साथ ना लगी होती तो क्या मैं  इतना कुछ सीख पाती……

हरि बाबू जैसे लोग विरले ही मिलते है ….. अगले दिन से ड्यूटी में हरि बाबू से सीखी गयी बातों को अमल करना मैने भी शुरू कर दिया था …. अब पतिदेव को भी दो चार सुनाती नहीं…. बड़े मन से खुश होकर घर और बाहर के कामों को करती हूँ… सच है कुछ लोग जीवन में इतना कुछ सिखा ज़ाते है …. हरि बाबू जैसा व्यक्तित्व हर किसी का नहीं हो सकता…. पर हाँ अध्यापक हो य़ा कोई भी नौकरी का इंसान…. जो भी काम करो कि वहां से जाने के बाद भी लोग आपके उसूलों की तारीफ करें ….. सुना था हरि बाबू पढ़ाते थे भी ऐसा थे कि बच्चों को किताब खोलने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी… पूरे साल में तीन बार कोर्स को कराकर दो बार अभ्यास कराकर घुटी की तरह पिला देते थे…. यह बात भी मुझे वहां के प्रधानाध्यापक ने बतायी ….

धन्य है हरि बाबू जी आप और आपकी जीवन जीने की शैली …. आपको कोटि कोटि नमन

मौलिक

अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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