कोमल अपनी मम्मी कंचन के साथ बाजार से शॉपिंग करके जब वापस घर की तरफ आ रही थी तब उसने देखा सड़क के किनारे एक बुजुर्ग आदमी गुब्बारे बेच रहा था उसका चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह बहुत परेशान हो कोमल बेहद समझदार और चेहरे के हाव-भाव पढ़ने वाली युवती थी जो हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी
बुजुर्ग का परेशान चेहरा देखकर उसने अपने पर्स से पैसे निकाले और उसके सारे गुब्बारे खरीद लिए जब उसने बुजुर्ग को पैसे दिए तो बुजुर्ग मुस्कुराते हुए उसे दुआ देते हुए बोला” बेटी आज सुबह से मेरा एक भी गुब्बारा ना बिकने के कारण मेरे घर में चूल्हा नहीं जला मैं यही सोच कर परेशान था कि यदि किसी ने मेरा गुब्बारा नहीं खरीदा तो शाम को मेरे घर में खाना कैसे बनेगा? इन पैसों से मैं अपने बच्चों के लिए राशन खरीद कर ले जाऊंगा और उनके लिए गरम-गरम खाना बनवाऊंगा मेरी दुआ है ईश्वर तुम्हें हमेशा खुश रखे”बुजुर्ग की दुआ सुनकर कोमल के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी जिसे देखकर उसकी मम्मी उससे बोली” तू इन गुब्बारो का क्या करेगी?”
“मम्मी जी सामने जो गरीब बच्चे खेल रहे हैं उन्हें बांट दूंगी देखो कितनी उत्सुकता से वे मेरी तरफ देख रहे हैं”कोमल ने अपनी मम्मी से कहा तो उसकी मम्मी बोली” जब तुझे गुब्बारो से खेलना नहीं था तो तूने यह गुब्बारे क्यों खरीदे?” क्योंकि मुझे जरूरतमंद और लाचार लोगों की मदद करना बहुत अच्छा लगता है ऐसा करने से मुझे बेहद खुशी मिलती है”कोमल ने मुस्कुराते हुए कहा तो उसकी बात सुनकर उसकी मम्मी को हंसी आ गई थी क्योंकि कोमल को यह आदत उन्हीं से पड़ी थी।
कंचन को यह गुण अपने पापा से मिला था जो उससे उसकी बेटी में प्राकृतिक रूप से आ गया था कोमल जब कभी ऑफिस या फिर कहीं घूमने जाती तो राह में मिलने वाले हर जरूरतमंद की मदद करने को वह हमेशा तत्पर रहती थी।
लेकिन एक दिन समय का चक्र ऐसे बदला की जो हमेशा दूसरे लोगों की मदद के लिए तत्पर रहती थी वह खुद दूसरों की मदद के लिए मोहताज हो गई थी हुआ यूं कि एक दिन कोमल ऑफिस गई तो वहां पर अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई थी उसे पेट में दर्द और उल्टी होने लगी थी अपनी खराब तबीयत देखकर उसने घर जाने का फैसला लिया उसने तुरंत ऑफिस से छुट्टी ली और सड़क पर खड़ी होकर आटो वाले का इंतजार करने लगी उस वक्त दोपहर होने के कारण सड़के सुनी पड़ी थी
जब काफी देर इंतजार करने के बाद भी कोई ऑटो वाला नहीं आया तब उसने कुछ दूर पैदल चलने का निश्चय किया तबीयत खराब होने के कारण वह रास्ता भटक कर एक दूसरी सड़क पर आ गई जहां पर कोई भी ऑटो या रिक्शा नहीं मिलता था यह देखकर वह घबरा गई घबराहट के कारण उसे अचानक जोर से चक्कर आ गया और वह वहीं जमीन पर बैठ कर ईश्वर से अपनी मदद के लिए प्रार्थना करने लगी क्योंकि अब उसमें पैदल चलने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं बची थी।
उस सुनसान मार्ग पर उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसके साथ कोई अनहोनी घटना न घट जाए क्योंकि रोजाना अखबार में वह लड़कियों के साथ हुये बुरे बर्ताव के बारे में खबरें पढ़ती रहती थी लेकिन कहते हैं ना जो हमेशा दूसरों की मदद को तैयार रहता है ईश्वर भी उसकी मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं गलत मार्ग होने के बावजूद भी अचानक उसके पास एक ऑटो आकर रुका जिसमें से एक सज्जन व्यक्ति निकलकर उसके पास आकर उसकी हालत देखकर प्यार से बोला” मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूं बताइए आपको कहां छोड़ना है?
उस सज्जन व्यक्ति की आवाज सुनकर कोमल ने डरते हुए अपने घर का पता बताया तो उन्होंने उसे तुरंत उसके घर छोड़ दिया था घर आकर जब कोमल ने अपनी मम्मी से ऑटो वाले को पैसे देने के लिए कहा तो जब उसकी मम्मी उस सज्जन व्यक्ति को पैसे देने के लिए घर से बाहर गई तो उसे वहां पर कोई भी व्यक्ति नहीं मिला शायद इंसान के रूप में वह कोई देवदूत था जो कोमल की मदद करने के लिए उसके पास आया था।
इस सत्य घटना के माध्यम से मैं यही कहना चाहती हूं कि यदि जीवन में कोई लाचार और बेबस इंसान मिले तो उसकी मदद अवश्य करनी चाहिए क्योंकि समय चक्र का कुछ पता नहीं कब कहां किसकी जरूरत पड़ जाए ऐसे इंसान को जब किसी की मदद नहीं मिलती तो उसकी मदद के लिए खुद ईश्वर भी आ जाते हैं।
बीना शर्मा