वाह वाह …क्या खाना बनाया है यार इंदु…… मजा आ गया और यह हरे धनिया की चटनी ….वो भी सिलबट्टे वाली…. इसका तो जवाब नहीं…. लीना तारीफ करते नहीं थक रही थी…! बस कर लीना तू कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रही है ….इतने लोगों में बस तुझे ही खाना इतना ज्यादा पसंद आया जो तू तारीफ पर तारीफ किए जा रही है …..। लीना की खाने की तारीफ सुन कर वहां बैठी अन्य सहेलियों ने भी हां में हां मिलाकर तारीफ करनी चाही ….! पर खुलकर तारीफ करने की कला तो सिर्फ और सिर्फ लीना मे ही थी…।
एक अलग किस्म के व्यक्तित्व की स्वामिनी थी लीना …कोई सुंदर हो तो उसकी सुंदरता की बखान करने में 15-20 मिनट कैसे गुजर जाते थे पता ही नहीं चलता था…. किसी के घर जाकर उसके घर की एक भी खूबी को देख खुलकर प्रशंसा करती थी… इन्हीं कुछ विशिष्ट आदतों की वजह से लीना अन्य महिलाओं से अलग थी…।
शाम को कॉलोनी में जब भी महिलाओं की बैठक होती है…. हर महिला के पास बताने को बातें सामने वाली महिला के पास से ज्यादा होती है …. पर लीना ही एक ऐसी होती थी जो अन्य महिलाओं की बातें ध्यान से सुनती और यथासंभव मदद कर उनके होठों पर मुस्कान लाने का भरसक प्रयत्न करती…।
कभी-कभी अन्य महिलाएं लीना का मजाक भी बनाती थी… चापलूसी जैसे कितनी उपाधियों से विभूषित की जाती थी लीना …पर उसने अपनी आदत को कभी बदलने की कोशिश नहीं की ….! धीरे-धीरे लोगों में उसकी खुबियाँ नजर आने लगी… । अन्य महिलाएं लीना के साथ ज्यादा समय बिताना पसंद करने लगी …और करती भी क्यों ना लोग एक दूसरे से मूड फ्रेश करने के लिए मिलते हैं ना कि टेंशन लेने के लिए…।
और हकीकत भी है आज आप सामने वाले से एक बताइए वो इस विषय पर आपको दस बता देगा ….अरे कोई ध्यान से सामने वाली की बातें सुने , समझे… विचार करें …फिर विवेक बुद्धि से जवाब दे … पर नहीं सबके पास तो बातों का पिटारा होता ही है कोई पीछे कैसे रह सकता है भला …पर लीना इन सबसे बिल्कुल अलग थी वह सब की बातें बहुत ध्यान से सुनती विचार करती यथा संभव सुलझाने समझाने का प्रयास करती… शायद यही कला लीना को सबसे अलग करती थी…।
खाना समाप्त होते ही सभी लोगों ने धन्यवाद दिया इंदु को….! लीना ने भी स्वादिष्ट खाने के लिए और स्पेशली हरे धनिया की सिलबट्टे वाली चटनी के लिए विशेष आभार प्रकट किया….! कहीं ना कहीं लीना के जीभ पर वह हरे धनिया की सिलबट्टे वाली चटनी अपनी अमिट छाप छोड़ चुकी थी….। घर आकर भी उसने इंदु के इस पूरे आयोजन की और विशेष रूप से चटनी की तारीफ किए जा रही थी…।
मम्मी कैसे बनाती हैं इंदु आंटी ये वाली चटनी …आपने विधि नहीं पूछा…?? बेटी मायरा ने लीना से पूछा …हां बेटा कभी पूछ लूंगी कह कर लीना ने बात टाल दी…।
तभी…. मैडम कुछ पैसे एडवांस में दे दीजिए… आजकल मेरे पति का काम धंधा ठीक नहीं चल रहा है ललिता (कामवाली) ने लीना से कहा….! अरे क्या हो गया तेरे पतिदेव के धंधे को…. फिर से शराब पीने लगा है क्या …?? लीना ने शंका जाहिर की…। नहीं मेमसाहब…. अंडा का ठेला लगाता था पहले अकेला था तो खूब बिक्री होती थी …अब उसके आसपास कई ठेले वाले आ गए हैं जिससे बिक्री पर तो असर पड़ेगा ही ना मेमसाहब…. कहते हुए ललिता मायूस हो गई…।
लीना हमेशा दूसरों के बारे में भला चाहने वाली सोचने लगी आखिर एडवांस ले- लेकर ललिता का काम कैसे चलेगा … इसके पति के अंडे का बिजनेस ठीक कैसे चले इसके बारे में कुछ सोचना ही पड़ेगा…।
तुरंत मोबाइल निकाला इंदु के पास फोन लगा कर हरे धनिया की सिलबट्टे वाली चटनी की विधि पूछ ही डाली….! इंदु ने भी बड़े गर्व से बताया हमारे यू .पी . में हरे धनीये की सिलबट्टे वाली चटनी के बिना तो खाना पूरा ही नहीं होता… और तारीफों के बीच चटनी की विधि भी बता डाली…।
लीना ने ललिता के पति को बुलाकर बड़े धैर्य से समझाया कि अंडे की बिक्री ज्यादा हो …इसके लिए अन्य ठेले वालों से कुछ अलग करना पड़ेगा …और लीना ने हरे धनिया की सिलबट्टी वाली चटनी की विधि बताई… और उबले अंडे या आमलेट के साथ चटनी लपेटकर देने की युक्ति भी सुझाई…।
देखते – देखते पूरे शहर में फैल गया कि… फलां जगह पर हरे धनिया की सिलबट्टे वाली चटनी के साथ अंडे के कई आइटम मिलते हैं और लोग चटनी के आकर्षण में उसके ठेले में जाने लगे ….! ललिता के पति का अंडे का व्यवसाय फिर दुगनी गति से चलने लगा…।
मेम साहब आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ….! आप के चलते ही मेरा घर उजड़ने से बच गया…। एक छोटी सी विनती और थी …ललिता ने हाथ जोड़कर कहा… हां हां बोलो ललिता ….मेम साहब आप लोग अंडा नहीं खाते हैं ना इसीलिए मैंने पकौड़े के साथ हरे धनिया की सिलबट्टे वाली चटनी बनाई है ….। यदि मेरे छोटे से कुटिया में जाना पसंद नहीं करेंगीं तो मैं यहीं लाकर खिलाऊंगी ….! हाथ जोड़कर ललिता ने स्वीकृति चाही…।
अरे ललिता पार्टी तो हम लेंगे… पर मैं अकेली नहीं हमारी पूरी महिला मंडली होगी …और विशेष रूप से इंदु…. जिनसे मैंने यह चटनी बनानी सीखी और तुम्हें बताया….! तुम तैयारी करो …हम सब तुम्हारे घर ही आकर पकौड़ी और हरे धनिया की चटनी वो भी सिलबट्टे वाली… का आनंद लेंगे…।
# बेटियां जन्मदिवस प्रतियोगिता (तीसरी कहानी)
( स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित और अप्रकाशित रचना )
संध्या त्रिपाठी