तलवार की धार – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

..हल्के पीले रंग उड़े सा कुर्ता सलवार … करीने से पूरी तरह फैला कर ओढ़ा हुआ दुपट्टा कमर तक लटकती गुथी हुई एक चोटी पैरों में एकदम साधारण चप्पलें पहनी हुई वह सामान्य लेकिन आकर्षक सी लड़की बस का इंतजार कर रही थी…शायद परीक्षा देकर आ रही थी और उसका पेपर भी शायद बहुत बढ़िया हुआ था उसके हाथ में एक प्रश्नपत्र था जिसे वह बार बार देखती थी फिर उंगलियों पर हिसाब लगाती थी और खूब खुश हो जाती थी…इस जमाने में उसके पास मोबाइल का ना होना उसकी विपन्नता को दर्शा रहे थे।

दूर से बस आती दिखी वह उत्साह में भर गई…. !!

तभी अचानक एक लड़का झपटता हुआ वहां आया और उसने झपट कर उस लड़की को पकड़ लिया .. फूलों की एक माला निकाली और उसके गले में पहना दी और हाथ में पकड़ी सिंदूर की डिब्बी से सिंदूर निकाल उसकी मांग भरते हुए सिर में उड़ेल दिया सुन आज से तू मेरी पत्नी है समझी और मुझे इत्ती पढ़ी लिखी बीबी नही चाहिए तो कोई जरूरत नहीं है कल की परीक्षा देने की कल तेरी मेरी शादी होगी मैं लेने आऊंगा तुझे अगर पेपर देने गई….. तो जान से मार दूंगा!!जोर से धमकाता वह लड़का भाग गया था।

सबके बीच घटित इस अपमानजनक घटना से वह लड़की शर्मसार हो गई थी …. उसकी बस कब आकर चली गई उसे होश नही था… आसपास लोगों के भद्दे शब्द विद्रूप हंसी जैसे उसे जमीन में गाड़े दे रहे थे एक ऐसे गुनाह का आरोपी उसे साबित किया जा रहा था जो उसने किया ही नहीं था।

इतनी देर से बड़ी खामोशी से सारा घटनाक्रम देखती मैं अब खामोश ना रह सकी…उठ कर खड़ी हो गई और उस मजबूर लड़की के पास जाकर खड़ी हो गई..! डपट दिया था मैने लोगों को एक मासूम के साथ  सबके सामने भरी सड़क पर  वह लफंगा जलील हरकत कर गया ..उसे तो आपने कुछ नहीं कहा ना रोका….# अब तो इसे अपनी भद्दी टिप्पणियों से# शर्मसार करना बंद करो …!

अक्सर लोग शायद किसी के टोकने का इंतजार करते रहते हैं कि कोई कहेगा तो नही कहेंगे ।मजबूर और असहाय पर सभी हावी होने का  यत्न करते हैं… थोड़ा सा ही विरोधी स्वर उनकी बोलती बंद करने के लिए काफी होता है मेरे विरोध से लोग चुप हो गए थे और कन्नी काट कर पलायन कर गए थे।

 

मैं उसके पास गई उसके कंधे पर हाथ रखा … उसकी नत आंखे मानो ऊपर देखना ही नही चाहती थीं शर्म जिल्लत में वह डूब गई थी… बड़ी कठिनाई से अपनी आंखे उठा कर उसने मेरी ओर देखा था…. प्राणहीन आंखें शायद इन्हीं को कहते हैं मुझे ऐसा महसूस हुआ था…. आंसू का एक कतरा नहीं था सूखी निस्तेज आंखें जैसे सब कुछ मर गया था उसके भीतर..एक पल में ही एक उत्साह से भरी मासूम लड़की भय से पीली पड़ चुकी थी।

डर गई थी मैं उसकी आंखों को देख कर एक क्षण में ही उसके दिल का आतंक और अपमान की व्यथा उन आंखों में देख ली थी मैंने।

मेरे देखते ही देखते  वह पलटी और डगमगाते लेकिन तेज कदमों से चल पड़ी मैं भी किसी अनहोनी आशंका से उसके पीछे चल पड़ी थी।लंबे से पुल तक पहुंच गई थी वह .. जैसे ही उसके तेज कदम  रेलिंग के पास जाकर धीमे पड़े मेरी आंखे खुल गईं… झपट कर मैने उसे पकड़ा .. क्या पागल हो गई है कूद कर  मरना चाह रही है एक तमाचा उसके गालों पर लगा दिया था मैंने।

हां तो क्या करूं इस हालत में घर जाऊं अपनी बेवा लाचार मां

को क्या मुंह दिखाऊं तंग आ गई हूं मैं अपने इस अपमान से क्या मुझे हक नहीं अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का। क्या मैं और मेरी मां की जिंदगी में जिल्लत सहना ही लिखा है।सोचा था हिम्मत की थी मैने पढ़ लिख कर कुछ कर लूंगी जिंदगी सुधार लूंगी मां को भी इज्जत दार जिंदगी दूंगी कल meti परीक्षा का अंतिम प्रैक्टिकल होना है सारी परीक्षा बहुत अच्छी गई जी तोड़ मेहनत की थी मैने इसी परीक्षा के रिजल्ट के आधार पर अच्छी नौकरी का आवेदन करना था मुझे अब जब प्रैक्टिकल परीक्षा ही नहीं दे पाऊंगी तो क्या फायदा जीने का!! वह लफंगा हमेशा मुझे ऐसे ही अपमानित करता है वह कल जरूर आएगा और मुझे परीक्षा नहीं देने देगा कौन बचाएगा मुझे !! कोई नहीं!! अभी देखा अपने सब मुझ पर ही उंगली उठा रहे थे ।हम लड़कियों की जिंदगी दोधारी तलवार की नोक पर रहती है ।दुनिया ऐसी ही होती है।मुझे नहीं जीना यहां… कहती वह फफक कर रो पड़ी आंसुओं की बाढ़ सी आ गई थी।

उसके आंसुओ को बह जाने दिया था मैंने।अक्सर आंसू दिल की व्यथा को बहाकर निकालने में मलहम का काम  करते  हैं।फिर अपने बड़े से  रूमाल को  पानी से भीगा कर  उसका चेहरा अच्छी तरह साफ किया था। ” ठीक है अगर ऐसा लगता है कि तुम्हारे मर जाने से सारी समस्या हल हो जाएगी तो ठीक है मर जाओ लेकिन जब मरना ही है तो क्यों ना एक कोशिश मेरे कहने से करके देख लो कोई फायदा ना हुआ तो मर जाना..! मेरे कहने का असर हुआ था उस पर ।

चलो मेरे साथ उसका हाथ पकड़ मैं पास के पुलिस थाने में ले गई थी उसे ।

वह भी अप्रत्याशित रूप से आज्ञाकारी बन मेरे साथ चल पड़ी थी शायद मरना तो मुझे है ही कभी भी मर सकती हूं आज नही तो कल मर लूंगी एक बार देखूं तो सही कोशिश करके!! ये विचार उसे मेरी बात मानने का भरोसा दिला रहा था।

मैंने पुलिस थाने में जाकर सारी बाते बताई ।उन्होंने तुरंत थाने से उस कॉलेज में फोन किया जहां वह लड़की परीक्षा देने जाती थी उन्हें सूचित किया सतर्क किया और पुलिस के जवान रवाना कर दिए।महिला पुलिस लड़की की सुरक्षा में तैनात कर दी गई।

दूसरे दिन परीक्षा दिलाने उस लड़की के साथ महिला पुलिस सादे वेश में थी मैं भी साथ में थी…. कॉलेज में जगह जगह सादे वेश में पुलिस के जवान घूम रहे थे।जैसे ही वह लड़की कॉलेज के मेन गेट के पास पहुंची पीछे से वह लड़का आ गया मैंने तुरंत आंख से इशारा किया कि यही है वह लड़का..!!उसके हाथ में एक बोरी थी जिसमे वह कुछ छिपाया हुआ था लड़की के पास पहुंचने के पहले ही वहां सतर्क खड़े पुलिस के जवान उस पर टूट पड़े और उसे  अपनी गिरफ्त में ले लिया उसके हाथ में पकड़ी बोरी छिटक कर दूर जा गिरी और उसमे से एक धारदार तलवार निकल पड़ी थी जिससे वह उस लड़की के प्राण लेने आया था वह उस तलवार से लड़की को काट देना चाहता था सिर्फ अपनी खुदगर्जी में।

वह लड़का चिल्लाता रहा उस लड़की को धमकाता रहा लेकिन पुलिस उसे पकड़ कर थाने ले गई ।

आज उस लड़की की आंखों में नई रोशनी दिखी थी मुझे एक बार फिर से आज वही उत्साह उसके चेहरे पर झलक आया था जो बीते दिन में पेपर देने के बाद प्राप्तांको की गणना करते समय मुझे दिखा था…!!

आज मैंने एक लड़की को…. इंसानियत को  तलवार की धार के वार से शर्मसार होने से बचा लिया था। 

लतिका श्रीवास्तव

4 thoughts on “तलवार की धार – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi”

  1. किसी एक का थोडा सा support ही किसी की जिन्दगी को बदल सकता है। बहुत अच्छी कहानी।

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