“अजीब है ना ज़िन्दगी…इसमें कब क्या हो जाए पता नहीं….कभी सब दे दे…कभी सब छीन ले….एक पल हँसाए एक पल रुलाए….”
ओहो !! फिलोसोफी बंद करो अपनी…कॉलेज आ गए हम… ओ मैडम ….राधिका … कावेरी ने उसे पुकारा जो अपने ही खयालों में खोए हुए बोले जा रही थी |
कावेरी के हिलाने पर जैसे सपने से जागी.”. क्या हुआ- राधिका ने पूछा “
“हुआ ये मोहतरमा कि आप और हम कॉलेज आ गए है तो कृपया करके अपने खयालों की दुनियां से बाहर निकले “
“ओह तो हम आ गए कॉलेज “कनीज़ आप अपना हाथ दे तो हम उतरें “
ऑटो वाला मुह दबाए हँसने लगा तो कावेरी बोली तुम क्या हँस रहे हो लो पैसे पकड़ो अपने
कावेरी ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए बोला.. “ओ मैडम मुगलों के ज़माने में नहीं जी रहीं आप 2024 में जी रही है ….”आ जाओ उतर कर आज लास्ट डेट है फॉर्म जमा करने की… अगर ये निकाल गयी तो बैठी रहना “
एक तो ये पता नही क्या है… सारे काम आजकल online होते है मगर ये अनोखा कॉलेज है जहाँ फॉर्म खुद देने आओ ” कावेरी खुद ही में बड़बड़ाए जा रही थी और कॉलेज के गेट की तरफ बढ़ती जा रही थी उसके पीछे से कोई आवाज़ ना आती देख वो घूमी और पीछे मुड़ कर देखा तो राधिका को दो तीन लड़कों के साथ बात कर रही थी … उसके पास में एक लड़की और खड़ी थी… कावेरी उसकी तरफ भागी…
“क्या हुआ?” कावेरी ने पूछा
कुछ नहीं ये लोग बदतमीज़ी कर रहे थे इसके साथ… कावेरी ने लड़की की तरफ देखा तो वो डरी सेहमी सी खड़ी थी….. कावेरी ने सांस भरी और उन लड़कों की तरफ देख कर बोला….
“देखें हम यहाँ फॉर्म जमा करने आए है… आज लास्ट डेट है ” कावेरी कह कर राधिका का हाथ पकड़ कर अपने साथ खींचते हुए ली जाने लगी
“अरे मैं भी येही बोल रहीं हूँ… कि जाने दे इनको फॉर्म जमा करने आयी है पर ये उसे परेशान कर रहे है.”. राधिका ने उस दूसरी लड़की का हाथ पकड़ते हुए कहा और उसे अपने साथ ले जाने लगी
तभी उसमें से एक लड़के ने कहा…. क्या बढ़िया आइटम आए है इस बार कॉलेज में और गाते हुए उनके पीछे चलने लगा….
ओ लाल दुपट्टे वाली तेरा नाम तो बता ……
दूसरी लड़की के नजदीक आ कर उस लड़के न उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो राधिका और कावेरी दोनों को एक झटका लगा और वो पीछे की तरफ हो गयी…
कावेरी जो आगे चल रही थी उसने मन में बोला… “लो हो गया स्यापा इन लड़को को नहीं पता इन्होंने क्या कर दिया “
वो लड़की उस लड़के से हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी राधिका ने उस लड़की का हाथ छोड़ा और लड़के की तरफ दोनों हाथों को बांधे मुस्कुराते हुए बढ़ी …. उसने एक नज़र उस लड़के को देखा…. एक ज़ोर का थप्पड़ उसको मारा उस लड़की का हाथ अपने हाथ में लिया और आगे जाने लगी…..
वो लड़का अपने गाल पर हाथ रखा कर सेहलाने लगा और ज़ोर से बोला – रुक
उसके दोस्त भी उसके पास आ गए और सबने राधिका, कावेरी और उस लड़की को घेर लिया
कावेरी ने राधिका की तरफ देखा और गुस्सा करते हुए कहा – ” तुम बाज़ नहीं आओगी… अगर मेरा फॉर्म जमा नहीं हुआ ना तो बताऊंगी तुम्हें.. “
उन लड़कों में से एक लड़के ने जैसे ही राधिका मारने के लिया हाथ उठाया राधिका ने उसके हाथ को घुमाया और उसकी पीठ से लगते हुए बोली –
“क्या कहा हमारी दोस्त ने सुना ना फॉर्म जमा करना है समझ में नहीं आता क्या? “
इतना कह कर एक लात उसके कमर पर मारी वो लड़का आगे की तरफ जाकर गिर गया…. बाक़ी बचे हुए लड़कों ने कावेरी और राधिका को मारना चाहा तो दोनो ने उनका भी वही हाल किया |
वो लड़के एक तरफ पड़े हुए उठने की कोशिश कर रहे थे…. “राधिका ने कहा बोला था ना जाने दो… खैर अब क्या सकते है “
चलो कावेरी ….और तुम भी क्या नाम है तुम्हारा
जी…. प्रिया चलो तुम भी
ये क्या इतनी भीड़ एंट्रेंस पर…. राधिका ने कॉलेज के गेट की तरफ देखते हुए कहा
जी इसलिए मैं बोला रही थी कि चलो लेकिन तुमको तो कुछ समझ नही आ रहा था
“लेकिन इतनी भीड़ है क्यों? “
अब वो तो आगे जाने पर पता चलेगा… कावेरी ने मुह बनाते हुए कहा
राधिका ने प्रिया का हाथ और कस के पकड़ लिया और तेज कदमों से आगे बढ़ने लगी..
कॉलेज के गेट पर पहुँच कर उसने एक लड़की से पूछा कि क्या हुआ है ?
उस लड़की ने कहा आज फॉर्म जमा करने कि लास्ट डेट है इसलिए इतनी भीड़ है …
सबको आज ही फॉर्म जमा करना है…
हाँ बिल्कुल सबको सो जो रहे थे… चलो ना आगे यहाँ खड़े रहे तो हो गया फॉर्म जमा… राधिका ने आगे बढ़ते हुए कहा
तभी अनाउंसमेंट हुयी…… सब लोग एक लाइन बना लें आप सबका फॉर्म आराम से लिया जायेगा… और अगर ऐसे ही भीड़ लगा कर रखेंगे तो हम किसी का फॉर्म नही लेंगे..
फॉर्म सभी को जमा करना था.. इसलिए सब लाइन बना कर खड़े हो गए सबको कॉलेज के अंदर बुला लिया गया और 10 मिनट के बाद फॉर्म जमा होने लगे |
राधिका और कावेरी भी फॉर्म जमा कर के अपने घर की तरफ चले गए |
चलो…. राधिका उन दोनों के साथ कॉलेज की तरफ बढ़ गयी
.”चलो फॉर्म जमा हो गया.. शाम का क्या प्रोग्राम है राधिका…. “
“कुछ नहीं …मम्मी ने कहा था जल्दी आ जाना कुछ मेहमान आने वाले है और ताऊजी भी आ रहे है ..चलो तुम भी “
“ताऊजी आ रहे है ना बाबा उनसे डर लगता है मुझे….. राधिका ने हँसते हुए कहा – डरना क्यूँ….वो तुमसे कुछ नही कहते कहाँ है ???
“कहना छोड़ो उनके देखने भर से हालत खराब होती है मेरी “
“राजपूत है हम होनी भी चाहिए…. “
“हाँ बस तलवारों की कमी है …बाक़ी तुम हो तो लड़ाका ही वैसे तुम जहाँ जाती हो दो चार तो पिट ही जाते है तुमसे “
राधिका ने मुस्कुरा कर कावेरी की तरफ देखा… और दोनों कॉलेज के गेट से बाहर निकल आयी
सुनिये किसी ने पीछे से पुकारा… “दोनों ने पलट कर देखा तो प्रिया थी… वो उनके पास आयी और बोली… थैंक यू आज आपने मुझे बचा लिया… राधिका ने कहा – हम हमेशा नही आने वाले तुम थोड़ी सी हिम्म्मत करो तो ये लोग कुछ नही कहेंगे |”
प्रिया ने अपना सिर हिलाया और ऑटो की तरफ बढ़ गयी…
राधिका और कावेरी भी ऑटो की तरफ बढ़ गयी
ऑटो एक घर के सामने रुका…एक मध्यमवर्गीय घर जो बहार सी सुसज्जित था कुछ फूलों के पौधें लगे हुए थे उन पर खिले फूल इठला रहे थे जैसे आने वाले का स्वागत कर रहे हो ……राधिका और कावेरी दोनों उस ऑटो में से उतरी.. राधिका ने उसे पैसे दिए.,…कावेरी अपने घर की तरफ जाने लगी जोकि दो घर छोड़ कर था और राधिका ने अपने घर की डोर बेल बजायी….
दरवाज़ा खुला तो सामने धोती कुर्ता पहने हुए मुस्कुराते हुए देवेंद्र जी खड़े हुए थे…..”.ताऊजी कहते हुए राधिका उनके गले से लग गयी “
“आ गयी हमारी लाडो रानी.. “
जी….ताऊजी कैसे है आप?
“हम तो बढ़िया है और आपसे मिलकर और भी बढ़िया हो गए” कहते हुए उन्होंने राधिका को साइड से पकड़ लिया
“आहा …..आज तो बहुत खुशबू आ रही है माल पुआ बन रहा है? ???
“हाँ…और आप आए जल्दी से तो खाते है “
अरे वाह…कावेरी को बोला था मैंने कि आ जाए लेकिन वो आयी नही…..हम अभी आते है हाथ मुह धो कर कहते हुए वो अपने कमरे में चली गयी…
कुछ देर के बाद राधिका आ कर अपने ताऊजी के पास बैठ गयी ….उसकी मम्मी शीतल जी माल पुआ ले कर आयी और राधिका खाने लगी…..
वाह….मम्मी क्या माल पुआ बनाया है…. मज़ा आ गया उसने आगे पूछा ” कोई आने वाला था ना आपने कहा था…. आए नही वो”
उसकी इस बात पर देवेंद्र जी और शीतल एक दूसरे की तरफ देखने लगे…. राधिका अपने खाने मे मग्न थी
देवेंद्र जी ने कहा..” आयेंगे शाम तक तुम खाओ”
“वैसे कौन आने वाला है? “
” पुरानी जान पहचान है जब आयेंगे तब मिल लेना” देवेंद जी ने कहा
राधिका ने कुछ नही कहा और खाने मे मस्त हा गयी……
लेकिन देवेंद्र जी खाते- खाते रुक गए और घडी की तरफ देखने लगे दो बज चुके थे ..और बस तीन घंटे उसके बाद जो होगा वो उनको भी नही पता था |
राधिका के पिता सुरेंद्र जी अब इस दुनियां में नही थे… उसकी माँ शीतल जी एक अध्यापिका थी और 2 महीने पहले ही रिटायर हुयी थी….
देवेंद्र जी उनके पुश्तैनी गाँव में ज़मीन देखते थे वहीं जो खेती होती उसमें से कुछ बेच देते थे और कुछ घर के लिए रख लेते थे उनका गुजरा हो जाता था
उन्होंने शादी नहीं की थी राधिका को वो अपनी ही बेटी की तरह प्यार करते थे और दो या तीन महीने में एक बार आ जाते थे |
शाम के 4:30 बज गए थे…. देवेंद्र जी कमरे में चहल कदमी कर रहे थे…. तभी शीतल ने दरवाज़ा खटखटाया…
. आ जाओ … देवेंद्र जी ने कहा
शीतल कमरे में आयी और बोली – “क्या करे भाईसाहब किसी भी वक़्त वो आते होंगे “
“मै भी वही सोच रहा हूँ..”.थोड़ा रुक कर उन्होंने कहा “अब सब ऊपर वाले पर छोड़ दो जो होगा देखा जायेगा… कभी ना कभी ये होना ही था “
“तुम राधिका को तैयार होने के लिए बोल दो “
जी ….शीतल कह कर कमरे से बाहर निकल आयी उसने राधिका को तैयार होने के लिए बोला और खुद भी तैयार होने चली गयी
पाँच बजे एकसाथ तीन गाडियाँ आ कर दरवाजे के सामने रुकी उसमें से लोग उतर कर उस घर के आसपास खड़े हो गए देखने में बॉडी गार्ड लग रहे थे लेकिन यूनिफॉर्म किसी ने भी नही पहनी थी ….
उसमें से बीच वाली गाड़ी में से आगे की सीट पर से उतर कर किसी ने जल्दी से पीछे वाला गाड़ी का दरवाज़ा खोला …उसमें से धोती कुर्ता पहने हुए होंठों पर मुस्कान लिए एक शख़्स बड़े रौब दार तरीके से बाहर निकला…..उन बॉडी गार्ड्स में से किसी ने तब तक किसी ने डोर बल बजा दी थी |
एक नई सीरीज़ लेकर हाज़िर हूँ.आशा करती हूँ आपको पसंद आयेगी…. ये एक कल्पनिक कहानी है किसी भी पात्र या घटना का वस्तविकता से कुछ लेना देना नही है … कहानी थोड़ी लंबी हो सकती है….
निवेदन है कि इसे कहनी की तरह पढ़े
अगला भाग
दास्तान इश्क़ की (भाग – 2) – अनु माथुर : Moral stories in hindi
धन्यवाद
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर