मायके से बिछड़ने का दुख , नए घर परिवार को लेकर असमंजस और पिया के साथ की खुशी के मिलेजुले भाव लिए राधिका गाड़ी में चुपचाप बैठी थी कि तभी झटके से गाड़ी रोकी और ” नई बहु आ गई …नई बहु आ गई ” के शोर से राधिका समझ गई वो अपने नए घर यानि की ससुराल आ चुकी है।
” भाभी स्वागत है आपका हमारे घर में !” ननद रिया ने द्वारचार की रस्म के बाद कहा।
” अब तो ये तेरी भाभी का घर है लाडो तू भी अब ससुराल जाने की तैयारी शुरू कर दे तेरा ही नंबर है अब !” रिया की ताई हंसते हुए बोली।
” ताई जी भाभी का बाद में पहले मेरा है ये घर !” घर भर की लाडली और थोड़ी तुनकमिजाज रिया बोल पड़ी।
” हां हां ये तेरा घर है और हमेशा रहेगा !” तभी रिया की मां रेवती जी बोल पड़ी और सब हंस दिए।
शादी की रस्मों के बाद मेहमान तो अपने अपने घर विदा हो गए घर में बचे केवल पांच लोग राधिका , उसका पति केशव , ननद रिया , सास रेवती जी और ससुर मदन लाल जी।
कहने को मदन लाल जी घर के मुखिया पर घर का एक पत्ता भी रेवती जी की रजामंदी के बिना इधर से उधर नही होता और अपने खिलाफ जाना उन्हे बिल्कुल पसंद नही ।
” बहू आज से घर की सारी जिम्मेदारी तुम्हारी … मै अब आराम करूंगी !” रसोई की रस्म के बाद मानो रेवती जी ने घर की बागडोर राधिका को सौंप दी राधिका भी खुश कि अबघर को अपनी मर्जी से सजाएगी संवारेगी। पर ये खुशी ज्यादा दिन नही रही….।
” बहू ये क्या किया है तुमने मैने इतने साल रसोई को सजा संवार कर रखा और तूने ये हाल कर दिया !” कुछ दिन बाद रसोई में थोड़ा बदलाव करने पर रेवती जी चिल्लाई।
” वो मम्मी जी मैने बस थोड़ा सामान इधर उधर किया है अपनी सहूलियत के हिसाब से !” राधिका ने सफाई दी।
” बस अपनी सहूलियत दिखती है बाकियों का क्या…अभी फोन करके बुलाती हूं तेरे घर वालो को वही समझाएंगे तुझे कि ससुराल में कैसे रहा जाता है !” रेवती जी ने आंखे तरेरी।
कहना तो ये चाहती थी राधिका कि मेरे सिवा रसोई में आता कौन है पर बात बढ़ाना उचित ना समझ उसने माफी मांगी और रसोई वापिस पहले जैसी कर दी।
कहने को राधिका का घर था वो पर केवल काम करने को बाकी कुछ बदलाव करना सास को अपनी खिलाफत लगती और बात बात पर वो राधिका के मायके वालों को बुलाने की धमकी देती । राधिका ने केशव से भी कई बार कहा पर वो अपनी मम्मी के आगे मुंह ना खोलता उल्टा राधिका को समझा देता। पर राधिका को यूं बार बार धमकी देना बहुत बुरा लगता। धीरे धीरे एक साल गुजर गया इस बीच सारे घर का काम करने पर भी सास जरा सी गलती पर यही धमकी देती कि अभी बुलाती हूं तेरे पीहर वालो को अब राधिका के लिए सब सहना मुश्किल हो गया था।
” ये कैसी सब्जी बनाई है बहू तूने आज… एक साल हो गया शादी को पर तू हमारे तौर तरीकों से खाना बनाना नही सीखी…..अभी तुम्हारे घर वालों को बुलाती हूं वही सीधा करेंगे तुम्हे !” एक दिन खाने की मेज पर सास ने फिर झिड़कते हुए अपनी चिरपरिचित धमकी दी।
पर राधिका मानो पहले से तैयार थी इस बार …
” ठीक है मम्मीजी आप इतने मेरे घर पर फोन कीजिए मैं इतने अपना सामान लगा लूं !” काम छोड़ राधिका ने कहा और अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। सारा परिवार सकते में ये राधिका क्या बोल रही है।
” सामान किस लिए लगाना है …और यूं सबको खाना परोसते छोड़ अपने कमरे में क्यों आई हो ?” हैरान रेवती जी उसके कमरे में आ बोली।
” वो क्या है ना मम्मी जी मेरे मम्मी पापा ने मुझे कहा था अगर ससुराल से कोई शिकायत आई तुम्हारी या तुम्हारे खिलाफ कुछ भी सुनने को मिला तो हम कुछ नही सुनेगे बस तुम्हे वापिस ले आयेंगे तो इसलिए मैं सामान लगा रही हूं क्योंकि मम्मी पापा आते ही मुझे साथ चलने को बोलेंगे ! आज तक मैं आपको इसलिए ही तो फोन करने को मना करती थी। खैर अब यही सही है कि मैं यहां से चली जाऊं ” राधिका ने मासूम बनते हुए कहा।
” क्या ….?” रेवती जी के मुंह से केवल इतना निकला पर वो राधिका के पीहर जाने और खुद सारे काम करने के विचार से ही घबरा गई एक साल में आदत जो छूट गई थी। वैसे भी वो सिर्फ राधिका को धमकी देती थी उसे वापिस भेजना उनका मकसद थोड़ी था आखिर कौन माँ बेटे का घर तोड़ना चाहेगी ।
” क्या हुआ मम्मी जी फोन कीजिये ना या मैं ही कर देती हूं वैसे मुझे ये सोच बुरा लग रहा है मेरे जाने के बाद सारे काम आपको करने पड़ेंगे क्योकि रिया तो किसी काम को वैसे भी हाथ नही लगाती !” राधिका रेवती जी को सोच में डूबे देख बोली और फिर फोन मिलाने लगी।
” नही नही बहू उन्हें परेशान करने की कोई जरूरत नहीं अब तुम इस घर में रहती हो ये घर और हम सब तुम्हारे है तो तुम्हारी किसी गलती पर हम ही समझाएंगे तुम्हे ….कोई जरूरत नहीं उन्हे फोन करने की ….चलो खाना खिलाओ सबको और खुद भी खाओ !” रेवती जी ने जल्दी से आगे बढ़ राधिका के हाथ से फोन लेकर कहा और बेड पर फोन रख बाहर चल दी।
राधिका मन ही मन मुस्कुरा दी और बाहर आ गई।
अब अगर आप सोच रहे हो रेवती जी बदल गई और उन्होंने राधिका को टोकना बंद कर दिया तो आप गलत है क्योकि इतनी जल्दी जो बदल जाये वो सास थोड़ी । पर हां उस दिन के बाद से रेवती जी ने कभी राधिका को मायके वालों को बुलाने की धमकी नही दी ।
दोस्तों अक्सर ससुराल में जरा सी गलती होने पर या तो मायके वालों को कोसा जाता है या उन्हें बुला शिकायत करने की धमकी दी जाती। दोनो सूरत में एक बेटी को दुख होता क्योंकि ना वो मायके वालों के खिलाफ सुन सकती है ना ससुराल में उनका अपमान सह सकती है..।
यहां आपको क्या लगता है बिना झगड़े के सास को समझा राधिका ने सही किया ???
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल