बीमार होने से किसी को फर्क नही पड़ता है – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

चालीस नम्बर की कोठी से निकल कर सोमा ने पचास नम्बर की कोठी की तरफ रूख किया,मन तो कर रहा था कि घर बापिस जाकर आराम करे बुखार से पूरा वदन दर्द कर रहा था।फिर सोचा हम गरीब कामबालों की यही मजबूरी है।तन साथ न दे तब भी काम करना पड़ता है,नहीं तो कोठी की मालकिन पैसे काटने की धमकी देने में देर नहीं लगाती।

पचास नम्बर की कोठी की घंटी बजा कर दरबाजे पर ही बैठ गई, क्योंकि बुखार के कारण खड़ी नहीं हो पारही थी। दरबाजा अम्मा जी राजबती जी ने खोला,उसे यों बैठे देख कर ,कहने लगी , क्या सोमा ? आज तो तू हर रोज से भी देर से आई है,और चल भी ऐसे रहीं हैं जैसे तेरे पांव में मेंहदी लगी हो,तू भूल गई कया कि आज तो बहू ने तुझे और दिनों से जल्दी आनेको बोला था।कयोंकि शाम को घर में पार्टी जो है, दही-बड़े कीदाल पीस कर दही बड़े बनाने है और रोज से एकदो सब्जी फालतू बनानी है।

हम अभी सब कर देंगे अम्मा जी काम पूरा करके ही घर जांयगे,आप तनिक भी चिंता मत करो।

वो जो चालीस नम्बर बाली मैडम है न पूरी कसाई है,जब उनकेघर आने पर मैंने कहा कि आज मुझे बुखार है,बसजरूरी शाम करबा लो बाकी शाम तबियत ठीक होने पर करदूंगी।

बस इतनासुनना थाकि फट पड़ी,कहने लगी ।

मैं खूब अच्छी तरह जानती हूं तुम लोगों की बहाने खोरी।

मुझे कुछ नहीं मालूम मेरा काम पूरा करो ,ये रोज का बहाना तबियत खराब का यहां नही चलेगा।पैसा पूरा लेती हो तो काम भी पूरा चाहिए मुझे।

अब आप ही बताओ अम्माजी,आप लोगन को हारी बिमारी होय तो आप लोग कितना आराम करो और फल फ्रूट खाएं साथ में ताकत ही दबाई खाओ वोअलग से ।

हम गरीब लोगों की बीमारी से तो #आप लोगों को कोई फर्क ही नहीं पड़ता#।शरीर तो हमारा भी दुखता है बुखार में।

अम्माजी ने सोमा का हाथ छुआ ,अरे सोमा तू तो बुखार में तप रही है।ऐसा कर आज तू यहीं लेट और आराम कर,मैं अभी तेरे लिए कालीमिर्च व तुलसी की चाय बनाकर देती हूं ,साथ में बुखार की दबाई भी।

दबा खाकर तू दो तीन घंटे को यही सो ले, धूप में मैंने तेरे लिए बिछावन बिछा दिया है।

और अम्माजी आराम तो मैं करलूंगी क्योंकि पूरी देह दर्द कर रही है, परंतु काम का क्या होगा?

काम की चिंता तू बिल्कुल मत कर। मैं सारा काम निपटा दूंगी।

कैसे भला , अम्माजी आप तो रोज पलंग पर लेट कर आराम करती हो फिर ये काम कर लोगी।

हां और नहीं तो क्या वो आराम तो मैं इसलिए करती रहती हूं कि सारा काम तू जो कर जाती है,ऊपर से मेरे पैरों की मालिश भी इतनी अच्छी करती है,जवकि यह मालिश करना तेरे काम में शामिल भी नहीं है।

अरे अम्माजी जी,आप भी कैसी बात करती हो, मालिश तो मैं इसलिए करदेती हूं कि आप बड़ी बूढी हो आपकी सेवा करके तो मुझे पुन्य ही मिलेगा।

अच्छा,अब तू चुपचाप जाकर सो ले तो घंटे को तब तक मैं सारा काम कर लेती हूं।हां शाम को बहू को कुछ मत बताना कि दही-बड़े और दूसरे काम मैंने किऐहै।यह मेरे और तेरेबीच की बात है।

तू इतने सालों से हमारे घर काम कर रही है जी जान लगाकर तो तू अबहमारे परिवार के सदस्य के जैसी ही है

तो जब हमारे घर में कोई बीमारहोता है तो हम उसको आराम करने को कहते हैं और दबाई देते हैं।

फिर तू तो इतने सालों से हमारी सेवा कर रही है,तो तूने यह कैसे सोच लिया कि तेरे बीमारहोने से#

#किसीको कोई फर्क नही पड़ेगा#

आगे से कभी इस तरह की बात मत कहना तू भी इन्सान है ,और हम लोग तुम लोगों का दुख दर्द भलीभांति समझते है‘।

हां घर जाते समय मुझसे पैसे लेजाना रास्ते से कुछ फल खरीद लेना और खाना,जिससे ताकत बनी रहे और तू जल्दी ठीक होकर अपना काम सम्हाले।

मौलिक व स्वर चित

माधुरी गुप्ता

नई दिल्ली

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