सही फैसला…. रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

सूनी सड़क पर.. भरी दोपहरी में.. बाइक उड़ाता कार्तिक.. पता नहीं किस दिशा में चला जा रहा था…!

 सुबह से बिना कुछ खाए पिए… खुन्नस में और दिमाग काम नहीं कर रहा था…!

 बाइक को सड़क पर दौड़ाता काफी दूर निकल गया… पहले 2 घंटे तो यूं ही गुजर गए.. दिमाग में अनेकों विचार.. द्वंद लिए.. सोचते सोचते…!

 आज फिर तनु से उसकी कहा सुनी हो गई थी… तनु खुली सोच वाली लड़की… जो हमेशा से अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी… आखिर उसे देखकर ही तो पसंद किया था उसने… 1 साल तक एक दूसरे को समय दिया… जाना.. परखा तब कहीं जाकर शादी की…!

 फिर इतनी उलझन.. इतना विवाद.. क्यों आ गया था उनके बीच…!

 कार्तिक का परिवार गांव में था.. मां, पापा, भैया, भाभी, दो छोटे-छोटे बच्चे.. भरा पूरा परिवार… वह यहां शहर में अपनी पत्नी तनु के साथ अकेला था… फिर भी इतना क्लेश क्यों था उनके बीच…!

 तनु शहर में पली बढ़ी शिक्षित लड़की.. हमेशा से नौकरी करना चाहती थी… यह बात शादी से पहले उसने कार्तिक को बता दिया था.. पर कार्तिक कभी भी इस बात को सीरियसली नहीं ले पाया… वह जब भी कहती..” कार्तिक मैं शादी के बाद सिर्फ घर में नहीं रहना चाहती… मुझे बस हाउसवाइफ नहीं बनना….!”

 वह हंस कर बोलता…” अरे पहले शादी तो होने दो…!”

 कहीं ना कहीं उसके मन में यह था कि.. एक बार शादी हो जाए तो तनु अपने विचार बदल लेगी.. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ… शादी के बाद भी तनु अपनी बात पर अड़ी रही… शुरू-शुरू में तो कार्तिक ने उसके मन को बदलने की बहुत कोशिश की… पर अपनी सभी कोशिशों को नाकामयाब होता देखकर.. वह अंदर ही अंदर हमेशा चिढा रहता था…!

 अभी दो-तीन महीने पहले पता चला कि तनु प्रेग्नेंट है… कार्तिक बहुत खुश हुआ… यह सोचकर और भी की.. तनु के मन से नौकरी का भूत उतर जाएगा.. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ….!

 पिछले महीने तनु ने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर लिया…. कार्तिक के सारे सपने धराशाई हो गए…. वह लाख मन को समझाने की कोशिश कर रहा था… लेकिन हमेशा से दादी.. मां.. भाभी.. सभी को सिर्फ घर के कामों में लगे देखने का आदि… उसका मन.. तनु का बाहर काम करना स्वीकार नहीं कर पा रहा था…!

 आज सुबह हुआ ही क्या था… उसकी छुट्टी थी.. तो उसने अलसाई स्वर में तनु से कहा…” आज मत जाओ.. कुछ टेस्टी बनाओ ना…!”

 तनु ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया… बोलकर निकल गई की…” ब्रेड रखा है.. खा लेना.. मैं जल्दी आने की कोशिश करुंगी….!”

 फिर 12:00 बजे फोन कर बोली…” मुझे थोड़ी देर हो जायेगी… अभी नहीं आ पाऊंगी… अभी तुम प्लीज.. कुछ मैनेज कर लेना…!”

 इतना सुनना था कि बाहर खाने के लिए निकला कार्तिक… गुस्से में इतनी दूर तक चला आया… कब शहर से दूर पहुंच गया… पता ही नहीं चला…!

 यहां इतनी भीड़ थी… गाड़ी निकालना मुश्किल हो रहा था… वह रुक गया.. सचमुच ट्रैफिक बहुत ज्यादा थी.. घड़ी में लगभग ढाई तीन बज रहे थे…” ओफ्फ..  यह कहां आ गया… इतनी ट्रैफिक क्यों है..!” वह अपने आप से बोला… तभी उसका ध्यान गया पास में एक कॉलेज था..” अरे.. मैं इतनी दूर कैसे आ गया..!” वह पास खड़ी गाड़ी में बैठे अंकल से पूछ बैठा..” अंकल इतनी भीड़ क्यों है…!”

 अंकल ने कहा..” वह बेटा नेट की परीक्षा थी ना आज.. कॉलेज में सेंटर पड़ा था… हो गई परीक्षा.. देखो अब थोड़ी देर में भीड़ छंट जाएगी…!”

कार्तिक को भूख तो लगी ही थी… वह अपने आसपास खाने की जगह ढूंढने लगा… उसे ज्यादा ढूंढना नहीं पड़ा… थोड़ी ही दूर पर एक रेस्टोरेंट था… उसमें जाकर बैठ गया… खाना ऑर्डर करके थोड़ा रिलैक्स होने के लिए… पीछे टिककर कुर्सी पर वहीं पड़ी एक मैगजीन उठा कर देखने लगा…!

 तभी उसे पीछे से एक जानी पहचानी सी आवाज आई … उसने पलट कर देखा… राजीव था.. कार्तिक ने थोड़ा मन बहलाने के लिए उसे आवाज लगाया.. “हाय.. राजीव..!”

 राजीव ने पलट कर देखा… उसके साथ एक सात आठ महीने के लगभग की प्रेग्नेंट महिला लग रही थी… कार्तिक उठकर उसके पास चला गया…” तुम यहां कैसे.…!”

“मेरी छोड़ तू यहां कैसे…!” राजीव ने पूछा 

कार्तिक ने बात टालते हुए कहा…” वैसे ही इधर किसी काम से आया था.. तो सोचा खाना खाता चलूं… यह तुम्हारी वाइफ….!

 “ओह हां.. जया.. यह मेरे कॉलेज का दोस्त कार्तिक है…!”

“हाय कार्तिक..!”

 “नमस्ते भाभी जी…!” कार्तिक ने जया को नमस्ते किया.. फिर राजीव से बोला… “तुम तो यार.. कहीं बाहर रहते हो ना… यहां कैसे…!”

 “जया का पेपर था यहां… इसलिए उसके साथ आया हूं… यह तो अकेले आने के लिए तैयार थी… पर ऐसी हालत में अकेले छोड़ना मुझे मुनासिब नहीं लगा… इसलिए मैं साथ ही आ गया…!”

 “लेकिन यार.. तुम तो अच्छी नौकरी करते हो… बढ़िया सेटल्ड परिवार है तुम्हारा.. फिर क्या जरूरत है भाभी को नौकरी करने की… इस हालत में इन्हें आराम करना चाहिए…!”

 राजीव हंसते हुए बोला…” अरे क्या कार्तिक.. तुम भी.. मैं सेटल्ड हूं.. इसका मतलब क्या मैं इसके सपनों को खत्म कर दूं… जया मेरी पत्नी बाद में है.. पहले एक इंसान है… हर इंसान अपनी जिंदगी में कोई लक्ष्य रखता है.. और जब हम पति-पत्नी के रूप में बंध जाते हैं… तो हमारा फर्ज होता है कि हम एक दूसरे की मदद करें.. उनके लक्ष्य को पाने में… इसलिए मैंने फैसला किया कि… मैं हर हाल में अपनी जया का साथ दूंगा…!”

 अब तक उनका खाना आ चुका था…!

 कार्तिक अपनी मेज पर चला गया… उसने खाने का आर्डर कैंसिल करके एक कॉफी मंगाई…कुर्सी पर बैठकर पिछले तीन घंटों से साइलेंट पड़े अपने फोन को बाहर निकाला..…!

 तनु के दस मिस्ड कॉल थे… उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया… और फिर उसने भी एक फैसला किया… जिंदगी में आगे फिर कभी तनु के सपनों के बीच में नहीं आने का…!

 तुरंत तनु को फोन लगाया.. तो बेचारी परेशान हाल हो रही थी… बोली..” कार्तिक.. कहां हो.. मैं तो एक बजे से ही घर आ गई… कब से तुम्हारे पसंद का खाना बनाकर.. तुम्हारा इंतजार कर रही हूं… इतने फोन कॉल्स किए…!”

 “सॉरी तनु… बहुत-बहुत सॉरी.. मुझे माफ कर दो… कुछ काम आ गया था अचानक… तुम्हें बता भी नहीं पाया… बस दो-तीन घंटे में घर पहुंचता हूं… अपनी सारी गलतियों के लिए सॉरी… मैं आ रहा हूं… खाना साथ ही खाएंगे…!” बोलकर उसने फोन रखा और बाहर निकल गया.. घर की तरफ.. एक नए जोश में नई शुरुआत करने…..!

स्वलिखित

रश्मि झा मिश्रा

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