फैसला – डॉ इरफाना बेगम : Moral stories in hindi

रश्मि ने हाल ही में एक सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल में अस्थाई शिक्षिका के रूप में नौकरी हासिल की। उसका काम स्कूल में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को आयोजित करना था जिसके लिये कुछ सत्रों के लिये रश्मि खुद लेती थी जबकि स्वास्थ्य आदि के कार्यक्रमों के लिये विशेषज्ञों को बाहर से बुलाया जाता था। 

बीते सप्ताह का कार्यक्रम भोजन और किशोर स्वास्थ्य। जिसमें बच्चों को बेहतर खान पान के अलावा किशोर स्वास्थ्य पर बातचीत करनी थी। कार्यक्रम में लेक्चर के अलावा गतिविधियां भी होनी थी। तय समय पर बच्चे क्लास में गये और कार्यक्रम शुरू हो गया। पहले तो बच्चों से खाने पीने के बारे में बात चीत की गई  

कार्यक्रम मे लगभग चालीस बच्चे शामिल थे। बच्चो से खाना पानी आदि पर बात करते हुए उनके शरीर के विकास के बारे में बातचीत की जा रही थी। शुरू में सामूहिक सत्र में बच्चे ठीक से भाग ले रहे थे लेकिन जब शरीर के अंगो के विकास की बात आई तो समूह में लड़के और लड़कियां साथ होने के कारण झिझकने लगे। वो सवालो के जवाब देने से कतराने लगे। तो फैसला लिया गया की बच्चों को दो समूह में बाँट दिया जाये एक में सिर्फ लडकिया हों और दूसरे में सिर्फ लड़के। 

बच्चों को गुड टच और बैड टच की जानकारी देने के बाद उनको एक छोटी सी पर्ची दी गई जिसमे उन्हें लिखना था की क्या उन्होंने अपनी लाइफ में कभी भी बैड टच फील किया है। यदि हाँ तो किसने उनके साथ ऐसा करने की कोशिश की और उससे बचने के  लिए उन्होंने किसका साथ लिया। बच्चों को कागज़ की उस पर्ची पर अपना नाम नहीं लिखना था ही ऐसी कोई बात लिखनी थी जिससे पहचाना जा सके की वो किसकी पर्ची है। 

उनसे पूछा गया की क्या उनमें से किसी ने बैड टच को महसूस किया है तो किसने उसके साथ गलत करने की कोशिश की है उसका रिश्ता जैसे पडोसी या कोई रिश्तेदार या दोस्त आदि बस इतना ही लिखना था। 

इस सवाल से प्रीषा थोडा असहज हो गई फिर उसने सवाल किया कि ‘मैडम जैसा कि बताया गया कि शरीर के कुछ खास हिस्सों को किसी दूसरे व्यक्ति का छूना या जो टच आपको असहज करती हो वह बैड टच में आती है तो क्या अगर कोई लडकी किसी लडकी को छूती है जिससे असहजता होती है वह भी बैड टच होता है।‘ मैडम ने कहा ‘हां वह कोई भी हो अगर आपको उसका छूना असहज कर देता आप उससे परेशान होते हैं तो वह बैड टच होता है।‘ तब प्रीषा ने कहा कि ‘मैम मै तो नाम के साथ लिखना चाहती हूं क्योंकि मै इतनी दुखी हो चुकी हूं कि अब लगता है किसी दिन मै अपने आप को नुकसान पहुचा लूं।‘

मैडम ने प्रीषा को अकेले ले जाकर पूछा कि ‘क्या बात है क्यों परेशान हो अगर तुम्हे लगता है कि तुम अपनी समस्या मेरे साथ बाट सकती हो तो ध्यान रहे कि कि यह बात हम दोनो के बीच ही रहेगी और मै अपनी कोशिश में तुम्हारी पूरी मदद करूगीं।‘ 

प्रीषा ने बताया कि ‘उसकी मां सौतेली हैं उसे बहुत प्यार करती थीं। पिछली छुट्टियों में मै उनके साथ उनके मायके गई तो उनके भाई के बेटे ने मेरे साथ गलत करने की कोशिश की। चूकि मुझे लगता था कि मां मुझे प्यार करती है तो मुझे समझेगीं और हमेशा यह सुनती आई हूं कि जब भी गलत हो सबसे पहले मां को बताओ। मैने भी अपनी मां को मामा के बेटे का कारनामा बताया लेकिन मां मेरा साथ देने की जगह मुझे ही कसूरवार बताने लगीं यहां तक कि जब तक हम लोग वहां रहे उन्होंने मुझे अपने साथ तो रखा लेकिन ठीक से तैयार भी नहीं होने दिया और पापा से कह दिया कि इसका ध्यान हमें ही तो रखना है। मुझे लग रहा था कि अपने घर जाने पर सब ठीक हो जायेगा लेकिन यह गलतफहमी थी।‘ 

‘घ्र आने के बाद मां ने मुझे हास्टल भेजने की ठान ली और कहा कि दिन भर सहेलियों के साथ रहकर उल्टी सीधी चीजे देखते हुये मैं बिगड रहीं हूं दिमाग मे फितूर भर रहा है। एसा ही रहा तो मै उनका मायका छुडवा दूगीं। और मुझे हास्टल भेज दिया गया।‘ 

‘यहां आकर मुझे भी लग रहा था कि सब कुछ ठीक हो गया लेकिन एक दिन हास्टल वार्डेन ने मुझे अपने क्वार्टर में बुलाया पहले तो ठीक ठाक बातें करती रहीं फिर बोलीं कि मै अकेले रहती हूं तुम यहीं जाया करो। पहले तो मुझे वह बहुत ही अच्छी लगी फिर एक दिन बोली कि आज मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है तुम क्या रात में यहीं रूक सकती हो? मुझे लगा यह तो काफी मदद करने वाली हैं आज मै इनके पास रूक जाऊं तो कोई बुराई नहीं है। और मै उनके क्वार्टर में रूक गई ।‘

‘रात में मुझे लगा कि मेरे शरीर पर कुछ रेंग रहा है पहले तो मैं थोडा डरी लेकिन आंख खोल कर देखा तो वार्डन मुझ पर झुकी हुई थीं और उनका हाथ मेरे शरीर पर चल रहा था। मैने उनसे दूर होने को कहा तो उन्होंने कहा कि वह सपने में डर गई थीं इसलिये मेरे पास गईं। मुझे कुछ अजीब लगा लेकिन मैने किसी से कुछ नहीं कहा मेरी खामोशी को वह मेरी कमजोरी समझने लगी हैं। अब अक्सर मुझे घर बुलाती है मैं उनके खिलाफ कुछ भी नहीं कर पा रही लेकिन मुझे वहां जाना अच्छा नहीं लगता।‘ 

रश्मि ने पूछा ‘अगर आपको वहां जाना अच्छा नहीं लगता तो क्यों जाती हैं? इस पर प्रीषा ने कहा कि वह कहती है कि अगर हम उनका कहना नहीं मानेंगे तो वह मेरी शिकायत करेंगी मुझे स्कूल से निकाल दिया जाये और घर में भी मेरा कोई बहुत मान नहीं है इसलिये बहुत मुश्किल से इस फैसले पर पहुचं कर आपसे बात कर पाई हूं।‘ 

रश्मि को अब कोई सख्त फैसला लेना था। लेकिन इससे उसकी नौकरी भी जा सकती थी किन्तु बच्चों की भलाई के लिये रश्मि ने वार्डेन से बात करने की कोशिश की लेकिन वार्डेन ने प्रीषा की बात से इन्कार कर दिया और कहा कि ‘मै तो इसे  बहुत सीधा समझती थी और यह तो बहुत ही जालसाज निकली। और हां मैडम आप इसकी बात मत आइये ज्यादा दखलअन्दाजी मत कीजिये वर्ना जो नौकरी है वह भी चली जायेगी।‘ वैसे तो रश्मि को लगता कि यह सामान्य बात है पर वार्डेन का धमकी देना बता रहा था कि कहीं कुछ गडबड है इसलिये वार्डेन को पकडना होगा लेकिन वार्डेन प्रीषा से सतर्क हो गई थी तो कुछ और रास्ता देखना होगा।

रश्मि ने यह सारी बातें स्कूल प्रिंसिपल से बताई। पहले तो किसी को यकीन नहीं हुआ फिर रश्मि से पूछा गया कि अब इसका हल क्या हो सकता है? रश्मि ने कहा कि ‘जिस तरह पहली गतिविधि पर्ची में लिखाई गई थी उसी तरह की गतिविधि बच्चों से फिर से कराई जाये जिसमें उनसे पूछा जाये कि क्या उन्होंने स्कूल या हास्टल से सम्बन्धित किसी व्यक्ति से बैड टच फील हुआ है यदि हां तो वह कौन है।‘

यह सारी बाते वार्डेन की अनुपस्थिति में हुई थीं तो उनको बच्चों का डराने का मौका नहीं मिला और कई सारी लडकियों का उनके खिलाफ उन पर्चियों में लिखा यह सबूत प्रिंसपल को फैसला लेने में सहायक हो गया। अब प्रिंिसपल भी सजग हो गई हैं कि बच्चों को गुड टच बैड टच के बारे में बताते वक्त यह भी बताना जरूरी हो गया कि जरूरी नहीं है कि बैड टच सेम जेन्डर में भी हो सकता है जरूरी नही है कि सामने वाला विपरीज जेन्डर का हो। साथ ही बच्चों के अभिाभावकों को भी नियमित रूप से इस विषय पर चर्चा की जाती है जिससे वह अपने बच्चों को समझ सकें।

डॉ इरफाना बेगम

नई दिल्ली

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