राहुल देख रहा था मानसी कल से गाल फुलाए हुए हैं बात नहीं कर रही है चाय , नाश्ता, खाना सब चुपचाप रखकर चली जाती है। राहुल के समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मानसी क्यों रूठी हुई है। बात करने पर भी ज्यादा बात नहीं करती है बस छोटा सा जवाब देकर चली जाती है।
राहुल आज आफिस से आया तो मानसी की नाराज़गी दूर करने को एक फूलों का गुलदस्ता ले आया मानसी को गुलाब के फूल बहुत पसंद थे । राहुल घर आया तो मानसी चाय लेकर आई और कप टेबल पर रखकर जैसे ही जाने को मुड़ी तो राहुल ने उसका हाथ पकड़ लिया और गुलदस्ता उसके सामने कर दिया लेकिन फिर भी मानसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी ।
राहुल बोल पड़ा क्यो नाराज हो जानेमन ।मानसी बोली कुछ नहीं छोड़ो मेरा हाथ । राहुल बोला अरे मान भी जाओ मानसी क्यों नाराज़ हो जब-तक बताओगी नहीं हमें पता कैसे चलेगा कि तुम क्यों नाराज़ हो मानसी नाराजगी में ही बैली हां अब तो नाराज़ होने का कारण भी बताना पड़ेगा पहले तो आप सब बिना बताए ही समझ जाते थे। अच्छा चलो माफ कर दो मैडम अब बता भी दो क्या बात है। अच्छा इधर आओ जरा पास बैठो जरा प्यार मोहब्बत की बातें करें । प्यार मोहब्बत अब कहां रहा हमारे बीच मानसी बोली पड़ी ।
राहुल बोला क्यों ऐसा क्यों कह रही हो ।और क्या अब तो आप मेरी तारीफ भी नहीं करते , मेरे तैयार होने पर पहले आप मुझे कितना गौर से देखते थे फिर बोलते थे मानसी इतना तैयार न हुआ करो मैं तुम्हें देखु तो ठीक है कोई और तुम्हारी तारीफ करें ये मुझे बर्दाश्त नहीं है ।मैं जब खाना बनाती थी या नाश्ते में कोई नई डिश बनाती थी आप कितना चटकारे लेकर खाते थे कितनी तारीफ़ करते थे और कितना अच्छा बनाती हो खाना बार बार बोलते थे ।तो अच्छा इस बात पर नाराज़ हो ।
हां कल शादी समारोह में जाने के लिए आपके मनपसंद की साड़ी पहनी थी और तैयार भी अच्छे से हुई थी पर आपने एक बार भी नहीं कहा कि बहुत अच्छी लग रही हो और ये भी कहते थे कि पार्टी में सबपर बिजलियां गिराओगी क्या । राहुल हंसने लगा अरे मानसी समझा करो यार शादी के पंद्रह साल हो गए तुम्हें देखते देखते थक गया हूं क्या वही रोज रोज तारीफ करना राहुल ने मजाक किया ।मानसी फिर रूठ गई तो आप मुझसे बोर हो गए हैं । जाइये अब मुझे आपसे बिल्कुल भी बात नहीं करनी है।
अरे नहीं नहीं जानेमन मैं तो मजाक कर रहा था तुम तो अभी भी उतनी ही सुन्दर लगती हो जैसे पंद्रह साल पहले थी । बात बात में तारीफ नहीं करता तो वो अलग बात है पर तुमसे अच्छा तो कोई और है ही नहीं मेरी नज़र में ।
अब हमलोग थोड़े पुराने हो गए हैं धीरे-धीरे मन की भावनाओं को व्यक्त करने को शब्द कम पड़ने लगते हैं । तारीफ न करने से हम दोनों का आपस का प्रेम तो कम नहीं होता न , प्यार हर वक्त जाहिर करने की चीज नहीं होती है।हम एक दूसरे को मन से चाहे मन से प्यार करें हृदय की गहराई यों में समाया होता है
प्रेम दिखाने की वस्तु नहीं है ।हम एक-दूसरे का सम्मान करें और हमेशा एक दूसरे से प्यार करें इज्जत करें , प्यार तो धीरे-धीरे परिपक्व होता है उसृखंल नहीं । गम्भीरता आती जाती है स्वभाव में और आंखों में समा जाता है प्यार और फिर दिल में उतर जाता है पति पत्नी का सौन्दर्य प्यार और समर्पण समझी मेरी जान।तुम चांद और मैं तेरी चांदनी,तुम सांस और मैं तेरी धड़कन।ये सब सुनकर मानसी का गुस्सा कआफूर हो गया और वो राहुल के सीने से लगकर भावविभोर हो गई ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश