क्यूँ मार रही है संजना बेटा (बहू) रोहनी को??
बहुत देर से पोती के रोने की आवाज सुन जब ससुर नरेश जी पर बर्दाश्त ना हुआ तो बहू के कमरे में ही संजना से पूछने आ गए…..
जबकि नरेशजी की पत्नी सुमनजी ने मना भी किया कि आप जानते है बहू का स्वभाव …. मत ज़ाईये…. हमारा कोई अधिकार नहीं रहा अपनी लाडो पर …..
चुप करो तुम …. बहू गुस्सा हो य़ा दो चार सुना ले मुझे…. पर अपनी लाडो का रोना ना देखा जाता मुझ पर …. वैसे ही कितनी कमजोर है ….. कितना डरती है वो अपनी महताई से…..
यह बोल चले आयें है नरेशजी उनकी लाडो रोहनी के पास …..
ससुरजी के पूछने पर गुस्से में संजना बोली….
आप और मम्मीजी की वजह से ही पापा ये ऐसी हो गयी है …. कुछ नहीं पढ़ती…. देखिये…. कितने नंबर आयें है इसके… हिंदी में 10 में से 5 ,, इंग्लिश में 10 में से 6,मैथ्स में तो 10 में से 4 और सभी सब्जेक्ट में ऐसे ही नंबर लायी है …. और वो सामने अनीता रहती है उसकी बेटी कियाना ने सबमें 10 में से 10 आयें है …… वो अकेले रहती है पति बच्चों के साथ …खोई दखलंदाजी नहीं किसी की….
मारूँ नहीं तो क्या करूँ ….. अब भी कह रही अभी नहीं पढूँगी …. बाबा के साथ पार्क जाऊंगी खेलने…. तब आकर पढूँगी…… ज़िद पकड़कर बैठी है …..
संजना बोली….
हाहा….. बहू… कितने तो अच्छे नंबर लायी है लाडो….. हमारे ज़माने में 10 में से 4 नंबर पास माने ज़ाते…. साड़े तीन को भी चार माना जाता …. जिसके इतने नंबर आ ज़ाते वो मेहनती बच्चा माना जाता…… मेरे सूरज (बेटे) के तो कभी पास होने भरके भी नंबर ना आयें….. देख आज कितने बड़े ओहदे पर पहुँच गया है ….. हमने तो कभी ना डांटा अपने बचवा को….. दो नंबर भी लाता था वो तो पीठ थपथपाता था मैं …. कि शाबाश अगली बार तीन लाना…. अभी 6 साल में कलेक्टर ना बन जायेगी रोहिनी….. चुप कर ….मारना बंद कर इसे…..
नरेश जी ने पोती रोहिनी को अपनी ओर खींच लिया …. उसके आंसू पोंछे….
रो मत बेटा…….. बहुत बढ़िया नंबर लायी है …. चल पार्क चलते है ….. मूड भी तो ठीक करना है अपनी लाली का…. खून भी कम हो गया होगा मेरी लाडो का…. चल तुझे जूस पिलाता हूँ…..
नरेशजी रोहिनी को लेकर दो कदम आगे बढ़े ही होंगे…. तभी संजना ने खींचकर रोहिनी को अपनी ओर लिया ……
नरेश जी अचंभित रह गए…..
पापा जी…. मेरी रोहिनी पर सिर्फ मेरा अधिकार है …..इसे मैने 9 महीने पेट में रखा है …… इसे मारूँ य़ा पीटूँ …. आपको क्या मतलब…. वो ज़माने चले गए… आज कल 10 में से 9 नंबर भी कम ही माने ज़ाते है ….. आप लोगों की वजह से ही ये ऐसी हो गयी है…..ज्यादा परेशान करेंगे तो हम चले जयेगे कहीं और रहने…….
संजना रोष में बोली….
जा चली जा फिर … धमकी मत दिया कर रोज रोज… लाडो दूर रहेगी तो चाहे तू उसके साथ कुछ भी करे … आवाज तो नहीं पड़ेगी कानों में….. तो तकलीफ भी नहीं होगी…. ऐसे रोता तो नहीं देख सकते अपनी गुड़िया को….
संजना की बात सुन सास सुमनजी भी ससुर के पक्ष में बोली….
अम्मा…… बाबा…. मैं कहीं नहीं जाऊंगी…. मुझे तो आपके साथ रहना है …..
न्नही रोहिनी अम्मा से चिपक गयी….
संजना ने रोहिनी का हाथ पकड़ अपनी ओर लिया ….
ठीक है माँ जी…. आज ही बात करती हूँ इनसे…. अब हम नहीं रहेंगे इस घर में ….
ये बोल संजना ने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया ….
जब नौकरी कर शाम को पति सूरज़ घर आया….. तो संजना रोहिनी के नंबर दिखाते हुए बोली…
देख रहे हो…….ये लड़की बिगड़ गयी है अम्मा बाबा के लाड़ में…. ये मेरी बेटी है ….. अब हम इस घर में नहीं रहेंगे…. कहीं और घर देख लो…. सुन रहे हो ना ….
संजना मुस्कराते हुए पति सूरज से बोली…
वाह बेटा… क्या नंबर लायी है …… पहली साल पढ़ने गयी है …. ये तो बहुत अच्छे नंबर है …..
और दूसरी बात तुमने कहा कि रोहिनी तुम्हारी बेटी है तो मैं भी अपने माँ पापा का एकलौता बेटा हूँ…. उनका मुझ पर पूरा अधिकार है ….. जन्म दिया है मुझे माँ ने…… तुम्हारे हवाले कर दिया उन्होने मुझे…. कितनी तकलीफ होती होगी जब उनका लाल शादी के बाद उनके पास ना बैठकर , उनसे बात ना कर सीधा तुम्हारे पास आ जाता हूँ…..सिर्फ तुम गुस्सा ना हो जाओ इसलिये….जब ऐसा व्यवहार तुम्हारी बेटी य़ा बेटा तुम्हारे साथ करेंगे ना तो तुम्हे माँ पापा का दर्द महसूस होगा संजना……. रोहिनी नसीब वाली है जो उसे अम्मा बाबा का प्यार मिल रहा है… आज के ज़माने में तो बच्चे अपने बाबा अम्मा के प्यार को तरस ज़ाते है …. पर तुम भी उनसे अलग नहीं…. तुम भी वही करने जा रही हो…… मैं नये घर का इंतजाम कर देता हूँ…. तुम रोहिनी को लेकर वहां चली जाओ…. क्युंकि वो तुम्हारी बेटी है और मैं बुढ़ापे में माँ पापा को छोड़कर नहीं जा सकता क्यूँकि मैं उनका बेटा हूँ… उनका अधिकार है मुझ पर …. रोज रोज की क्लेश से मैं भी परेशान हो गया हूँ संजना… दो प्यार भरे बोल तो नहीं तुम्हारी पंचायत सुननी पड़ती है मुझे…. आज तक माँ पापा ने मुझे कुछ नहीं बताया कि मेरे जाने के बाद घर में क्या होता है …. वो तो हंसते हुए ही मिलते है …. पर तुम काली माँ बनी रहती हो….. ठीक है अब सोने दो…. थोड़े दूर पर एक घर खाली है ,, नंबर है मेरे पास…. बात कर लूँगा… चली जाना कल ही….
इतना बोल सूरज तो सो गया…. पर संजना की आँखों से नींद गायब थी…..
अगले दिन सुबह होते ही संजना ने रोहिनी से कहा …. जा बाबा से कह दे…. तुझे बस तक कर आयें… रोज बोलते है …..
क्या मम्मा…… सच में…. बाबा छोड़ने ज़ायेंगे मुझे…. आज तो सबको चिढ़ाऊंगी कि देखो मेरे बाबा है ये….. तुम्हारे बाबा कहां है ??
हां बेटा…. अबसे बाबा ही छोड़ने जायेंगे तुझे…. और पार्क भी रोज जाया कर …. तुझ पर मेरे अलावा तेरे बाबा, अम्मा , पापा सबका अधिकार है ….
संजना रोहिनी को प्यार करती हुई बोली……
पास में बेड पर सोते पतिदेव सूरज बोले….
और मुझ पर डार्लिंग किसका हक है …..
संजना शर्मा गयी……
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा