क्यूं री चंदा अभी तक लेटी है नाश्ता खाना नहीं बनेगा क्या और घर का काम कौन करेगा जानकी जी की कड़कती आवाज आई जरा सी बेटे ने डांटा क्या दिया बैठी जाकर कोप भवन में। क्यों बकवास करती रहती है पति से बिना मतलब के उसका दिमाग खराब करती रहती है।अब तुम पर बस हम लोगों का अधिकार है तेरे मां बाप का नहीं जो रोज़ रोज़ मायके जाने की जिद पकड़े रहती है। तेरे मां बाप का अब तुझपर कोई अधिकार नहीं है उनका अधिकार तुम पर तो उसी दिन खत्म हो गया था जिस दिन तू विदा होकर इस घर आ गई थी समझी ।पर, मां जी वो मम्मी बीमार है ,,,,,,,,बस जानकी जी जोर से चिल्लाई मर तो नहीं गई है न अब चल चुपचाप से उठ जा बहुत हो चुकी तेरी नौटंकी मेरे लिए नाश्ता बना।
चंदा अपने मां बाप की इकलौती संतान थी । बहुत सम्पन्न घर तो नहीं था चंदा का मायका ठीक ठाक था पिता जी गांव के एक सरकारी स्कूल में टीचर थे । चंदा देखने सुनने में बहुत सुंदर थी तो मां बाप ने चंदा नाम रख दिया था।
जब से चंदा की अजय की शादी हुई है वो एक बार ही मायके गई है आठ महीने हो रहे हैं शादी को । अभी तीन दिन पहले ही चंदा को पता लगा कि पिता जी स्कूल से आते वक्त एक स्कूटर से टकराकर गिर गये थे तो पैर की हड्डी टूट गई है और मां भी बीमार रहती है उनको अस्थमा है इसलिए ज्यादा चल-फिर नहीं पाती सांस फूलने लगती है । मां का फोन आया चंदा के पास बिटिया कुछ दिन को घर आ जाओ तो पिता जी की भी थोड़ी देखभाल हो जायेगी और मुझे भी सहारा मिल जायेगा तूझे तो पता है मैं ज्यादा चल-फिर नहीं पाती हूं ।
अब पिता जी को तो पलस्तर बंधा है उन्हीं के स्कूल के दूसरे मास्टर ने डाक्टर को दिखा दिया था लेकिन घड़ी घड़ी किसको बुलाऊं तुम आ जाती तो अच्छा रहता। पिता जी के एक्सीडेंट का सुनकर चंदा व्याकुल हो गई उनसे मिलने को और सहयोग करने को । सोंचने लगी कितने परेशान हो रहे होंगे मां पिता जी मैं होती तो थोड़ी मदद मिल जाती ।इसी बात आज उसने अजय से बात की तो अजय भड़क उठा अच्छा तुम्हें जब देखो मां पिता जी के पास जाना होता है और यहां , यहां कौन देखेगा सबकुछ मां को वीपी रहता है और मेरा काम ये सब कौन करेगा ।
चंदा बोल पड़ी अजय मां इतनी तो बूढ़ी नहीं है कि कुछ दिन घर को नहीं देख सकती और फिर कुछ दिन को दीदी (ननद) भी तो आती रहती है कुछ दिन को उनको बुला लो ।। वैसे भी दीदी आती है तो पंद्रह पंद्रह दिन रह जाती है अच्छा अजय चिल्लाया इस घर की जिम्मेदारी तुम्हारी है कि दीदी की अब क्या यहां आकर दीदी घर का काम करेगी।तुम पर सिर्फ मेरा हक है और इस घर की जिम्मेदारी तुम्हारी इतना कहकर अजय अपने काम पर निकल गया ।तो चंदा ने गुस्से में आकर नाश्ता नहीं बनाया और कमरे में जाकर लेट गई।
चंदा ने अजय को फोन किया अजय मां को अटैक आया है गिर पड़ी है जल्दी आओ ।अजय फटाफट घर आया ऐम्बुलेंस बुलाई और मां को भर्ती कराया अस्पताल में । डाक्टर ने पूछा कि क्या हो गया था तो चंदा ने बताया कि मां बाथरूम गई थी थोड़ी देर में हमने देखा कि मां वहां गिरी पड़ी थी तो तुरंत अस्पताल ले आए । डाक्टर बोला सही किया यदि देर हो जाती ट्रीटमेंट मिलने में तो मुश्किल हो जाती । स्थिति कंट्रोल में होने पर अजय ने बहन करूणा को भी फोन किया ।
करूणा मां के सिरहाने बैठी सिर पर हाथ फेर रही थी तभी करूणा की सांस का फोन आया हेलो करुणा समधिन जी कैसी है बेटा तुम अपने मां की अच्छे से देखभाल करो यहां की चिंता मत करना और हां मेरा पोता भी ठीक है हम दोनों खूब मस्ती करते हैं उसकी भी चिंता मत करना बेटा जब मम्मी अच्छे से ठीक हो जाए तभी आना । तुम्हारा भी तो फर्ज है मां की देखभाल करना।। चंदा अकेले परेशान हो जाएगी।
फोन पर की हुई सारी बातें जानकी जी सुन रही थी वो सोचने लगी एक मैं हूं और एक चंदा की सांस है दोनों में कितना फर्क है आज चंदा की वजह से ही मैं बच पाई हूं मुझे उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। आखिर उसके माता-पिता भी तो है।
एक हफ्ते बाद जानकी जी अस्पताल से घर आ गई। चंदा और करूणा ने सब अच्छे से संभाल लिया। जानकी जी ने चंदा को आवाज दी चंदा बेटा जरा यहां आना। अपने लिए इतना प्यार भरा संबोधन सुनकर चंदा चौक गई जानकी जी के पास आकर बोली जी मम्मी, जानकी जी बोली बेटा तुमने बड़े अच्छे से मेरी देखभाल की , तेरे पापा का एक्सीडेंट हुआ और मैंने तूझे जाने न दिया ।जा बेटा जा तैयारी कर लें चली जा पिता जी के पास मिल आ अजय छोड़ आयेगा तूझे । तब-तब करूणा रहेगी मेरे पास देखभाल के लिए ।जा एक हफ्ते रह आ मिल आ अपने माता-पिता से।सास का इस तरह से हृदय परिवर्तन देखकर चंदा जानकी जी के गले लग गई और आज उसकी आंखें छलछला आई जी मां जी बस इतना ही बोल पाई और खुशी खुशी अपना सामान बांधने लगी ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
Aisi SaaS Problem samajh Jaye jab dusre koo phone pe suna tho akal aayi Chalo aayi tho