रोशनी थकी हारी नौकरी से शाम 7 बजे घर आयी …. आते ही अपनी 2 साल की बेटी को लेकर लेट गयी…. उसे दूध पिलाकर सुला ही रही थी कि उसकी भी नींद लग गयी… नींद आना भी वाजिफ है भई सुबह 5 बजे उठती है रोशनी … उठते ही बेटी के पास तकिया रखती है …. पतिदेव खर्राटे ले रहे होते है … पति को भी दोष देना सही नहीं…..बेचारा पति शिवम भी सुबह का गया रात को ही घर पहुँचता है …. बस खाना खाते ही नींद सताने लगती है उसे ….. तो रोशनी शिवम को सुबह नहीं उठाती… बेटी के पास तकिया रख लग जाती है घर के कामों में…
झाड़ू कर किचेन में ज़ाती है …. नाश्ता बनाती है …. सासू माँ रमाजी भी बहू का हाथ बंटाने आ जाती है …. ये मत कहना कि बिना नहाये किचेन में चली गयी….भ्ई आजकल ये सब फोलो करना बहुत ही जटिल होता जा रहा है…..दोनों सास बहू मिलकर खाना तैयार करते है ….. बस रोटी बाद में बनती है…..तब तक घर का पुरूष वर्ग भी उठ चुका होता है …. सभी को चाय नाश्ता दे रोशनी झट से गुसलखाने में ज़ाती है …. उसकी नजर उठते ही हर 15 मिनट में गेस्ट रूम में लगी दीवार घड़ी पर ज़ाती रहती है ….. आखिर रोशनी को भी 9 बजे ऑफिस के लिए जो निकलना है …. नहाकर बस तुलसी में जल चढ़ाने का समय ही मिल पाता है रोशनी को… ये बताना तो भूल ही गए कि बीच में 6 बजे बिटिया भी उठ चुकी थी… उसे पोटी कराती है रोशनी… फिर सासू माँ पोती की मालिश के लिए उसे अपने कमरे में ले आती है …..
रोशनी पूजा करके आकर बेटी को संभालती है … इस बीच घर के सभी पुरूष अपना अपना लंच लेकर अपनी कर्मभूमि की ओर रवाना हो चुके है …. सभी दूर ज़ाते है ……तीन आदमी है घर में ….. पति , ससुर जी और रोशनी का नटखट देवर….
फिर सासू माँ नहाकर आती है …. बेटी को पास में ही खिलाती हुई रोशनी कटोरी में चाय ठंडी कर पीती है … चाय क्या बस फोर्मैलिटी हो पाती है… अपना लंच लगाके खुद तैयार होती है …. शीशे के सामने फुरसत से खुद को निहारने का समय भी नहीं मिल पाता रोशनी को…. अब वो बस घड़ी को देख रही है …. सासू माँ की घंटी कब बंद होगी जब वो बेटी को उन्हे सौंप ऑफिस के लिए निकलेगी….. घंटी की आवाज बंद होती है …. रोशनी चैंन की सांस लेती है … सासू माँ रमा जी भी तेज कदमों से आ पोती को गोद में लेती है …. अब तू जा बेटा…..
यह बोल सास के,,रोशनी के चेहरे पर मुस्कान ला देते है ….. रोशनी एक आत्मनिर्भर बहू है … स्कूटी पर कपड़ा मार हेलमेट लगा बहुत सी ज़िम्मेदारियों को ले चल पड़ी है ऑफिस की ओर… कितना भी कोशिश कर ले वो 10-15 मिनट तो लेट हो ही ज़ाती है ….
आज नींद कुछ ज्यादा ही आ गयी रोशनी को… उठी तो रात के 8 बज चुके थे… ससुरजी भी आ चुके थे…. रसोईघर से जोर जोर से बरतनों की आवाज आ रही थी….कूकर सीटी दे रहा था….रोशनी घबराकर उठी…. रसोई में गयी तो सासू माँ रमा जी आटा गुन्थने में लगी थी…. उनके गाल फूले हुए थे….. वो कुछ नहीं बोल रही थी…..
रोशनी सकपकाती हुई रमा जी के पास आकर खड़ी हो गयी…. वो थाल में चावल लेने लगी….
दिख नहीं रहा चावल ही बन रहे है कूकर में…. सारा खाना बन चुका है …. निमोना , दाल चावल, कलौंजी …..
इतना बोल रमाजी ने तवे को गैस पर रखा… वो बस पहली लोई बना ही रही थी….
आज रोशनी को लगा मम्मी जी ज्यादा ही रूँठ गयी है …. रूँठे भी क्यूँ ना …. आज मैं सच में बहुत देर सो गयी…..
रोशनी ने रमा जी के हाथ से लोई ली….. गैस बंद की…. पास में ही रखे स्टूल पर रमा जी को बैठाया….
क्या कर रही है ….
रमा जी उठते हुए बोली….
पहले बैठिये आप….
मम्मी जी…. सोरी…. मुझे पता है इस उमर में जब आपको आराम की ज़रूरत है … इतनी बिमार रहती है …… फिर भी सुबह से शाम तक बिट्टो की देखभाल करती है … उसके आगे पीछे डोलती है …. जब दो चार घंटे में मुझे इतना परेशान कर लेती है ये…. तो आपको कितना भगाती होगी….. देखिये कितनी दुबली हो गयी है आप….. कल से नहीं सोऊंगी ….. माफ कर दीजिये …..
रोशनी ने रमा जी के झुर्री पड़े गालों को चूम लिया …..
रोशनी के प्यार भरे स्पर्श से रमा जी का गुस्सा तो जैसे छूमंतर हो गया…..
हट पगली…. तू भी तो मर्द और औरत दोनों के जैसे काम कर रही है …. मैं तो घर पर ही रहती हूँ…बिट्टो तो मेरी जान है …. उसी ने इतनी बड़ी बिमारी से निकाल दिया मुझे…. बस थोड़ी थकान ज़रूर हो ज़ाती है पर अकेला घर भी तो काटने को दौड़ता है …. तू कई दिनों से निमोना की बोल रही थी तो आज बना दिया…..
रमा जी रोशनी पर लाड़ दिखाते हुए बोली….
मम्मी जी….. आप बेस्ट सास हो…. आई लव यू ….
रोशनी रमाजी के सीने से लग गयी….
खाना बना नहीं क्या अभी ?? पेट में चूहे कूद रहे है …..
ससुर जी की आवाज आयी ….
जी लायी पापा जी….
दोनों सास बहू खिलखिलाकर हंस पड़ी…..
रोशनी ने रोटी सेंकना शुरू किया ….
छोटी सी बिट्टो बाबा के पास बैठी उनके हाथों से खाना खा रही थी……
ये पापा की , ये बाबा की, ये अम्मा की बोल बाबा ने ना जाने कितने कौर बिट्टो को खिला दिये होंगे….
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा