निशा बेटा चाय पियोगे “
“हां मम्मी जी मैं बना रही हूं “
“अरे नहीं तुम बैठो मैं बना लेती हूं रोज़ तुम ही मुझे चाय पिलाती हो”
“कोई नहीं मम्मी मैं फ्री हूं मैं चाय बना कर लाती हूं फिर बैठे गप्पे मारे जाएंगे”
” हां निशा तुमसे कुछ बहुत जरूरी बात करनी है”
चाय की चुस्की यों के साथ बातों का सिलसिला शुरू हुआ। “देखो निशा तुम यह मत समझना कि मैं तुम्हें दुख पहुंचाने के लिए सब बातें बता रही हूं पर तुम्हारा कुछ बातें जान लेना बहुत जरूरी है ।तुम्हारी शादी को ऐसे तो 1 साल होने को आ गया है पर तुमने ध्यान दिया होगा कि 1 साल में हमारी रिश्तेदारी में जो भी शादियां पड़ी थी मोहित उसमें नहीं गया।
हां मम्मी जी मैंने सोचा इन्हें छुट्टी नहीं मिलती होगी ।
नहीं निशा छुट्टी की तो कोई दिक्कत नहीं है दरअसल एक बात है ,मैं समझ नहीं पा रही हूं तुम्हें कैसे बताऊं ।एक लड़की थी मिनी , मोहित से उसकी सगाई हुई थी। वह छत पर जो कमरा है ना जिसमें चारों तरफ शीशे लगे हैं मोहित और मिनी अक्सर उस में बैठे घंटों बातें करते । मैं भी कुछ नहीं कहती थी दोनों की सगाई हो चुकी थी जल्दी शादी होने वाली थी। मोहित और मिनी एक दूसरे के संग बड़े खुश दिखाई देते थे ।चांदनी रात होती तो वह कमरा बड़ा सुंदर लगता था। मैं भी सोच कर खुश रहती थी कि मोहित को अपना पसंदीदा जीवन साथी मिल गया है लेकिन फिर अचानक मिनी ने घर आना बंद कर दिया। 2 महीने हो गए वह एक बार भी मोहित से मिलने नहीं आई।
मोहित जब मिनी के घर उससे मिलने गया तब उसकी मम्मी ने कहा कि वह अपने भाई के पास दिल्ली गई हुई है ।मिनी का फोन स्विच ऑफ आता था। उसके घर फोन मिलाओ तो कुछ ना कुछ बहाना करके वे लोग फोन रख देते थे ।मुझे दाल में कुछ काला लगने लगा। क्या बात थी? कहीं मिनी की तबीयत तो नहीं खराब थी? तब तुम्हारे पापा जी सब हालचाल पता करने उसके घर कानपुर गए तब मालूम पड़ा कि मिनी की तो सगाई हो चुकी है औऱ बस 15 दिनों में ही शादी होने वाली थी ।
जानती हो किससे! मेरी देवरानी के बेटे से! देवरानी का बेटा आईएएस अफसर बन गया था। जैसे ही मिनी के मां-बाप ने यह बात सुनी उन्होंने झट से रिश्ता भेज दिया और मेरी देवरानी ने रिश्ता कबूल भी कर लिया हालांकि वह जानती थी कि मिनी और मोहित की शादी की बात चल रही है ।ना जाने किस चीज का बदला लिया उन लोग ने ।शायद मुझसे कुछ रूठी रही होगी ।मोहित को जब यह बात मालूम पड़ी तो वह बिल्कुल टूट गया ।ऐसे तो तुम जानती हो मोहित की नौकरी कोई खराब नहीं लेकिन आईएएस के नीचे तो कुछ छोटी ही नौकरी थी ।15 दिनों के अंदर मिनी की शादी हो गई।
अच्छा वह अपनी मीनाक्षी भाभी !
हां मीनाक्षी उसे हम सब प्यार से मिनी बुलाते थे। तबसे मोहित ने सब जगह आना जाना छोड़ दिया ।परिवार की कोई भी शादी होती तो मोहित उसमें ना जाता लेकिन अब तो उसकी बुआ के बेटे की शादी है ।बुआ से मोहित की बहुत बनती है। उसे बहुत लाड़ करती हैं। बहुत आग्रह करने पर मोहित शादी में जाने को तैयार हो गया है लेकिन निशा तुम्हे सतर्क रहना होगा। 5 सालों के बाद मोहित मिनी को देखेगा। रिश्ता टूटने के बाद हमने कैसे मोहित को संभाला हम ही जानते हैं ।कितने डॉक्टर को दिखाया ।कितनी दवाइयां चली कितने इलाज हुए तब जाकर वह नौकरी वापस कर पाया था।
मम्मी जी मैं ध्यान रखूंगी मोहित का भी और अपना भी।
ठीक है बेटा शादी में अच्छे से तैयार होकर रहना अभी तुम्हारी नई नई शादी है और इस बात को दिल पर ना लगाना। तुम मुझसे पूछती थी ना मोहित ऊपर छत वाले कमरे में कभी क्यों नहीं जाता वह कमरा हमेशा बंद क्यों पड़ा रहता है। यही कारण है शायद मोहित को कुछ पुरानी यादें उस कमरे से जुड़ी हुई लगती हो ।
जी मम्मी मैं समझ रही हूं।
दिन बीतते गए और शादी में जाने का दिन आ गया ।निशा का बहुत दिल चाह रहा था कि एक बार मिनी को देखे ,ऐसी कौन लड़की होगी जो अपने पहले प्यार को छोड़कर सिर्फ रुतबे के लिए किसी और की हो गई । उसका चरित्र कैसा होगा ?वह देखने में कैसी होगी ?
शादी में सभी लोग आ गए लेकिन निशा की आंखें तो मिनी और उसके पति को ही ढूंढ रही थी। मोहित सबके बीच में जाकर बहुत खुश था ।सच में मोहित की बुआ जी उसे बहुत प्यार करती थी और उनका बेटा भी उन्हें हाथों हाथ ले रहा था। मोहित को खुश देखकर निशा भी बहुत खुश थी ।मोहित ने बहुत सालों के बाद गाना गाया। मोहित का गला बहुत ही सुरीला है ।तभी कमरे में एक सन्नाटा सा छा गया और मोहित से गाना गाना बंद कर दिया। निशा ने पलट के देखा एक बड़ी सुंदर से युवती सामने से चली आ रही थी ।छोटे कटे बाल छरहरा शरीर, सुंदर गहने और पारदर्शी झलकती साड़ी, उसे देख कर किसी की भी निगाह उस पर 1 मिनट को अटक जाए ।
तभी किसी ने कहा “अरे आओ मीनाक्षी “
मैं पहचान ही नहीं पाई मीनाक्षी भाभी को !मैंने फोटो में तो देखा था लेकिन सामने से देखने पर हो तो बहुत सुंदर थी। उनके पीछे अतुल भैया आ रहे थे ।अतुल भैया और उनका देखने में कोई मेल नहीं था ।अतुल भैया नाटे कद के गोल मटोल प्रकृति के थे सिर पर हल्के बाल के थे लेकिन चेहरे पर पढ़ाई लिखाई की आभा थी। तभी मुझे मम्मी की कही बात याद आ गई। मैंने तुरंत पलटकर मोहित को देखा पर मोहित वहां से उठ कर जा चुके थे। मैंने आसपास देखा मोहित बुआजी के पास बैठे थे।मैं भी वहां से उठकर जाने लगी तभी मीनाक्षी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा
” निशा मुझसे बिना मिले ही चले जा रही हो !मैं तुम्हारी देवरानी हूं ,पहचाना नहीं? और मोहित तो मुझे देखते कहां चला गया अभी तो बड़ी महफिल जमी थी, मेरे आते ही…..
निशा को मीनाक्षी की बातें बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी, ना उसके बात करने का तरीका ना लहजा। निशा भी 12वीं कक्षा को गणित पढ़ाती थी, दिमाग उसका भी तेज था। जैसे ही उसने सुना था कि मिनी का पति अतुल एक आईएएस ऑफिसर है निशा ने उसके बारे में सब कुछ पता किया था। उसे अपने पति की बेइज्जती का बदला लेना था ।वह सिर्फ एक मौके की तलाश में थी और वह मौका मीनाक्षी ने उसे दे दिया ।
निशा ने कहा “अरे भाभी ,भैया कहां है! मुझे भी तो मिल वाइए अपने हैंडसम हंक से !मीनाक्षी का मुंह छोटा सा हो गया” हैंडसम” अतुल को हैंडसम तो नहीं कहा जा सकता था लेकिन हां उसके चेहरे पर पढ़ाई लिखाई कि आभा जरूर थी।”
मीनाक्षी ने बड़े गुरुर से अपने पति से निशा को मिलाया” यह है कमिश्नर अतुल गुप्ता ‘
निशा उनसे बड़ा घुल मिलकर बात करने लगी ।थोड़ी देर में उसने अतुल से ढेरों ऐसी बातें कर ली जो शायद मीनाक्षी कभी नहीं कर पाई थी। पढ़ाई लिखाई से जुड़े होने के कारण निशा बात करने में बहुत होशियार थी ।पैरंट टीचर मीटिंग में मां-बाप से बातें कर करके वह इस कला में निपुण थी ।थोड़ी देर में ऐसा लगने लगा कि अतुल और निशा गहरे दोस्त हैं। दोनों चाय पीने लगे। मीनाक्षी पास से उन्हें देख कर रही थी। उसे लग रहा था कि निशा में ऐसा क्या है ! इतना घुल मिलकर तो अतुल ने उससे कभी बात नही की। थोड़ी देर में मीनाक्षी ने देखा कि निशा और अतुल मोबाइल में कुछ देख कर हंस रहे हैं ।मीनाक्षी से देखा नहीं गया ।उसने निशा से कहा
“तुम्हें बुआ जी बुला रही हैं “
निशा खूब समझ गई कि यह मीनाक्षी का क्या मतलब है! उसने अतुल ने कहा भैया अभी थोड़ी देर में आपसे फिर मिलती हूं ।कहकर वह आगे गयी तो मिनी ने निशा की कलाई पकड़ ली और कहा “ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो मैं जानती हूं तू स्कूल में टीचर है ना अपनी टीचरी अपने घर में रखना ,मेरे पति पर डोरे मत डालो ।
इस बार निशा ने उसे तिरछी निगाहों से देखा और बोली” अगर कोई औरत चाहे तो किसी भी आदमी को अपने बस में कर सकती है लेकिन ना मेरा चरित्र ऐसा है ना ही संस्कार ,जो अपने पति को छोड़कर या होने वाले पति को छोड़कर दूसरे को रिझाऊ ,इस कला में तो आप ही माहिर है।” कहकर वह वहां से चली गई।
मोहित थोड़ी दूर पर बैठा कॉफी पी रहा था उसके साथ बुआ जी का बेटा और बुआ जी भी थे। मोहित को हंसता बोलता देखकर निशा ने राहत की सांस ली ।थोड़ी देर बाद अतुल भी वहां आ गया और मीनाक्षी भी।मीनाक्षीको वहां देखकर मोहित फिर से असहज हो गया, तब निशा ने मीनाक्षी से कहा “मीनाक्षी हमारी छत पर एक खूबसूरत सा कमरा है कितना सुंदर बनवाया था मोहित ने, सच मजा ही आ जाता है चांदनी रात में मैं और मोहित तो अक्सर वहां बैठकर कॉफी पीते हैं। अभी हम सब कॉफी पी रहे थे ना तो उस कमरे की याद आ गई ।”
यह बात निशा को कहनी थी कि मीनाक्षी के चेहरे का रंग उड़ गया। मोहित इस बात को सुन नहीं पाया ना ही अतुल लेकिन मीनाक्षी बिल्कुल असहज महसूस करने लगी ।बस जल्दी से अतुल का चेहरा देखने लगी कहीं अतुल को इस चीज की भनक ना हो जाए ।निशा ने उसे एक तिरछी मुस्कान दी, मीनाक्षी समझ गई थी कि उसका पाला किससे पड़ा है! उसके बाद उसने निशा और मोहित से दूरी बना ली ,ना उसने मोहित को उसके बाद तंग किया और ना ही निशा से उलझने की हिम्मत की।मोहित और निशा ने शादी में खूब एंजॉय किया। मोहित निशा के साथ खुश था और मीनाक्षी को पूरी तरह भूल चुका था।