दादा जी…. आप और दादी कितने दिन तक रहेंगे हमारे घर ??
छोटा सा अंकुश पिछले दिन ही आयें,,,दादाजी की गोद में बैठा बोला…..
पोते के मुंह से यह बात सुन दादा निरंजन जी और दादी कमलाजी दो मिनट को तो जैसे शांत से हो गए…..
क्यूँ रे लल्ला ….. अम्मा ,, बाबा सुहा ना रहे का तुझे…. अभी कल ही तो आयें है ….. तू कहे तो आज ही चले जायें …. और ये तेरा घर है ये किसने कहा तुझसे??
बोल रे लल्ला ….
कमलाजी अंकुश के हाथों को पकड़े बोली….
अरे वो ना दादी…. मम्मा ही कल पापा से कह रही थी कि गांव से निकल कर इसलिये तुम्हारे साथ आयीं थी कि चैंन से रहूँगी….. आयें हुए 2 महीने ना हुए हमें , हमारे घर आ गए पापा और माँजी….. आयें हुए एक भी दिन नहीं हुआ है ,,, जीना हराम हो गया है मेरा… इसलिये दादी मम्मा ने बोला कि अंकुश तू अपने दादा दादी से पूछना कि वो कब ज़ायेंगे…. हम पूछेंगे तो बुरा लगेगा उन्हे …. बताईये ना दादी आप और दादा जी कब ज़ायेंगे…… मुझे मम्मा को जाकर बताना है ……
बहुरानी अंकुश की जोर की आवाज रसोई से ही सुन रही थी… यह सुन तो बहू सकपका गयी कि अंकुश ने तो सब गोबर गणेश कर दिया….
कुछ देर तो निरंजन जी और कमला जी एक दूसरे को अचंभित ही देखते रहे…..
फिर कमला जी कुछ बोलने वाली थी…
उन्हे इशारे से चुप रहने को बोल निरंजन जी बोले….
अंकुश बेटा….. पहले तो एक बात याद रखना… तेरे अम्मा बाबा मर भी जायें तब भी ….
कौन सी बात दादा जी???
अंकुश उत्सुकतावश बोला….
यही कि गांव का घर और ये शहर का घर ,, ज़िसमें तू ,, तेरी मम्मा ,, पापा रह रहे है ,,, ये दोनों घर हम सबके है … तेरे, तेरे अम्मा , बाबा के, तेरे मम्मा ,, पापा के….. तेरी मम्मा और पापा तेरे दादा दादी के बच्चे है ,, जैसे तू है …… समझा…..
और दूसरी बात बेटा….. पापा से बोलना…. हमारी कल की ही टिकेट करा दे….. वैसे भी शहर में बंद घरों में हमारा मन नहीं लगता…. वो तो तुझे बचपन से अपनी गोद में खिलाया है तेरी अम्मा ने…. वो ही ज़िद कर बैठी कि चलिये एक बार अपने लल्ला को देख आतें है …. बस इसलिये ही चले आयें… बहुत दिक्कत आयीं इतना दूर आने में……. चला फिरा भी नहीं जाता अब तो… दर्द होने लगता है घुटनों में …… अब देख लिया तुम सबको…. चले ज़ायेंगे कल…..
यह बोलते हुए निरंजन जी की आँखें भर आयीं थी……
दादा जी….मैं तो बिल्कुल नहीं चाहता कि आप और दादी जायें …… आप लोग रहते हो तो पार्क ले ज़ाते हो…. वो बड़े भईया है जो पार्क में आतें है ,, खुद को बॉस समझते है …. उनसे भी डर नहीं लगता मुझे जब आप रहते हो तो…..
अंकुश बोला….
तभी घर की डोर बेल बजी….
बहू मोहिनी ने आकर दरवाजा खोला….
सामने वाली मिसेज वर्मा थी,, ज़िनसे पिछले महीने ही मोहिनी का झगड़ा हुआ था….
मोहिनी तो डर गयी यह सोच कि क्या फिर से लड़ने आयीं है मिसेज वर्मा …..
मोहिनी धीरे से बोली….
कहिये भाभी जी…. कैसे आना हुआ??
मुझे तो लगा… आप और भाई साहब की लव मेरिज है …. तभी अचानक से अंजान शहर में आकर बस गए है आप…. यहां सब यहीं समझते थे… यहां किरायेदार बहुत कम है …. सभी के अपने ही घर है तो इसलिये आप लोगों से कोई ज्यादा बात नहीं करता था…. कल आपके सास,,ससुर जी से बात हुई पार्क में तो पता चला कि आप लोग तो बहुत अच्छे घर से है …. जिसके घर में उनके बड़े आतें ज़ाते रहते है तो लोगों के मन के शक दूर हो ज़ाते है ….बहुत अच्छा स्वभाव लगा आपके सास ससुर जी का कोलोनी के लोगों को…. मेरे घर कल सत्यनारायण की कथा है और शाम को दावत …. सभी लोग परिवारसहित आईयेगा…… इंतजार रहेगा आप सबका…. अभी तो रहेंगे ना आपके सास ससुर जी यहां??
मिसेज वर्मा पूछती है ….
जी भाभी जी…. यहीं रहेंगे…. हमारा और हमारे अंकुश का मन माँजी पापा जी के बिना नहीं लगता….
मोहिनी डबडबायी आँखों से बोली….
ये तो बहुत ही अच्छी बात है ….. अच्छा मैं चलती हूँ…. इंतजार रहेगा आप सबका….
इतना बोल मिसेज वर्मा चली गयी….
मोहिनी के मुंह से यह सुन कमला जी और निरंजन जी के चेहरे पर मुस्कान तैर आयी….
शाम को बेटा राहुल घर आया….
निरंजन जी ने उसे अपने पास बुलाकर बोला….
बेटा मेरे पास पैसे है … ये फलैट जितने का आयें खरीद ले…. तुम लोग भी शान शौकत से रहो…. कोई कमी नहीं है तेरे पापा पर ….
यह सुन मोहिनी और राहुल की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा….. वो दोनों ना जाने कितने समय से पैसा जोड़ रहे थे घर के लिए… पर व्यवस्था हो नहीं पा रही थी….
सच है ये हमारे बड़े बस थोड़ा सा अपनापन,,प्यार चाहते है अपने बच्चों से… बदले में बच्चे इनका सब कुछ भी ले ले,, ये ख़ुशी ख़ुशी ले देते है …..
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा