भगवान का दिया क्या नहीं है नीति के पास ससुराल में, नहीं है तो संतुष्टि। कितना प्यार करने वाले सास ससुर ख्याल रखने वाला पति निलेश और दो प्यारे से बच्चे अरु और सार्थक, अरु यूकेजी में पढ़ती है और सार्थक अभी ढाई साल का ही है। उसके ससुर प्राइमरी स्कूल मैं टीचर थे जो रिटायर हो चुके हैं और निलेश बैंक में नौकरी करता है, गाजियाबाद में उनका अपना घर है। अभी एक साल पहले उसकी छोटी बहन की शादी हुई है उसका पति नोएडा एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है वह खुद भी उसी के साथ उस कंपनी में नौकरी करती है। उसकी ससुराल के ठाठ बाट देखकर उसे बहुत जलन होती है।
वो अक्सर अपने माता-पिता को इस बात के लिए ताना देती रहती है कि आपने मेरे लिए ऐसा ससुराल क्यों ढूंढा और अपनी किस्मत को कोसती रहती है। आज भी जब उसकी मम्मी ने उसे फोन किया वो यही सब बातें दोहरा रही थी। तब उसकी मम्मी उसे समझाते हुए कहती हैं देखो नीति बेटा जो कुछ तुम्हें मिला है उसकी अहमियत समझो क्या कमी है तुम्हारे ससुराल में? शादी से पहले तुम भी बैंक में अच्छे पद पर थी तुम्हारा खुद का फैसला था नौकरी न करना। तुम्हारे घर में कभी किसी ने किसी बात के लिए तुम, पर बंदिशे नहीं लगाई हैं।
निलेश भी कितना प्यार करता है तुमसे, ् सब कुछ तो है तुम्हारे पास, इच्छाओं का क्या है सारी तो किसी की भी पूरी नहीं होती? लेकिन उसे अपनी मम्मी की समझाई हुई बातें बिल्कुल समझ में नहीं आ रही थी उसने गुस्से में फोन काट दिया। 2 दिन बाद नीति का जन्मदिन था उसने उपहार में अपने पति से सोने की चेन की डिमांड की थी लेकिन निलेश ने उसे उपहार में पायल लाकर दी थी इसी बात पर वह निलेश पर भड़क गई।
फिर भी निलेश ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा देखो नीति तुम तो जानती हो पिछले महीने ही पापा की आंखों का ऑपरेशन हुआ था जिसमें काफी पैसे लग गए थे । मैं तुमसे वादा करता हूं दो-तीन महीने बाद मैं तुम्हारी चैन जरूर बनवा कर दूंगा। इस पर वह कहती है, हां हां तुम्हारे पास सबके लिए पैसे आ जाते हैं केवल मेरे ही लिए पैसे नहीं आते कल से मैं भी नौकरी पर जाया करूंगी और मुझे तुम्हारी किसी चीज की जरूरत नहीं है।
न जाने मेरे मां-बाप ने भी यहां पर क्या देख दिया मेरी तो किस्मत ही फूट गई। अपने सभी अरमान घोटती आई हूं शादी के बाद। दोनों बच्चे सहम गए थे इसी वजह से निलेश कुछ नहीं बोला और चुपचाप अपने मां बाबूजी के कमरे में चला गया।
थोड़ी देर बाद ही उसका बर्थडे विश करने के लिए उसकी बहन का फोन आता है अपनी बहन की , भरा्यी आवाज सुनकर पूछती है -क्या हुआ नेहा तुम परेशान क्यों हो। अपनी बड़ी बहन की आवाज सुनकर नेहा फूट-फूट कर रोने लगती है लेकिन बात को टालने की कोशिश करती है और इधर-उधर की बातें करके थोड़ी देर बाद फोन रख देती है।
नीति अपने सास ससुर से पूछ कर अगले दिन ही संडे होने की वजह से उसके घर नोएडा चली जाती है।उसे देखकर वह बहुत खुश होती है। थोड़ी देर बाद दोनों बहने अकेली होती हैं तब वह अपनी बहन से उसके रोने का कारण पूछती हुई कहती है। नेहा तेरे पास ऐशो आराम के सभी साधन है तुझे क्या परेशानी है तुम दोनों भी कंपनी में अच्छे पैकेज पर लगे हुए हो इतने बड़े शहर में इतना बड़ा मकान तुम्हें मेरी तरह मन मार कर तो नहीं रहना पड़ता तब नेहा कहती है
दीदी दूर दूर के ढोल सुहावने लगते हैं जो दिखाई देता है वह सब कुछ सही नहीं होता, कल आपका जन्मदिन था इसलिए मैं आपसे कुछ बताना नहीं चाहती थी मेरे पति में आपके पति जैसा कोई गुण नहीं है। जीजा जी आपका कितना सम्मान करते हैं। कभी ऊंची आवाज में बात तक नहीं की लेकिन मयंक तो छोटी-छोटी बातों में मुझे नीचा दिखाते रहते हैं।
एक दिन तो उन्होंने मुझ पर हाथ उठाने की भी कोशिश की , ऊपर से मम्मी जी मेरे खिलाफ ना जाने क्यों इन्हें भडकाती रहती है। ऑफिस और घर एक साथ संभालना बहुत मुश्किल हो गया है आए दिन शराब के नशे में घर आते हैं। यही इस अमीर घर की खोखली सच्चाई है।, मैं हर संभव कोशिश की अपनी गृहस्थी को बचाने की लेकिन अब मैंने फैसला कर लिया है मैं इस आदमी के साथ नहीं रहूंगी, आज मैंने मम्मी पापा को भी इस बारे में सब बता दिया है उन्होंने भी मुझसे यही कहा है कि अपने आत्मसम्मान के साथ कभी समझौता मत करना तेरा घर हमेशा तेरे लिए खुला है बेटा ।
मुझे समाज की परवाह नहीं है अगर मयंक समझाने से भी नहीं समझता तो मैं कोर्ट कचहरी से भी पीछे नहीं हटूंगा । सही कह रहे हैं पापा हम सब तुम्हारे साथ हैं तुम्हें किसी तरह से चिंता करने की जरूरत नहीं है । आत्मसम्मान से बड़ा कुछ नहीं है अपनी बहन को दिलासा देकर वह अपने घर चली जाती है वहां जाकर देखती हैं तो उसकी मेड कमला रोते हुए मिलती है और उसकी सास प्यार से उसका सर सहला रही थी,
पूछने पर वह बताती है दीदी अपने काम करने के पैसे अपने बच्चों की फीस देने के लिए मैंने अपने पति से छुपा कर रखे थे वह पैसे सारे मेरे पति ने छीन लिए और शराब पीकर आ गया और मुझे मारपीट कर घर से निकाल दिया ,कमला की आंख भी सूजी हुई थी, नीति की सास ने उसे बच्चों की फीस के पैसे दिए और कहा ये पैसे मैं तेरी तनख्वाह में से नहीं काटूंगी और तुझे ऐसे आदमी की शिकायत पुलिस में जरूर करनी चाहिए ताकि उसे सबक मिल सके कमला नीति से कहती है ,
पिछले जन्म में आपने जरूर बहुत पुण्य किए होंगे जो भैया जैसा आपको पति मिला किसी तरह का कोई ऐप नहीं है और हर रिश्ता कितनी अच्छी तरह निभाते हैं कितना प्यार करते हैं आपसे। नीति किम कर्तव्यविमूढ सी सोच रही थी, मुझे भगवान ने बहुत कुछ दिया है मैं ही उसकी अहमियत नहीं समझ सकी और हमेशा अपनी किस्मत कोसती रही,
लेकिन सुबह का भला अगर शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते मैं अब कभी भगवान से शिकायत नहीं करूंगी। शाम को नीलेश उसके लिए तोहफे में सोने की चैन लाकर देता है तो वह रोते हुए उसके सीने से लग जाती है और कहती है मुझे आपके अलावा किसी चीज की जरूरत नहीं है मुझे माफ कर दो।
दूसरों को देखकर समझ में आता है कि भगवान ने हमें वह दिया है जो किसी को भी हासिल नहीं है मेरे लिए अब अपने परिवार की खुशी से ज्यादा कोई भी चीज अहमियत नहीं रखती अब मैं पूरी तरह से अपने परिवार को ही समर्पित रहूंगी ।ठीक है बहू इसी बात पर अपने हाथ से हमें गाजर का हलवा बनाकर खिलाओ उसकी सास उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली समय रहते तुम्हें अपने परिवार की कदर हो गई तो इससे बड़ी और क्या खुशी हो सकती है। नीति अपनी सास के गले लग जाती है सच में आज नया सवेरा हुआ था।
पूजा शर्मा