शिवांगी ने बेटी से साफ -साफ कह दिया था,कि अब शादी के लिए मन बना लें।नौकरी करते हुए दो साल हो गए थे।ईश्वर की कृपा थी कि वह मान गई। मैट्रिमोनियल पर ढुंढ़ाई शुरू हुई।सजातीय लड़का मिल रहा था ,तो नौकरी अच्छी नहीं थी उसकी।नौकरी अच्छी -खासी थी तो,दिखने में सुपुरुष नहीं। खोज-बीन करते-करते ही साल भर गुज़र गया।अब तो शिवांगी को काफी टेंशन होने लगी।थक कर कहा बेटी को”ख़ुद ही देख ले ना,कहीं ना कहीं एडजस्ट तो करना ही पड़ेगा।
“बेटी भी कम ना थी,बोली”नहीं-नहीं,ऐसे कैसे?शादी तो आपकी पसंद के दामाद से करूंगी।जब ख़ुद पसंद करने का समय था,तब तो कान में मंत्र डालती रहीं,खानदान की नाक ना कटवाना। अपने मम्मी -पापा की इज्जत का ख्याल रखना।अब मम्मी सारे लड़के एंगेज्ड हो गएं हैं।आप ही ढूंढ़िए।”
बाप रे!!!गजब मुसीबत है।हमारे समय तो झट मंगनी और पट ब्याह हो जाते थे।आज कल शादी ना हो गई,कोई मेगा प्रोजेक्ट हो गया।शिवांगी ख़ुद से ही बातें करने लगी थी आजकल।इस मिशन शादी ने ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की नीचे कर के रखी थी।ऊपर से शिवांगी की मां(सासू मां)की चेतावनी”बहू,बच्चों की शादी मां की ही पहल से होती है।हमने तो समय रहते अपने बेटे-बेटियों की शादी करवा दी थी।तुम इस जिम्मेदारी में पास होकर दिखाओ।
“है भगवान,यह खुल्लमखुल्ला चुनौती थी शिवांगी के लिए।बस अब और देर नहीं करेगी। जान-पहचान और रिश्तेदारों को फोन लगाना शुरू किया।कुंडली और फोटो-बॉयोडाटा ऐसे भेज रही थी ,मानो यू पी एस सी के इंटरव्यू की तैयारी हो।मां ने पहले ही चेतावनी दे रखी थी,ऊपर से बेटी के भविष्य का सवाल।
युद्ध स्तर पर तैयारी करते देख दोनों भाई-बहन शिवांगी को छेड़ने से भी बाज़ नहीं आते थे।अब शिवांगी को अपनी मम्मी की याद आ रही थी।जब उसकी शादी की बात चल रही थी तो, ना-नुकुर करने पर अक्सर वे कहतीं”सब समझ में आ जाएगा तुम्हें,जब ख़ुद मां बनोगी। एक-एक कदम फ़ूंक कर रखना चाहिए मां को।जब तक बुरी मां नहीं बनोगी,संस्कार नहीं सिखा पाओगी अपने बच्चों को।कहे देतीं हूं,गांठ बांध ले मेरी बात का।”
उफ्फ़,ये ज़िम्मेदारियां कभी ख़त्म ही नहीं होतीं मां-बाप की।
फोन की घंटी बजते ही दौड़कर उठाया शिवांगी ने।मामी ने एक लड़के का रिश्ता बताया। उन्होंने बेटी की फोटो भिजवाई थी,अपने किसी परिचित के पास।लड़के के माता-पिता घूमने निकले थे,सो लगे हांथ लड़की देखना चाहते थे।उनके बेटे को भी बिटिया पसंद आई थी।शिवांगी ने बताया कि बेटी तो अभी है नहीं।तब मामी ने कहा वे घर देख लेंगे,घर वालों से मिल लेंगे।
शिवांगी ने मानो किला जीत लिया था।अगले दिन शाम को आने वाले थे लड़के के माता-पिता।बड़ी मुश्किल से कटी रात।अगली सुबह भगवान को भोग लगाकर विनती की उसने।लड़के की नौकरी सरकारी थी,दिखने में भी अच्छा था।बात बना देना भगवान।
तय समय से कुछ लेट आई ट्रेन।बेटा गया था स्टेशन लेने।दरवाजे की घंटी बजते ही दौड़कर आई बाहर।लड़के की मां ने आगे बढ़कर शिवांगी को गले से लगाया,तो वह अवाक रह गई।”हम पहली बार मिल रहें हैं शायद?”शिवांगी ने असमंजस में पूछा।उन भद्र महिला ने मुस्कुराते हुए कहा”हां,हम मिल तो पहली बार रहें हैं,पर आपके बारे में मुझे सारी जानकारी है।”
शिवांगी अवाक होकर देखने लगी,तो बेटा भी चौंक गया।सासू मां ने भी हैरान होकर शिवांगी की तरफ देखा।तभी लड़के के पिता ने प्रवेश किया।चेहरा जाना-पहचाना लग रहा था ,पर याद नहीं आ रहा था।अचानक से उन्होंने ही कहा”शिवू,आप भूल गईं ना मुझे?पर मैं नहीं भूला।मैं चंदन हूं, बैरकपुर का।”
“ओह,चंदन दा आप!”शिवांगी ने अब पहचान लिया था।ये तो वही पात्र था जिसे नाना जी ने पसंद किया था शिवांगी के लिए,पर शिवांगी की मां ने मना कर दिया था।बड़ा घमंड था उन्हें तब अपनी बेटी के रूप का।सांवले लड़के से कैसे कर देतीं शादी?चंदन दादा के पापा को भी बहुत पसंद थी शिवांगी।क़िस्मत का खेल ही था कि शिवांगी की शादी सांवले लड़के से ही हुई।जिसको उसने मना किया था,उसकी पत्नी शिवांगी से भी सुंदर थी।इतना सब होने के बाद भी ये लोग मेरी बेटी को बहू बनाना चाहतें हैं, विश्वास ही नहीं होता।
चुप्पी तोड़ते हुए लड़के की मां बोली”जो भी होता है,उसमें ईश्वर का ही निर्णय होता है।आपकी बात बहुत सुनी थी मैंने।अब जब आपकी बेटी का फोटो देखा तो,ये तुरंत पहचान गए।आपसे बहुत मिलता है चेहरा आपकी बेटी का।हमारी बेटी नहीं है।ये हमेशा कहते थे कि अगर बेटी होगी ,तो उसका नाम शिवांगी रखेंगे।क़िस्मत का खेल देखिए,बाबा ने आपको पसंद किया था,पर बहू नहीं बना पाए आपको।आपकी बेटी को हमने पसंद किया है।आप लड़के की खोज खबर लीजिए।अगर पसंद आए तो दोनों को मिलवा देंगे।हमें और कुछ नहीं चाहिए बेटी के अलावा।”
शिवांगी की आंखों से झर-झर बहते आंसू आज पश्चाताप कर रहे थे।उसने कभी सोचा भी नहीं था कि किस्मत ऐसा भी खेल दिखा सकती है।जिन्होंने उसे पसंद किया, जिन्होंने लड़का पसंद किया और जिन्होंने मना किया,तीनों ही इस दुनिया में नहीं हैं अब।आज फिर किसी ने पसंद किया,किसी ने शादी की बात की।अब क़िस्मत ही आगे बताएगी कि लड़का -लड़की मिलना चाहतें हैं या नहीं।वाह री किस्मत!!!!!
शुभ्रा बैनर्जी