रात अंधेरी थी और इंस्पेक्टर विक्रम अपनी टीम के साथ एक सुनसान वीरान घर के इर्द-गिर्द घात लगाए बैठे थे। सुनसान में कीट पतंगों की आवाज बहुत तेज मालूम होती थी ।घर के अंदर अंधेरा था ,प्रकाश की एक किरण भी दिखाई नहीं देती। तभी झाड़ियों के पीछे झुरमुट से किसी के आने की आहट हुई ।पत्तों की सरसराहट बता रही थी कोई तेजी से उस घर की तरफ चल कर आ रहा है।
दरवाजा फॉरेन खुला और बंद हो गया। इंस्पेक्टर विक्रम और उनकी टीम अब घर के और करीब जाने लगे पर अंदर जितने शांति थी उतना ही अंधेरा !!इंस्पेक्टर विक्रम दरवाजे के बिल्कुल समीप चले गए। अंदर से हौले हौले दो लोगों की बात करने की आवाज आ रही थी।
” छुट्टन तेरे जान को खतरा है !आज गांव में पुलिस आई थी और वह जितेंद्र है वह भी आया था। बहुत लोग से पूछताछ हो रही थी। वे मेरे पास भी आए थे । जितेंद्र को देख कर मन कर रहा था वही जाकर उसके सीने में छः की छः गोली दाग दूं,सच बड़ा कमीना आदमी है ।उसी ने मेरे प्यारे दोस्त की जिंदगी बर्बाद की है। वे पूछ रहे थे कि क्या तेरा वह दोस्त छुट्टन तुझ से पैसे लेता है। मैंने तो साफ इंकार कर दिया। लेकिन तुम होशियार रहना मेरी जान।
उधर से दूसरी आवाज आती है
“क्या किया पगले तूने ??तू यहां क्यों आया?
” मैं तेरी चिंता करता हूं छुट्टन और फिर …..
“और फिर क्या रे पगले …..
“और फिर हम दोनों एक दूसरे से प्यार भी तो करते हैं छोटन!! मैं तेरे बिना नहीं रह सकता !तू जानता है तेरे कहने पर मैं वह सब कुछ करता हूं जो शायद मुझे नहीं करना चाहिए लेकिन मैं तेरे बगैर नहीं रह सकता ।अगर तुझे कुछ हो गया तो मैं भी मर जाऊंगा जेड
“अरे पगले मरेंगे हम दोनों ,तुझे नहीं पता स्पेक्टर विक्रम बड़ी टेढ़ी चीज है ।तूने मेरे सारे किए कराए पर पानी फेर दिया ।तू अपनी बंदूक लेकर आया है?
” बंदूक हांआया हूं ,यह कट्टा लाया हूं ।
“जल्दी से मुझे दे अब बिल्कुल चुपचाप ऊपर चल मुझे किसी भी हालत में रेखा का काम तुरंत तमाम करना होगा उसे हमारे बिना मैं नहीं मर सकता किसी भी वक्त हम पर हमला हो सकता है !!
“हमला, छुट्टन !!यह क्या कह रहा है ? हम पर हमला कौन करेगा??
” धीरे बोल इंस्पेक्टर विक्रम की पूरी टीम आती ही होगी,तूने इतनी बड़ी गलती की है यहां आकर !!मैंने फूक फूक कर कदम रखे पर तूने सारे किए कराए पर पानी फेर दिया।
“पर छुट्टन मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूं ।!!”
“अरे पगले प्यार तुझसे मैं भी करता हूं पर जिंदा रहेंगे तब प्यार कर पाएंगे ना”
तभी बाहर से तेजी से गोलियों की आवाज आती है और गोलियों की बौछार हो जाती है और साथ ही इंस्पैक्टर विक्रम दरवाजा तोड़ते हुए अंदर घुस जाते हैं ।तेज टॉर्च लाइट में कातिल का चेहरा इतना डरावना लग रहा था कि इंस्पेक्टर विक्रम तक की चीख निकल जाती है ।उसके दोस्त को भी पकड़ लिया जाता है। पूरे घर की बत्तियां जला दी जाती हैं। ऊपर की मंजिल पर कुर्सी में बंधी रेखा उन्हें मिलती है ।रेखा की हालत बहुत खराब थी। इंस्पेक्टर विक्रम जल्दी से अपनी जैकेट उतार के रेखा पर डालते हैं। उनके साथ जितेंद्र भी आया था। आनन-फानन में रेखा को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है ।बेचारी जिंदगी और मौत के बीच में झूल रही थी लेकिन आज इस सारे खेल का मास्टरमाइंड पकड़ा गया था ।वह अपने सारे जुर्म कबूल कर लेता है। वह बड़े मजे से बताता है कैसे उसने नैना को मोहरा बनाकर स्वाति की जिंदगी बर्बाद की और उसके बाद वह रेखा के पीछे पड़ गया। नैना जिसका उज्जवल भविष्य था वह जेल की सलाखों के पीछे थी और स्वाति वह तो जिंदगी की जंग ही हार चुकी थी ।सिर्फ रेखा को मारकर वह जितेंद्र को पूरी तरह तबाह और बर्बाद करना चाहता था ।पुलिस उसे जितना मारती वह जोर जोर से हंसता और उसे देखकर उसका वह दोस्त ,उसका प्रेमी रोता ।
बुरे कर्म का बुरा अंत हुआ लेकिन ना जाने इसमें कितने मासूम की जान चली गई ।बचपन में ही मानसिक विक्षोप को अगर मनुष्य समय पर पहचान लेता तो एक बच्चा एक कातिल ना बनता ,एक शैतान ना बनता ।रेखा धीरे-धीरे जिंदगी में वापस लौट आएगी लेकिन वह सभी लड़कियां जिन्होंने अपनी जिंदगी गवा दी उनके परिवार के जिंदगी में जो सन्नाटा छाया वह सन्नाटा कभी भी पूरा नहीं हो सकता।
समाप्त
गरिमा जैन