Moral Stories in Hindi : “मीना बहुत बड़ी खुशखबरी है, अपनी निधि की सगाई हो गई है, जीजी का अभी-अभी फोन आया है, बहुत खुश हो रही थी, बड़ा ही अच्छा रिश्ता मिला है, अपने से ऊपर खानदान वालों के साथ सगाई हुई है,
निधि के लिए वो कबसे रिश्ता तलाश कर रहे थे, अब जाकर बात पक्की हो गई है।” रजत बाबू बड़े ही खुश थे, आखिर उनकी बहन की बेटी का रिश्ता तय हो गया।
ये सुनते ही मीना भी चहक गई,” अभी फोन लाओ, जीजी को बधाई दे देती हूं।”
“हां, जीजी बहुत बधाईयां, शादी का मुहुर्त कब का निकला है? क्या कहा!! एक महीने बाद ही शादी है, लड़के वालों को जल्दी है।”
आगे की बात सुनकर मीना के चेहरे का रंग उतर गया, जी जीजी, ये कहकर उसने फोन रख दिया।
अपनी पत्नी मीना का चेहरा देखकर रजत बाबू घबरा गये, “आखिर क्या हुआ? इतनी तनाव में क्यों हो? राखी जीजी ने ऐसा क्या कह दिया?”
मीना के माथे पर तनाव की लकीरें उभर आई, ” राखी जीजी ने कहा है कि दो लाख के मायरे की तैयारी कर लो, घर में पहली शादी है, मेरे ससुराल वालों के सामने मेरी नाक नहीं कटनी चाहिए, मै तो पूरा मायरा लूंगी, ससुराल वालों को महंगें कपड़े, निधि को सोने का सेट और चांदी की भारी पायल ये सब जरूरी है, अभी से तैयारी कर लेना।”
रजत बाबू जिसे खुशखबरी समझ रहे थे, वो तो उनके घर पर मुसीबत बनकर टूटी है, अभी तो बड़ी बेटी का कॉलेज में एडमिशन करवाना है, छोटी की स्कूल के लिए नई किताबें, बैग और सामान लेना है, और शादी में जायेंगे तो आजकल थीम भी रख देते हैं, शादी के लिए सबके रंग अनुसार कपड़े भी लेने होंगे, और उनकी मां का भी घुटनों का ऑपरेशन करवाना है, सारे खर्चे एक साथ सिर पर आ गये थे, उस पर ये शादी का न्यौता उन्हें मुसीबत से ज्यादा कुछ ना लग रहा था।
छोटी सी राशन की दुकान जैसे-तैसे चलाकर वो घर खर्च चला रहे थे, पिताजी की ही दुकान थी, जो वो पिताजी के साथ ही संभालते थे, पिताजी के जाते ही पूरी दुकान संभाल रहे थे, आय ना कम थी ना ही ज्यादा, बस घर परिवार पल रहा था।
तभी अंदर से मां की आवाज आई, “बेटा रजत क्या हुआ? क्या खुशखबरी है? किसका फोन आया था? अरे! इस बुढ़िया को तो कोई कुछ बताता नहीं है, ये मुआ घुटने में दर्द नहीं होता तो मै भी उठकर बाहर बैठक में आ जाती।”
“मां, अपनी निधि की सगाई हो गई है, एक महीने बाद शादी है।”
“ये तो बहुत अच्छा हुआ, शादी में जाना, इस तरह मुंह क्यों उतार रखा है? तुझे खुशी नहीं हुई क्या?”
“मां, मुझे बहुत खुशी हुई है, लेकिन मां जीजी तो दो लाख का मायरा देने को कह रही है, इतना सब हम तो नहीं कर पायेंगे, मेरी आय कितनी है, आप तो जानते हो, फिर आजकल की शादी में जाना तो काफी तनावपूर्ण और खर्चीला काम हो गया है, थीम के अनुसार सबके नये कपड़े आयेंगे, और पिछले महीने से मकानमालिक ने भी किराया बढ़ा दिया है, महंगाई तो सिर पर आकर खड़ी है, मैं तो सोच रहा हूं कि इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जायें, जीजी को तो सब पता है, फिर भी गलत मांग कर ली है।”
अपने बेटे की बात सुनकर मां भी सोच में पड़ गई, क्योंकि घर की स्थिति उनसे छुपी हुई नहीं थी, फिर कुछ सोचकर वो बोली,” रजत तू शादी में जाने के लिए राखी को मना कर दें।”
“मां, आप ये क्या कह रही है ? जीजी को बुरा लग जायेगा!! शादी में तो जाना ही पड़ेगा।”
अरे! मै तुझे मुसीबत से छुटकारा पाने का उपाय बता रही हूं, तू कह दे, राखी से हम इतना नहीं कर पायेंगे, और अगर इस पर भी वो मानती नहीं है तो कह देना, जीजी, हम मायरा भेज देंगे, पर शादी में सपरिवार नहीं आयेंगे, शादी में पहनने के लिए जो कपड़े खरीदने होंगे, आने-जाने का जो किराया लगेगा, उसके पैसे बचाकर आपको मायरे में दे देंगे, आपकी नाक ससुराल वालों में ऊंची होनी चाहिए, चाहें इसके लिए भाई-भाभी हर तरह की मुसीबत क्यों ना झेलें?’
अपनी मां के कहे अनुसार रजत बाबू ने सब फोन पर राखी जीजी को कह दिया, ये सुनकर राखी जीजी को अपनी गलती का अहसास हुआ, “रजत ये क्या कह रहा है?
शादी में नहीं आयेगा? तू मायरा अपने हिसाब से बजट के अनुसार कर लेना, पर मेरे भाई शादी में तो आना, तू और तेरा परिवार नहीं आयेगा तो मै ये शादी खुशी से नहीं कर पाऊंगी, और मुझे पता है ये सब सोचने और कहने की तुझमें तो हिम्मत नहीं है, ये सब तुझसे मां ने कहलवाया है, मै तुझसे और मां दोनों से माफी मांगती हूं, मेरे भाई ! शादी में तेरा आना जरूरी है, मायरे का नहीं, भाई-भाभी आकर एक सादी सी साड़ी भी इस बहन को पहना देंगे तो ये बहन खुशी से ओढ़ लेंगी, और ससुराल वाले दो चार दिन बातें बनाकर रह जायेंगे, उनके लिए मै अपने भाई के परिवार को मुसीबत में तो नहीं डालूंगी, मै तो भुल ही गई थी कि तुझे गुड्डी का कॉलेज में एडमिशन करवाना है, वहां तो भारी भरकम फीस लगेगी और छोटी के स्कूल की भी तो फीस भरनी होगी, तूने अभी थोड़े दिन पहले ही बताया था पर मै ही भुल गई थी।”
“मेरे भाई हम दोनों के बीच प्यार का रिश्ता रहना चाहिए, लेन-देन से तो ये रिश्ता मुसीबत ही लगता है।”
रजत का चेहरा खुशी से खिल गया, मां की समझदारी से उसे अनचाही मुसीबत से छुटकारा मिल गया, शादी में मायरे के लिए उसने अपने हिसाब से कपड़े खरीदे और मां ने अपनी सोने की चैन निधि के लिए दे दी, हंसी-खुशी वो सपरिवार शादी में जाकर आया।
धन्यवाद
लेखिका
अर्चना खंडेलवाल
मौलिक अप्रकाशित रचना
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