इस आदमी ने मुझसे और मेरे बच्चे से हमारी पहचान ही छीन ली !! (भाग 2) –  स्वाती जैंन: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

महीपाल जी बोले तुम लोग बात को समझ नहीं रहे हो !! वैसे ही अच्छे लड़के मुश्किल से मिलते हैं और सभी रिश्तेदार लड़के और इसकी मां की खुब तारीफ कर रहे थे !!

शालू तुम लड़के की तस्वीर देख लो , उम्मीद हैं तुम ना नहीं कहोगी !!

महीपाल जी अपनी बात कहकर जा चुके थे !! खुद की शादी की बात सुनकर शालू एक पल सिसक सी गई थी मगर जब पंकज की तस्वीर देखी तो देखती रह गई !!

मानो यही तो था वह भावी राजकुमार जिसके सपने शालू देखा करती थी !!

आर्कषक व्यक्तित्व वाले पंकज की तस्वीर एक नजर में ही शालू को भा गई और वह शादी के लिए इंकार ना कर पाई !!

पंकज के घरवाले शालू को देखने आए और थोड़े ही दिनों में रिश्ता पक्का हो गया !! शादी की तारीख निकाल दी गई !!

अभी शादी होने में तीन महिनों का समय था !! शालू का मन अब बिल्कुल पढ़ाई में नहीं लगता था !!

वह पकंज के ख्यालों में डूबी रहती !! एक दिन जब पंकज ने सामने से शालू से फोन पर बात की शालू उसकी आवाज से ओर मंत्रमुग्ध हो गई !! पंकज की आवाज में एक अजीब सी कशिश थी जो शालू के रोम रोम को दिवाना कर गई !!

अब शालू भी सामने से पंकज को फोन करने लगी थी , पंकज शालू को बहुत कम समय दे पाता था क्योंकि ऑफिस की व्यस्थता और घर पर शादी की तैयारियां !!

पंकज के व्यस्त रहने के कारण शालू कभी कभार पंकज से नाराज हो जाती तो पंकज कहता कि घर का इकलौता बेटा होने के कारण वह अपनी मां के साथ हर जगह खरीदारी में व्यस्त हैं !!

शालू मान तो जाती मगर उसे पंकज की बहुत याद सताती !!

आखिर इंतजार की घडियां खत्म हुई और पंकज और शालू की शादी हो गई !!

पंकज के पापा का पंकज के बचपन में ही निधन हो चला था !! पंकज की मां सीमा जी ने पंकज को बडे लाड प्यार से पाला था !!

सीमा जी ने नई दुल्हन का अपने घर में स्वागत किया और शालू को उसका कमरा दिखाया !! शालू के बहुत इंतजार के बाद पंकज अपने कमरे में आया !!

पंकज को देख शालू का रोम रोम खिल उठा !! पंकज भी शालू से देर से आने पर माफी मांगने लगा और उसने शालू को अपने आगोश में ले लिया !! 

दूसरे दिन सुबह शालू जल्दी उठ गई और पुजा पाठ करके रसोई में गई !!

सीमा जी बहु को देखकर बोली आज तुम्हारी पहली रसोई हैं बहु तो कुछ मीठा बना लो !!

शालू को मीठे में सुजी का हलवा बनाने आता था , उसने तुरंत सुजी का हलवा बनाना शुरू कर दिया !!

पंकज कमरे से बाहर आया तो हलवे की खुशबु से घर महक रहा था !!

सभी लोग साथ में नाश्ता करने बैठे तब शालू ने सीमा जी और पंकज को गर्म गर्म  सुजी का हलवा परोसा !!

दोनों हलवा खाने लगे , शालू दोनों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही थी क्योंकि अपने मायके में जब भी शालू सुजी का हलवा बनाती थी , सभी लोग उसकी खुब तारीफ करते थे , यहां तक कि उसका भाई अजय भी जो कि शालू की कोई भी चीज की कभी तारीफ नहीं करता था उसे छेड़ने के लिए जान बुझकर उसकी बनाई चीजों में नुक्स निकालता ताकि शालू नाराज हो जाए मगर हलवा खाकर तो वह भी शालू के गुणगान गा ही लेता था !!

उतने में पंकज बोला शालू हलवा तो तुमने अच्छा बनाया हैं मगर मेरी मां जितना नहीं !!

मेरी मम्मी बहुत स्वादिष्ट हलवा बनाती हैं !!

बेटे के मुंह से तारीफ पाकर सीमा जी हंसकर बोली पंकज तु भी ना !!

पंकज बोला मम्मी जो है वो हैं , आपके बनाए हलवे के सामने यह हलवा कुछ भी नहीं !!

पंकज के मुंह से यह शब्द सुन कर शालू को थोड़ा सा बुरा लगा क्योंकि आज उसकी पहली रसोई थी !!

पंकज और उसकी सास सीमा जी बस इतना ही कह देते कि हलवा अच्छा है तो शालू की मेहनत सफल हो जाती मगर दोनों मां बेटे तो बस एक दूसरे की तारीफ में मशगूल थे , सीमा कुछ ना बोली और वापस रसोई में आकर काम करने लगी !!

 आज पंकज के ऑफिस की छुट्टी थी ,

शालू सोच रही थी कि पंकज उसे कहीं घुमाने ले जाएगा मगर पंकज ने अपना पूरा दिन टी.वी के सामने ही बिता दिया और रात को भी बहुत देर तक पंकज कमरे में नहीं आया !!

यहां शालू बेसब्री से पंकज का इंतजार कर रही थी !! काफी देर बाद जब पंकज आया तो शालू बोली इतनी देर कहां थे आप ??

पंकज बोला मम्मी के कमरे में सोया था !!

शालू को जवाब कुछ अटपटा सा लगा वह बोली मम्मी के कमरे में क्यूं ??

पंकज बोला जब मैं बहुत छोटा था पापा  हमें छोड़कर भगवान को प्यारे हो गए थे तब से मैं मम्मी के साथ ही सोता आया हुं !! इस नए कमरे में सोने की आदत नहीं हैं इसलिए वहीं सो गया था !!

शालू तुम्हें एक बात बतानी हैं !!

शालू बोली हां कहिए !!

पंकज बोला मेरे लिए इस दुनिया में मेरी मम्मी से बढ़कर कोई नहीं हैं इसलिए मेरी मम्मी को कोई तकलीफ मत देना !!

शालू अब समझ चुकी थी कि आज इतना टेस्टी हलवा बनाने के बाद भी पंकज ने उसकी तारीफ क्यूं नहीं की थी !!

दूसरे दिन से पकंज ने ऑफिस जाना शुरू कर दिया था !! पंकज शालू को हनीमून के नाम पर कहीं घूमाने तक नहीं ले गया क्योंकि उसकी मां घर में अकेली कैसे रहेंगी और सीमा जी भी बस बेटे को अपने पल्लू से बांधे रखना चाहती थी इसलिए कभी बेटे से बहु को बाहर घूमाने , खिलाने नहीं कहती थी !!

सीमा जी अब शालू के हर काम में मीन मेख निकालने लगी मगर शालू पलटकर एक जवाब ना देती क्योंकि उसे समझ आ गया था सीमा जी से कुछ कहना मतलब पंकज को कहना हैं !!

एक शाम पंकज ऑफिस से थक हारकर घर आया और सीमा जी को देखते ही बोला मम्मी , एक ग्लास पानी दे दो और मेरे लिए एक बढ़िया सी चाय बना दो !!

उतने में शालू पंकज के लिए पानी का ग्लास लेकर आ गई !!

पंकज गुस्से में बोला – तुम्हें बिल्कुल अक्ल वक्ल नहीं हैं क्या ?? मैंने मम्मी से पानी मांगा हैं तुमसे नहीं !!

अगला भाग

इस आदमी ने मुझसे और मेरे बच्चे से हमारी पहचान ही छीन ली !! (भाग 3) –  स्वाती जैंन: Moral stories in hindi

धन्यवाद !!

आपकी सखी

स्वाती जैंन

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