सफ़र मुहब्बत का (भाग -10) : Moral Stories in Hindi

अब तक अपने पढ़ा…

ऑफिस से निकलने के बाद गौरव , मीरा, राहुल और अनुराधा को लेकर अपने कॉलेज के पास वाली चाय की दुकान पर जाते है वहाँ से राहुल को घर छोड़ने के बाद.. अनुराधा जब drive करने लगती है तो कुछ लोग उनके पीछे लग जाते है.. उनसे बचते हुए अनुराधा गाड़ी को झाड़ियों

के बीच में ले जाती है… और गाड़ी का का पहिया वहीं फस जाता है

अब आगे….

अनुराधा गाड़ी को रेस देती है लेकिन गाड़ी आगे बढ़ती ही नही… गौरव उस से कहता है कि आप हटो मैं देखता हूँ .. दोनों दरवाज़ा खोल कर बाहर आते है… गौरव नीचे बैठ कर देखता है गाड़ी का पहिया नीचे की तरफ धसा हुआ था…. वो driving seat पर आ कर बैठता है और गाड़ी को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है लेकिन वो नहीं बढ़ती….. अनुराधा को bikes की आवाज़ सुनायी देती है वो गौरव को कहती है

“सर बाहर निकलिए.. वो लोग आ रहे है”

गौरव बाहर आता है और उसे भी bikes की आवाज़ आती है…

वो इधर उधर र्देखता है तो उसे अपने से भी  काफ़ि ऊँची झड़ियाँ दिखायी देती है…. और bikes की आवाज़ और पास सुनायी देने लगती है

ये कहाँ फंस गए हम …

सर ये सब सोचने का वक़्त नही है आप चलिए….

अनुराधा अपना दुपट्टा साइड में  बांधती है अरे छोड़ो ये सब  कहते हुए गौरव उसका हाथ पकड़ता है और दोनों आगे की तरफ भागने लगते है…. झाड़ियों में भागना आसान नहीं था …. सुखी हुयी झाड़ियों में कांटों की भी झड़ियाँ थी….जिस से बचते हुए दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए भागे जा रहे थे….. Bikes की आवाज़ और तेज हो गयी थी….. गौरव और अनुराधा भागते हुए थकने लगे थे और धीरे – धीरे अंधेरा भी होने लगा था |

गौरव ने अनुराधा को रोका और बोला “अब और नही भाग सकते अंधेरा होने लगा है कुछ दिखायी नहीं दे रहा.”..

अनुराधा भी रुक गयी और बोली ” सर भागना तो पड़ेगा किसी सुरक्षित जगह जाना पड़ेगा मोबाइल गाड़ी में रह गया ये सब इतनी जल्दी हुआ कि मोबाइल लेने का मौका ही नही मिला वो हाफ़ते हुए बोले जा रही थी….

गौरव ने कुछ सोचा और देखा दूसरी तरफ एक पगडंडी जैसा साफ रास्ता दिख रहा था उसने वो रास्ता दिखाते हुए  कहा यहाँ से चलते है…. ये साफ  रास्ता है कहीं ना कहीं पहुँच ही जाएंगे… अनुराधा और गौरव उस रास्ते पर चलने लगे….

डेविड   location तक गाड़ी ले आया था… तीनो ने गाड़ी से उतर कर देखा तो गौरव की गाड़ी कहीं दिखायी नही दी … राहुल ने फोन लगाया तो रिंग जा रही थी लेकिन कोई फोन उठा नही रहा था…. उसने अपने माथे पर हाथ रखा और बोला…. फोन नही उठा नही अनुराधा जी

मीरा भी परेशान हो गयी …..और बोली कहाँ गए ये दोनों  रात भी हो रही है  तुम फिर से try करो… मैं पूछती हूँ किसी ने देखी हो गाड़ी तो ..

मीरा लोगो से पूछने के लिए चली गयी उसने मोबाइल से गौरव की और अनुराधा की फोटो जो आज ही ली थी निकली और पूछने लगी

राहुल भी फोन लगा रहा और डेविड इधर ई

उधर देख रहा था कि गौरव की गाड़ी दीखे

तीनों को निराशा  हाथ लगी क्योंकि गौरव और अनुराधा गाड़ी से उतरे ही नही थे…. इसलिए किसी ने उनको देखा ही नही

अंधेरा होने की वजह से अब और भी मुश्किल हो रहा था ये समझना कि कहाँ जाए….

डेविड ने अपना फोन निकला और गौरव के फोन पर call किया इस उम्मीद में कि शायद उसका फोन लग जाए….. लेकिन वो फिर आउट ऑफ कवरेज बता रहा था

. डेविड के फोन पर दीनदयाल जी का फोन आ रहा था … तीनों परेशान होकर एक दूसरे को देखने लगे….

क्या कहूँ मैं सर से …डेविड ने पूछा

कुछ नहीं कहो बोलो कि हम बाहर खाना  खा कर आयेंगे .. मीरा ने कहा

गौरव सर के बारे में पूछे तो?

तो बोल देना वो वॉशरूम में है राहुल ने कहा

डेविड ने फोन उठाया और बोला

हैलो सर

डेविड कब आ रहे हो सब…. और गौरव का फोन क्यों नही लग रहा ?

सर हम लोग खाना खा कर आयेंगे.  ऐसा सर ने बोला और उनके फोन में सिग्नल नहीं होंगे इसलिए नही लग रहा.,.. वो अभी वॉशरूम गए है आते है तो बात करवाता हूँ |

अनुराधा से बात करवाओ

वो तो मीरा जी के साथ बाहर गयी है…. आप तब तक राहुल सर सी बात करिए

कह कर फोन डेविड न राहुल को दे दिया

हैलो बाबा

राहुल क्या हो रहा है…. कहाँ है गौरव

अभी बताया तो डेविड ने कि वॉशरू गया है

राहुल कुछ हुआ है क्या

नहीं बाबा कुछ नही हुआ

ठीक है…. खाना खा कर आ जाना

जी बाबा  .

राहुल मीरा और डेविड तीनों दीनदयाल जी की बात से परेशान हो गए और कार करें ये सोचने लगे

गौरव और अनुराधा उस पगडंडी पर चले जा रहे अंधेरा होने की वजह से अब कुछ दिख नही रहा बस वो अंदाज़े से एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए चले जा रहे थे  गौरव चलते – चलते रुक गया  …

क्या हुआ अनुराधा ने पूछा

कहाँ चले जा रहे है हम पता ही नही चल रहा है…. कुछ दिखायी भी नही दे रहा है दोनों तरफ झड़ियाँ है…. क्या करें?

तभी bikes की आवाज़ आने लगी और उसकी लाइट हल्की सी दिखायी दे रही रही थी…

गौरव ने अनुराधा को झाड़ियों की तरफ खींचा ….

अनुराधा ने कहा  सर ये…….गौरव ने उसे तब तक झाड़ियों के अंदर खींच लिया और बोला अब यही एक सोल्यूशन है…शायद हम बच सकें और वहीं बैठ गया…..

अनुराधा को भी सही लगी उसकी बात और वो भी वहीं बैठ गयी….

Bikes की आवाज़ और तेज़ हो गयी थी और light भी दिखने लगी थी

गौरव और अनुराधा ने एक दूसरे का हाथ कस के पकड़े हुए थे |

bikes की आवाज़ लगातार आ रही अनुराधा और गौरव सांसे थामे बैठे हुए थे…bikes से उतर कर वो लोग इधर उधर बातें करते हुए देख रहे थे |

आज इतना ही…अब नए साल में आप सबसे मुलाक़ात होगी |

आप सभी को नए साल की बहुत – बहुत शुभकामनाएं

भाग – 11 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -11) : Moral Stories in Hindi

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सफ़र मुहब्बत का (भाग -9) : Moral Stories in Hindi

 

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

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