सफ़र मुहब्बत का (भाग -9) : Moral Stories in Hindi

अब तक आपने पढ़ा….

दीनदयाल जी महीने की आखरी तारीख को ऑफिस जाते है और सबसे मिलते है…

मीरा भी गौरव को कहती है कि जो उसने सोचा है वो ना करे लेकिन वो नही मानता

अब आगे….

गौरव मीरा की बात सुनकर जाने के लिया उठ जाता है ……मीरा उसका हाथ पकड़ते हुए उसे बैठती है और कहती है……ठीक है नही करते ये बात……..तुम बैठो तो सही…

गौरव फिर से बैठ जाता है….मीरा पूछती है तो क्या प्लैन है तुम्हारा?

अभी कुछ सोचा नहीं मैंने…

राहुल और मीरा मन में सोचते है ये ना ही सोचे तो अच्छा है

परसो मुझे मीटिंग के लिए बाहर जाना है…..फिर देखता हूँ …..

गौरव तभी पीछे से दीनदयाल जी ने उसे आवाज़ दी…

जी कह कर गौरव अपनी जगह से उठ कर उनके पास चला गया

राहुल ने मीरा से कहा ” पता नही हो क्या गया है इसको … बहुत समझा लिया लेकिन इसको समझ नही आ रहा या ये समझना नहीं चाहता “

मीरा मुस्कुरायी और बोली “कुछ तो हो गया इसको अब क्या है वो उसे ही पता है

मैं तो अनुराधा के लिए सोच रहीं हूँ…..कैसे वो ये सब handle करेगी … “

शाम तक ऑफिस वालों से मिलकर और लंच करके दीनदयाल जी और  शांति जी के साथ  घर वापस आ जाते है…

गौरव , राहुल, अनुराधा, मीरा और रीना सब एक ही गाड़ी में थे…. जिसे राहुल चला रहा था…मीरा ने कहा चलो ना थोड़ी देर कहीं घूम कर आते है….

थकी नही हो तुम…. राहुल ने पूछा

नहीं ….थकने की क्या बात है … क्यों गौरव चलें अपनी पुरानी जगह… ?

गौरव ने मुस्कुरा कर कहा चलो…. लेकिन चाय के पैसे तुम दोगी… मंजूर है तो बोलो?

ह्म्म्म ok…..

राहुल भी drive करते हुए मुस्कुरा रहा था अनुराधा भी उनकी बातें सुन कर हँस रही थी

रीना ने कहा… सर आप मुझे यहीं उतार दीजिये

.

क्यों तुम नही चलोगी.?  … गौरव ने पूछा

नहीं सर मुझे कुछ काम है….

अरे हो जायेगा काम… बाद में अभी चलो राहुल ने करा

नहीं सर वो डॉक्टर से अपॉइंटमेंट है मम्मी को दिखाने के लिए |

राहुल गाड़ी साइड में लगाओ… गौरव ने कहा

राहुल ने गाड़ी साइड में लगायी और रीना गाड़ी से उतर गयी उसने cab बुलायी और चली गयी

राहुल ने गाड़ी को सड़क पर दौड़ा दिया….. थोड़ी ही देर में सब एक चाय की दुकान के सामने खड़े थे….. सब उतर गए

अनुराधा ने देखा वो एक पुरानी सी चाय की दुकान थी …. जिसके पास से एक सड़क अंदर की तरफ जा रही थी….. वहाँ से कुछ कॉलेज स्टूडेंट्स आ रहे थे…… मीरा ने अनुराधा से कहा….

यहाँ इस सड़क से जाते हुए गौरव का कॉलेज है… वैसे तो मैं भी यहीं पढ़ी हूँ… लेकिन गौरव और मेरी लडाई की कहानियों की गवाह ये दुकान है…. और पता है मैंने कभी यहाँ चाय के पैसे नही दिए…. वो मैंने ना दुकान वाले से कह रखा था कि ये गौरव देगा मेरी चाय के सारे पैसे……बस इसी बात पर रोज़ लडाई होती थी मेरी और इसकी……. दुकान वाला रोज़ परेशान होता और हार कर गौरव को ही देने पड़ते थे पैसे…… वैसे ये मुझसे कभी जीत नही पाया…… क्यों गौरव.. ?

गौरव बस खड़े हुए मुस्कुरा रहा था….

हाँ ये बात तो सच है सिर्फ मीरा ही है जो इसे हरा सकती है वरना ये किसी की  सुनता कहा है….. राहुल ने कहा

तभी  कैसे हो गौरव बाबू ?कहते हुए उस दुकान के मालिक  एक नौकर के साथ चाय ले कर आए

अच्छे है काका आप बताओ…. ?

बस आपकी मेहर है… मीरा बिटिया इस बार भी पैसे गौरव ही देगा ना कहते हुए उन्होंने मुस्कुरा कर चाय का गिलास मीरा को पकड़ा दिया…

मीरा ने कहा… नहीं काका आज हम देंगे और हँसने लगी..

ठीक है आप लोग चाय पियो हमें ज़रा काम है

मोहन पैसे मत लेना इनसे ये हमारे पुराने पहचान वाले है.. हम चलते हैं … राम राम

कह कर दुकान के मालिक चले गए |

लो इस बार भी तुम बच गयी पैसे देने से

गौरव ने हँसते हुए कहा…

चाय वाकई में बहुत अच्छी है… अनुराधा ने एक सिप लेते हुए कहा

सबने चाय पी और गाड़ी में बैठकर निकल गए….

राहुल ने पहले मीरा को घर छोड़ा फिर अपने घर की तरफ गाड़ी मोड़ ली….

अनुराधा जी आप drive तो कर लेती हैं ना राहुल ने पूछा

हाँ बिल्कुल

तो मेरे घर  से drive आप कर लीजियेगा…. गौरव नहीं करता ज़्यादा drive

ठीक है अनुराधा ने कहा और राहुल का घर आने के बाद वो driving seat पर आ गयी | उसने गूगल मैप लगाया…और गाड़ी स्टार्ट कर दी… राहुल ने बाय बोला और घर के अंदर चला गया |

राहुल के घर से गौरव का घर मैप पर क़रीब 7 किलोमीटर दिखा रहा था बीच में हाई वे था और एक ब्रिज….. अनुराधा गाड़ी को आराम से चला रही थी…. तभी एक गाड़ी उस से थोड़ी दूरी पर साथ में  चलती. हुयी आ गयी…अनुराधा ने एक नज़र देखा और ज़्यादा ध्यान नहीं दिया…

एक मिनट बाद दूसरी तरफ से एक और गाड़ी उसके साथ चलने लगी…. अनुराधा ने mirror में देखा तो एक और गाड़ी उसकी गाड़ी के ठीक पीछे थी….. अब अनुराधा को कुछ गड़बड़ लग रही थिर क्योकिं वो उसको आगे जाने नही दे रहे थे…

गौरव अपने फोन में कुछ देख रहा था…. उसका ध्यान ही नहीं था की क्या हो रहा है

अनुराधा ने गौरव से कहा सर…. तीन गाडियाँ हमारा पीछा कर रही है

गौरव ने उसकी बात पर इधर -उधर देखा तो उसे भी वही लगा…….

अनुराधा ने कहा….. सर आप परेशान ना हो मैं कुछ करती हूँ

मैं मीरा , डेविड और राहुल को msg कर देता हूँ गौरव ने  कहा

जी सर ….

अनुराधा ने देखा ब्रिज पर चढ़ते ही पीछे वाली गाड़ी उसके साथ नही आ रही थी मतलब बस वो उसे वहीं तक फॉलो करने वाली थी….. लेकिन साइड वाली दोनों गाडियाँ उसके साथ ही चल रहीं थी…. वो अपनी गाड़ी को इधर -उधर  नहीं कर सकती थी

उसने कुछ सोचा और मैप में देखा …. उसके होंठो पर मुस्कान आ गयी….. सर आप निश्चिंत हो कर बैठिए कुछ नही होगा आपको…..

गौरव ने उसकी तरफ mirror में देखा और सिर हिला कर हाँ कहा वो भी इधर उधर देख रहा था…..

जैसे ही गाड़ी ब्रिज से नीचे उतरने वाली थी अनुराधा ने गाड़ी की स्पीड को कम करना शुरू किया धीरे – धीरे उसने गाड़ी की स्पीड को कम किया और उसके दोनों तरफ चलने वाली गाड़ियों के पीछे हो गयी तब तक ब्रिज खत्म हो गया थे…. उसने गाड़ी को सड़क के साथ जाने वाले रास्ते पर मोड़ दिया….. बाक़ी दोनों गाडियाँ अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ गयी अनुराधा ने राहत की सांस ली और मैप की तरफ देखा…. वो उसे देखते हुए आगे बढ़ गयी

गौरव ने ये देखा तो बोला – imperssive बहुत बढ़िया किया आपने

उधर डेविड, Rahul और मीरा को जब गौरव को जब msg मिला तो तीनो एक दूसरे को पिक करते हुए उसी तरफ बढ़ने लगे….. राहुल ने गौरव से बात करने के लिए फोन लगाया तो लगर नही… उसने अनुराधा को फोन लगाया…. उसने फोन पिक किया speaker पर डाल दिया और राहुल से कहा …अभी तो वो लोग नहीं दिख रहे लेकिन आगे का नही पता मुझे

राहुल ने कहा location भेजो हम लोग पहुँचते हैं..

सर अभी रुकिए  बस आप ब्रिज ख़तम होते ही जो सड़क है उसी पर आ जाइये…

मैं अभी कुछ नहीं कर सकती

गौरव तुम भेजो location मीरा ने कहा..

मेरा फोन काम नही कर रहा…. पता नही क्यों….

अरे तो अनुराधा के फोन से भेजो ना मीरा ने ज़ोर से कहा…. और तुम इतनी शांति से कैसे बैठे हो यहाँ हमारी जान निकली जा रही है

तो क्या करूँ मैं बताओ?

कुछ मत करो….. तुम location भेजो बस

अनुराधा ने गौरव को फोन दिया और गौरव ने location भेज दी और वापस से मैप लगा कर अनुराधा को दे दिया… अनुराधा मैप में देख कर गाड़ी को दौड़ाए जा रही थी…….

उधर डेविड भी location देख कर गाड़ी चला रहा था… राहुल के फोन की रिंग बजी तो उसने देखा  दीनदयाल जी का फोन था… उसने मीरा को फोन दिखाया तो मीरा ने बात करने को कहा और गौरव के बारे में बताने के लिए मना कर दिया

हैलो बाबा

राहुल कहाँ हो तुम और गौरव का फोन क्यों नहीं लग रहा…अब तो रात होने को है ?

बाबा बस हम गाड़ी में ही है गौरव सो गया है उठता है तो मैं बात करा देता हूँ आपकी….. आप मीरा से बात करेंगे ?

नहीं बस गौरव उठे तो बात करा देना और आ जाओ अब तुम लोग

जी … कह कर राहुल ने फोन रख दिया

डेविड लगभग उस location पर पहुँच चुका था

अनुराधा को मैप रास्ता दिखाते हुए किसी छोटे शहर के अंदर ले आया था शाम के वक़्त जहाँ बाज़ार लगा हुआ था…. अनुराधा ने गाड़ी की रफ़्तार को कम किया और सबसे बचाते हुए लगभग एक किलोमीटर चलाते हुए गाड़ी को खुली सड़क पर ले आयी उसने गाड़ी को साइड में लगाया और गौरव को आगे आ कर बैठने के लिए बोला….उसने राहुल को फोन लगाया

अनुराधा जी कहाँ हो आप और गौरव ठीक है..?

हाँ सब ठीक है सर मैं आपको location भेज रहीं हूँ आप कहाँ तक पहुँचे

हम वहाँ पहुँच गए जहाँ की पहले वाली location थी

अच्छा ठीक है… ये मैप ने जो रास्ता बताया मैं उसी को देखते हुए जा रही हूँ.. यहाँ से तो गाँव जैसा कुछ है थोड़ी थोड़ी दूर पर…इस वक़्त मैं सोनपुर नाम की किसी जगह पर हूँ |

ठीक है वहीं पर रुको…. यहाँ से 5 किलोमीटर दिखा रहा है मैप

राहुल ने कह कर फोन काट दिया और डेविड को जल्दी चलने को बोला

अनुराधा ने गौरव की तरफ देखा और बोली सब आ रहे है

गौरव ने कुछ नही कहा बस हाँ में सिर हिला दिया |

अनुराधा इधर उधर देखने लगी तो उसने देखा कि सड़क के दूसरी तरफ  bikes पर बैठे हुए लोग उसकी गाड़ी की तरफ ही देख रहे है …. और bike को रेस दे रहे है..

उसने गौरव से उधर देखने को बोला…

तब तक वो लोग थोड़ा आगे आ गए थे बाज़ार था इसलिए उनको निकालने में असुविधा हो रही थी..

गौरव ने अनुराधा से कहा ये लोग ठीक नही लग रहे गाड़ी बढ़ाओ आप

अनुराधा ने उसके कहते ही गाड़ी स्टार्ट की और सामने की सड़क पर दौड़ा दी… वो bikes भी उसके पीछे – पीछे जाने लगी गाँव पीछे छूट गया था और अब सड़क खुली हुयी थी….. अनुराधा ने गाड़ी की स्पीड बढ़ायी और गाड़ी को दौड़ा दिया वो bikes भी उसके पीछे ही आ रही थी…

अनुराधा ने गौरव की तरफ देखा तो वो उन bikes को पीछे घूम कर देख रहा

अनुराधा ने  गाड़ी को सड़क पर ना रख कर एक कच्चे रास्ते पर दौड़ा दिया…. वो  ऊबड़ खाबड रास्ता सूखी हुयी झाड़ियों के बीच से जा रहा था….

ये क्या किया आपने ये झाड़ियों में क्यों ले जा रही हो गाड़ी को

सर अगर ऐसा नही करती तो वो लोग हमे पकड़ लेते…. अब उनको bike चलाने में परेशानी होगी और हम आगे निकल जायेंगे

गौरव ने फिर कुछ नहीं कहा

अनुराधा गाड़ी दौड़ाए जा रही थी….. उसकी नज़र मैप पर गयी तो उसने देखा ज़िक जैक जैसा रास्ता दिखाई दे रहा था….वो उसी रास्ते पर चल दी ….. थोड़ी दूर जाकर गाड़ी कहीं फस गयी अनुराधा ने रेस दी लेकिन वो निकल नही रही थी…

आशा करती हूँ कहानी का ये भाग आपको पसंद आया होगा

जल्दी ही फिर मिलूँगी |

भाग – 10 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -10) : Moral Stories in Hindi

भाग – 8 का लिंक

सफ़र मुहब्बत का (भाग -8) : Moral Stories in Hindi

धन्यवाद

स्वरचित

कल्पनिक कहानी

अनु माथुर

©®

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!