जो होता आ रहा वो हमेशा सही नहीं होता – अंजना ठाकुर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बहु तुमने नेहा से क्या कह दिया वो रोए जा रही है

और अपने घर जाने की की रही है बोल रही अब तो ये घर पर मेरा हक ही नहीं है ..

रिचा की सास गुस्से से रिचा को चिल्लाई रिचा अभी कुछ दिन पहले ही बहू बनकर आई है सास

का गुस्सा देख वो डर गई बोली कुछ नहीं मांजी दीदी मेरी साड़ी मांग रही थी बोली उन्हे यही चाहिए तो मैंने कहा आप दूसरी पसंद कर लो ये मेरी मां ने प्यार से अपने हाथों से बनाई थी मेरी शादी के लिए  उन्होंने कितने दिन मेहनत करके अपने हाथों से कड़ाई की थी  इसमें उनका प्यार और अपनापन है  उस से जुड़ी कई यादें हैतो मैने मना कर दी 

सास (सरोज जी )बोली बहु तुम्हें किसी ने सिखाया नहीं बहु की हर चीज पर ससुराल वालों का हक होता है और हमारे खानदान मैं ऐसा नहीं होता की जो पूज्य है उनका दिल दुखाओ ननद का ओहदा भी सास बराबर होता है और वो तो शादी शुदा है लाओ वो साड़ी दे दो और ननद को खुशी खुशी विदा करो सरोज जी साड़ी की और बढ़ते हुए बोली बहू तुम कोई नया काम नहीं कर रही हमने तो अपना पूरा दहेज अपनी ननद की शादी मैं दिया तुम्हारी दादी सास बोली अब इतने पैसे कहां खर्च करेंगे पैसा काम आएगा  तो एक एक चीज दे दी थी जबकि मेरे पिताजी और मां ने जैसे तैसे करके दहेज इक्कठा किया था की बेटी को कोई तकलीफ नहीं हो पर हमने बिना सामान गुजारा किया फिर धीरे धीरे समान इकट्ठा करने मैं आधी जिंदगी गुजर गई और तुम एक साड़ी मै कंजूसी कर रही हो और बनवा लेना अपनी मम्मी से।

रिचा बोली  बात वो नही है अब मां को इतना दिखता नही है तो वो बना नही पाएंगी दूसरी बात

अगर खानदान मैं कुछ गलत हो रहा है तो उसको बदलना भी जरूरी है आप बताइए जरा जब आपका सामान दिया तो आपको दुख नहीं हुआ

की आपके माता पिता ने कितने अरमान से सब दिया और अगर कोई मजबूरी है तो त्याग समझ आता है  आज आप पर सब है फिर भी क्या आपको अपने दिए सामान की कमी नहीं अखरती क्योंकि सामान तो हम और ले लेते है लेकिन वो भावना कहां जुड़ पाती है ।

सरोज जी को अहसास हुआ की बहू सही कह रही है आज तक उन्हें ये बात कचोटती है जब भी वो अपनी ननद के जाती है तो समान देख कर दिल उदास सा हो जाता है उस से जुडी सब याद दिल मै उभर आती है  उस पीड़ा को बही जानती है और आज वो भी बही कर रही थी

वो बोली हां बहू कुछ बातें रोकना जरूरी है खानदान के नाम पर गलत करते रहना गलत है मैं नेहा को समझाती हूं

रिचा बोली मैं दीदी को नाराज करना नही चाहती अगर उन्हें पहन कर अपना शौक पूरा करना है तो पहन सकती है जब उनकी मर्जी हो ।

सरोज जी नेहा को समझाने चली गई आज खानदान की गलत परम्परा खत्म हो गई थी।।

#खानदान

स्वरचित

अंजना ठाकुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!