Moral stories in hindi : गोल्ड फेशियल करवा लेना, मैनीक्योर, पैडीक्योर… बालों के लिए अच्छा सा कट ले लेना… और हां स्किन ग्लो करने के लिए ब्यूटीशियन से कोई अच्छी सी क्रीम भी पूछ लेना….
मम्मी की सलाहों का पिटारा खुल चुका था. रिया तेजी से गेट खुला छोड़ते हुए बाहर निकल चुकी थी।
पीछे से मम्मी बड़बड़ाते हुए बाहर आई, गेट बंद करते हुए वापस वैसे ही बोलते हुए अंदर चली गईं।
कैसे समझाऊं इस लड़की को.. पढ़ाई लिखाई के साथ थोड़ा रुप रंग पर भी ध्यान दें, मगर नहीं.. दिन रात किताबों में घुसी रहती है।
क्या करें?.. मां हैं ना! सो दिल नहीं मानता।
इसीलिए परेशान रहती हैं,अब छोटी बुआ ने जबसे रिया के लिए रिश्ता भेजा है.. वो तो लड़के के खानदान के बारे में जानकर ही निहाल हो गई हैं। लड़का उच्च शिक्षित, अच्छा घर परिवार.. अपनी रिया की शिक्षा दीक्षा के बारे में सुनकर ही उन लोगों ने स्वयं आगे बढ़ कर विवाह का प्रस्ताव भेजा है। रिया है भी ऐसी पढ़ाई के साथ – साथ शिक्षणेत्तर गतिविधियों में सदा आगे रहने वाली!
मगर मम्मी के दिल के एक कोने में डर बना रहता है कि कैसे होगा? कैसे अच्छा लड़का मिलेगा? बाहरी दिखावे पर मरने वाली ये दुनिया उनकी( साधारण से रूप रंग वाली) लड़की को कैसे पसंद करेगी?
ये ठीक है कि रिया बेहद समझदार, पढ़ी लिखी, जिंदगी के प्रति बहुत सुलझा हुआ नजरिया रखने वाली, लड़की है, मगर मां तो दुनिया के दिखावे से परिचित हैं ना
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और जब से बुआ जी ने यह रिश्ता बताया है उन्होंने तो कमर ही कस रखी है, रिया के लिए ढेर सारे उबटन, घरेलू फेसपैक बनाती रहती हैं रिया कभी भुनभुनाते हुए कभी मां की ममता भरी कोशिशों के आगे हारकर, वो करती है जो मां कहती हैं।
क्या करें?, मां समझती क्यूं नहीं, अपने पैरों पर मजबूती से खड़ी हो जाउंगी तो किसी परिस्थिति की मोहताज नहीं रहूंगी…. फिर मिलेगा, मैं जैसी भी हूं, उसकी कद्र करने वाला… मगर मम्मी भी ना!… जाने क्या चाहती हैं?
और वो दिन आ ही गया जब लड़के वाले आने वाले हैं.. दिन में किसी भी वक्त पहुंच सकते हैं.. और मम्मी ने उसे सुबह से ही ब्यूटी पार्लर के लिए रवाना कर दिया है, फुल टू ट्रीटमेंट के लिए।, बहुत सुंदर सा सूट साथ में देकर कि इसे ही पहन कर तैयार होना…. इस रंग पर रिया थोड़ी खिली – खिली लगेगी…उन लोगों के आने का समय निश्चित नहीं है.. बुआ जी के घर पहुंच कर उनके साथ ही निकलेंगे.. पता नहीं कब और कैसे पहुंचेंगे,?
लंबा टाइम ब्यूटीपार्लर में लगा, अच्छे से फेशियल ,हेड मसाज, मैनीक्योर पैडीक्योर… फिर इतनी खूबसूरती से मेकअप करके ब्यूटीशियन ने रिया को तैयार किया… जिसपे से रिया की एडवाइस साथ – साथ चल रही थी
देखो, मुझे बिल्कुल कार्टून मत बना देना, लीपा पोती ना लगे, हल्का सा, शटल… मैं, मैं ही लगनी चाहिए… साधारण सी रिया..
ठीक है.. ठीक है मैम.. आंटी जी की कुछ एडवाइस है..
और जब ब्यूटीशियन ने रिया को तैयार किया.. कि रिया की नजर आइने पर पड़ी तो एक पल को तो वो खुद पर ही रीझ गई!
सच!, सलीके से किया मेकअप इतना बदल कर रख देता है क्या??
अगले ही पल एहसास हुआ कि ये तो, सच्चाई नहीं है… क्या करें?, मम्मी का मन रखने के लिए करना ही पड़ा,
ब्यूटीपार्लर से निकली तो मौसम बेहद खुशगवार था।
सावन के महीने की छटा हर तरफ बिखरी हुई थी!
हल्के बादल छाए हुए थे, रिया ने झटपट आटो किया और घर की तरफ निकल पड़ी
पता था, पापा मार्केट की दौड़ धूप में लगे हैं, उसे लेने आने में समय लगेगा।
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चौराहे पर ये कैसी हलचल है? किसी की बड़ी सी गाड़ी पलट गई है… सब लोग देखते हैं और आगे निकल जा रहे हैं… कोई, एक्सीडेंट केस समझ कर उसमें पड़ना ही नहीं चाहता..
रिया ने पास पहुंच कर आटो रोक कर बाहर झांका,हल्की बूंदाबांदी शुरू हो चुकी थी।
क्या करूं, बाहर निकलूंगी तो सारा मेकअप धुल जाएगा…. फिर लड़के वाले कभी भी पहुंचते होंगे.. मम्मी देर होने पर नाराज़ होंगी सो अलग..
गाड़ी में से कुछ लोगों के कराहने की आवाजें आई…. और रिया ने तय किया कि…..
आटो से बाहर निकलते ही कोई गाड़ी तेजी से बगल से गुजरी…. और कीचड़ का जोरदार छींटा रिया के चेहरे पर पड़ा… कितनी जल्दबाजी में हैं सब, किसी मुसीबत में पड़े इंसान के बारे में सोचने/ रूकने/ करने का झमेला कौन पाले?
रिया ने दूसरी आटो जय करके सबको हास्पिटल पहुंचाया,…..शुक्र है.. किसी को कोई बड़ी चोट नहीं आई थी।
इस आपाधापी में तो कुछ ध्यान ही नहीं रहा….. पापा की ढेर सारी मिसकाल फोन में पड़ी थी।
पापा को फोन मिलाया तो उन्होंने बताया कि बुआ जी साथ में नहीं आ रही हैं… लड़के वाले शायद रास्ता भटक गाए हैं… उनका फोन नहीं लग रहा है।
रिया ने पापा को सारी सिचुएशन बताई और पापा भी उसी हास्पिटल में आ पहुंचे।
बाहर अब धुंआधार बारिश हो रही थी।
रिया किसी अपराधी की भांति खड़ी थी। जो जेलर को बताए बिना वहां से बरामद हो रहा था, जहां जाने की उसे मनाही थी।
उसका पूरा चेहरा और कपड़े कीचड़ में खराब हो चुके थे। अब घर जाकर मम्मी को क्या जवाब दूंगी? बेचारी महीनों से मेरे रूप रंग को निखारने में लगी है …. और आज..
मैं तो पहले से भी बद्तर हो गई हूं।
ये क्या?… पापा और वो एक्सीडेंट वाले अंकल उसकी ओर ही आ रहे हैं?
और पापा ने उसे बताया… ये ही वो परिवार है जो तुम्हें देखने आ रहा था।
??
अब?
अब क्या होगा?
मैं तो भूत की तरह खड़ी हूं
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” बस जो गुण हमें हमारी बहू में चाहिए थे, वो सब आपकी लड़की में है….. हम तो यही सोचकर परेशान थे कि बाहरी दिखावे वाली इस दुनिया में कोई सीधी सच्ची लड़की कैसे मिलेगी…. मगर आपकी लड़की को देखने के बाद,अब कुछ समझना बाकी नहीं है। हमारे खानदान के लिए आपकी हीरे जैसे सच्चे मन की लड़की को बहू के रुप में आपसे विनम्रता से मांगता हूं!! हमारी ओर से रिश्ता पक्का!!
लड़के की मां स्नेह से उसके सिर पर हाथ फेर रही थी
ओह, तो ये जो ( नौजवान) साथ में हैं.. ये ही हैं वो!!
सबको हास्पिटल से घर पहुंचना था… ये बारिश तो रिया के जीवन में नए रंग भरने आई है!!
” बाहरी दिखावे की परत धोकर, सच्ची अंतर्मन की सुंदरता लेकर
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पूर्णिमा सोनी
# खानदान, कहानी प्रतियोगिता
शीर्षक — अबकी सजन सावन में!!