खानदान – के कामेश्वरी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुरेखा की आँखें बरस रहीं थीं उनकी आँखों से नींद कोसों दूर थी । उन्हें बार-बार दोपहर की घटना याद आ रही थी जब ड्राइवर बहूको बता रहा था कि साहब को पुलिस ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है और कस्टडी में ले लिया है । उन्हें नहीं पता है कि सुरेखा ने इसे सुन लिया है ।

वह रात से सोच रही थी कि हमारा ख़ानदान इतना इज़्ज़तदार है आज भी गाँव में लोग हमारी इज़्ज़त करते हैं । पति ससुर सब बड़े पदों पर थे कोई सी टी ओ था तो कोई इनकम टैक्स विभाग में पर मजाल है कि किसी ने किसी से रिश्वत ली हो पर आज घर के बेटे ने बरसों से कमाई ख़ानदान की इज़्ज़त को मिट्टी में मिला दिया है ।

कल ही गाँव से आए सुशील को उसने कितने गर्व के साथ पूरा घर यह कहकर दिखाया था कि मेरे बेटे ने अपनी मेहनत से कमाया है । वाशिंगमशीन , डिशवाशर, फ्रिज, गेस स्टोव सब हम गाँव वालों के लिए नए थे वह तो यह सब बड़ी बड़ी आँखें खोलकर देख रहा था ।

आज देखो सब कुछ गड़बड़ हो गया है यह सब भी उसने रिश्वत के पैसों से ही ख़रीदा होगा यह सोचकर ही उसका दिल दुख रहा है। जल्दी से सुरेखा ने अपना सूटकेस निकाला और अपने कपड़े उसमें जमा कर उसे बंद कर हाथ में लिया ही था कि बाहर से बच्चों की और नौकरों की आवाज़ें सुनाई दी थी पापा आ गए, सार आ गए ।

जैसे ही सुरेखा कमरे से बाहर आई देखा बेटा सोफ़े पर बैठा हुआ बच्चों के साथ बातचीत कर रहा था । माँ को देखते ही उठ खड़ा हुआ परंतु सिर झुकाए हुए ।

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माँ के हाथ में सूटकेस को देखते ही कहा माँ आप कहाँ जा रही हैं । 

सुरेखा ने कहा कि तुझे तो अच्छे से मालूम है मैं क्यों जा रही हूँ । माँ मेरी कोई गलती नहीं । 

क्यों अपने दिल को तसल्ली दे रहा है बेटा । तुम्हें मालूम है कि हमारा ख़ानदान कैसा है। तुम्हारे दादा, पापा ने कितना नाम कमाया है और आज मैं गाँव में अपना मुँह कैसे दिखाऊँ पर मैं यहाँ रहकर इस खाने को नहीं खा सकती हूँ ।

तुम्हें याद है ना जब तुम स्कूल से अपनी कक्षा के एक छात्र की पेंसिल बॉक्स चुराकर ले आए और कहा पापा ने ख़रीद कर दिया है जबकि तुम्हें अच्छे से मालूम है कि घर की सारी ख़रीददारी मैं ही करती थी। तुम्हारे पिताजी को तो नौकरी के सिवा कुछ पता ही नहीं था ।

मैंने तुम्हें दो थप्पड़ लगाया और तुम्हें लेकर उस छात्र के घर पहुँची । उसे बॉक्स लौटाई और तुझसे माफ़ी मँगावाई थी । मुझे लगा था कि वह सबक तुम्हारे लिए बहुत है ज़िंदगी भर तुम इस सबक को याद रखोगे पर नहीं तुम तो रिश्वत लेने में और भी माहिर हो गए हो कोई बात नहीं है मैं यहाँ नहीं रह सकती हूँ मेरी आँखों के सामने ख़ानदान की इज़्ज़त को मिट्टी में मिलते हुए नहीं देख सकतीं हूँ सॉरी कहते हुए उसने अपनी सूटकेस को हाथ में लेकर घर से बाहर निकल गई । 

गाँव में रहते हुए उसे चार साल हो गए थे । एक दिन उसका बेटा उससे मिलने आया था बस स्टेशन से ऑटो में यह बताने के लिए कि वह बदल गया है । सुरेखा की आँखें खुशी से भर आईं । 

बेटे को गले लगा लिया । 

के कामेश्वरी 

 

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