मुझे भी शादी मे जाना है – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” मम्मा मम्मा ये क्या है ?” अलमारी साफ करते में सुनीति की चार साल की बेटी टिया इशारा करते हुए पूछती है।

” बेटा ये मम्मा पापा की शादी की एलबम है!” सुनीति बोली।

” मुझे देखना है मम्मा !” टिया बोली।

” ठीक है चलो बेड पर बैठो मम्मा लाती है एल्बम आप आराम से देखना और मम्मा को काम करने देना !” सुनीति एलबम उठाते हुए बोली।

” ओके मम्मा !” टिया ये बोल फटाफट बेड पर जाकर बैठ गई।

” मम्मा आप कितने सुंदर लग रहे हो दुल्हन बने हुए !” एलबम देखते हुए टिया बोली।

सुनीति काम करते करते टिया को देख मुस्कुरा दी। टिया पेज पलट पलट एलबम देख रही थी साथ साथ उसके चेहरे के हाव भाव भी बदल रहे थे। फिर उसने वापिस से पलट कर सारी एलबम देखी। तब तक सुनीति कमरे का काम ख़तम कर रसोई में चली गई थी।

” मम्मा आप बहुत गंदे हो !” तभी टिया रोते हुए आईं और सुनीति से बोली।

” क्यों बेटा क्या किया आपकी मम्मा ने ऐसा !” तभी टिया की दादी राधा जी वहां आ बोली।

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” दादी आप भी गंदे हो सब गंदे हैं मुझे किसी से बात नहीं करनी !” टिया रोते हुए बोली।

अब तो सारा घर परेशान आखिर सबकी लाडली टिया को हुआ क्या है सबने उसे बहलाने की कोशिश की चॉकलेट,  खिलौने सब दिए पर टिया रूठी ही रही।

” बेटा बताओ तो ऐसा क्या हुआ जो आप इतना रो रहे हो और सबको गन्दा बता रहे हो!” टिया के पापा राघव ऑफिस से आकर बोला।

” पापा आप सब शादी में गए और मुझे नहीं ले गए!” टिया रोते हुए बोली।

” कौन सी शादी में गए हम आपको छोड़ कर ?” राघव हैरान हो बोला।

” जिसमे मम्मा दुल्हन बनी थी और आप दूल्हा जिसकी एलबम भी है उसमे मेरी एक भी फोटो नहीं है !” टिया रोते हुए बोली।

” हे भगवान ये तेरी और सुनीति की शादी की बात कर रही है !” राधा जी सिर पीट कर बोली।

” बेटा तब आप भगवान जी के घर थे हमारे घर तो बाद में आए वरना हम आपको जरूर ले जाते शादी में !” राघव उसे बहलाते हुए बोला।

” तो आप भगवान जी के घर से पहले ही ले आते मुझे ! मुझे भी आपकी शादी मे जाना था !” टिया बोली।

” पर बेटा आपको भगवान जी ने तब हमे दिया ही नहीं हमारी शादी के बाद हमने प्रार्थना की भगवान जी से तब दिया उन्होंने आपको हमे!” राघव उसे गोद में उठा बोला।

” पर मुझे तो आपकी शादी में जाना है आप दुबारा से शादी करो !” टिया ने एक नई बात उठा दी।

” बेटा ऐसा थोड़ी होता है शादी तो एक बार ही होती है !” सुनीति उसे समझाते हुए बोली।

पर नन्ही बच्ची किसी के समझाए नहीं समझ रही थी सबके प्रयास विफल हो गए । टिया का रो रोकर बुरा हाल।

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” बहुत जिद करने लगी हो तुम एक बार बोल दिया ना समझ नही आता !” उसका रोना सुन सुनीति झुंझला कर गुस्से मे बोली सुनीति को गुस्से मे देख टिया और जोर से रोने लगी। 

” तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे राजकुमारी से ऐसे बात करने की । वो ठीक ही तो कह रही है वो तुम लोगो की शादी मे नही थी उसे बुरा तो लगेगा ना । सबको लगेगा !” राधा जी पोती को बहलाने के लिए बोली।

” दादी !” दादी से शह पाते ही टिया उनकी गोद मे चढ़कर रोने लगी।

” ठीक है हम दो महीने बाद तुम्हारे मम्मी पापा की फिर से शादी कर देंगे उनकी सालगिरह वाले दिन अब तो खुश !” राधा जी उसे चुप कराती बोली।

” ये…… मेरे मम्मी पापा की शादी होगी मैं भी शादी में जाऊंगी!” टिया खुश होते हुए बोली।

” मम्मी ये क्या कह रहे हो आप !” राघव राधा जी से बोला।

” बेटा बच्ची है कुछ दिन में भूल जाएगी !” राधा जी ने धीरे से कहा।

उधर टिया खुशी से झूम रही थी इधर सुनीति ने शादी की एलबम को ताले में छिपा कर रखा और कसम खाई जब तक बच्ची बड़ी नहीं होती इसे निकालना ही नही वरना फिर से ये तस्वीरें बवाल- ए -जान बन जाएंगी।

दोस्तों ऐसी परिस्थिति लगभग सभी मां बाप की जिंदगी में आती है जब उनके नन्हे मुन्ने रूठ जाते हैं कि हमे अपनी शादी में नहीं ले गए तब आप उन्हें कैसे बहलाते हैं बताइएगा जरूर

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

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