बहुत तेज बिजली कड़क रही थी रमन और राम्या अपने रूम में थे दोनो मोवाइल चलाते चलाते सो गये और घुप्प अंधेरा हो गया क्योकि बिजली चली गई,
रमन साफ्टवेयर इंजीनियर था और राम्या डॉक्टर दोनो की जिंदगी बहुत खूबसूरत थी ,कोई कमी नही बस कोई बच्चा नही था शादी के दस वर्ष के बाद भी,
अचानक रमन को लगा वह और राम्या दूर एक जंगल मे है और एक बहुत बड़े तांत्रिक का आश्रम दिख रहा है,
दोनो वहाँ पहुंचे प्रणाम किया और बाबा को अपनी समस्या बताई बाबा ने कहा राम्या को अमावस की रात अकेले आना होगा साधना में पूरी रात मंत्र होंगे जिससे शक्ति उतपन्न होगी और राम्या माँ बन जायेगी,
रमन खुशी खुशी तैयार हो गया पर राम्या के मन मे कुछ प्रश्न था कि मैं खुद डॉक्टर और मुझे बच्चा नही होगा यह कन्फर्म है फिर यह बाबा क्यो बोल रहा है,
फिर भी बाबा की दुआ से ही कुछ खुशी मिल जायेगी वह भी तैयार हो गई,
अमावस की रात दोनो तैयार हो गये और रमन ने कुछ दूरी पर गाड़ी रोक कर राम्या को बाबा के आश्रम में भेज दिया चारो तरफ सन्नाटा सिर्फ हवन कुंड में अग्नि जल रही थी ,
राम्या ने मुख्य हाल में प्रवेश किया तो मदहोश कर देने बाली सुगंध से मन खुश हो गया वह अग्नि के पास बैठ गई,
ठंडी में उसे कुछ गर्मी सी मिली ,तभी तांत्रिक का प्रवेश हुआ तो वह उठ खड़ी हुई,
तांत्रिक बोला आप बैठी रहे वही बैठकर पूजा करनी है,
राम्या पुनः बैठ गई थोड़ी ही देर में तांत्रिक भी आकर अग्निकुंड के पास बैठ गया ,
और एक भस्म दी कहा सामने वाले कमरे में जाकर पूरे शरीर पर इसे लगा लो,
राम्या ने जैसे ही उस भस्म के डिब्बे को खोला बहुत ही मनमोहक सुगंध से कमरा भर गया और भस्म को शरीर पर लगाते लगाते आनन्द का अनुभव हो रहा था लग रहा था रमन पूरे शरीर पर भस्म लगा रहा है,
इतने में चुपके से तांत्रिक का भी प्रवेश कमरे में होता है और वह राम्या को अपने आगोश में ले लेता है,
राम्या समर्पण कर देती है ,इसी समय रमन की आंखे खुलती है तो राम्या पास ही लेटी थी,,,
उसने राम्या को चादर उढाई और चाय बनाने चला गया,
चाय लेकर आया तो राम्या को जगाया और सारी बात बताई तो राम्या हंसने लगी,
वोली मैं डॉक्टर हूँ मुझे मालूम है मुझे बच्चा नही होना है ,
फिर भी मैं तांत्रिक के पास क्यो जाऊं,
और जो महिलाएं जाती भी है उनके साथ अक्सर यही होता है,
पहले अपने डॉक्टर से राय लेनी चाहिये पति पत्नी दोनों की जांच होनी चाहिये,
हां संत महात्माओं से आशीर्वाद लेने में कोई बुराई नही है परन्तु अकेले किसी भी आश्रम या व्यक्ति के पास नही जाना चाहिये,
रमन तुम्हारा वह ख्वाव था पर कईयों की हकीकत भी यही है ,जो लोकलाज के कारण सामने नही आ पाती,
अर्थ,संस्कार और धर्म हंमे सुसंस्कृत करते है,पर अंधविश्वास हंमे शोषित करता है,,
लेखक गोविन्द 😊👏