कैसा ये इश्क है ( भाग – 6) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

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” केशव तुमने कुछ खाया आज या गुस्से के कारण भूख भी उड़ गई तुम्हारी !” घर आकर केशव को कमरे मे लेटा देख मीनाक्षी बोली।

” तुमसे मतलब !” केशव उखड़े स्वर मे बोला।

“” चलो ना कही घूमने चलते है !” मीनाक्षी घर वालों के होते बात नही करना चाहती थी केशव से इसलिए बोली।

” मुझे कही नही जाना परेशान मत करो मुझे जाओ यहाँ से !” ये बोल केशव मुंह फेर लेट गया। मीनाक्षी ने उसे बहुत मनाने की कोशिश की पर वो नही माना हार कर  मीनाक्षी रसोई मे सास की मदद करने आ गई।

” बेटा आज ऑफिस मे ऐसा क्या हुआ कि केशव गुस्से मे घर आ गया । मैने तो बहुत पूछा उससे पर बताने को तैयार नही वो !” रसोई मे उसकी सास सरला जी ने पूछा ।

” माँ कुछ खास नही हुआ आप परेशान मत होइए मैं हूँ ना !” मीनाक्षी मुस्कुरा कर बोली।

” बेटा मैं जानती हूँ तुम समझदार हो सब संभाल लोगी पर मेरा बेटा जरा जिद्दी है उसे कोई बात बुरी लग जाये तो जल्दी नही भूलता ऐसी सूरत मे उसके सामने कोई भी हो वो उससे उखड़ा रहता है । लेकिन तुम लोगो का रिश्ता ऐसा है कि ज्यादा दिन की नाराजगी रिश्ते मे दरार ला सकती है । तुम बताओ मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ इस मामले मे ।

” माँ बस अपनी बेटी को अपना आशीर्वाद दीजिये वही काफी है !” मीनाक्षी ने सास को तसल्ली देने के लिए मुस्कुरा कर कहा। थोड़ी देर बाद वो अपने कमरे मे आ गई।

” केशव आज तुम्हे यूँ ऑफिस छोड़कर नहीं आना चाहिए था !” रात को केशव के बालो मे ऊँगली फेराती मीनाक्षी बोली।

” तो ओर क्या करता अपनी बेइज्जती करवाता रहता वैसे भी मुझे अब वहाँ नौकरी करनी ही नही है !” केशव उखड़े स्वर मे बोला।

” केशव बॉस ने रामदीन को बहुत डांटा है। वैसे भी जिसकी जैसी सोच वैसा सोचेगा हम जानते है हमारा रिश्ता कैसा है हमने इस रिश्ते को प्यार से सींचा है फिर अब ये कैसा प्यार है जो जरा सी लोगो की बातो से डगमगाने लगा !” मीनाक्षी नम आँखों से बोली। मीनाक्षी के आंसू देख केशव पिघल गया और मीनाक्षी को अपने आगोश मे भर लिया। 

” केशव जल्दी से उठो देर हो रही है ऑफिस के लिए !” अगली सुबह मीनाक्षी ने केशव को उठाते हुए कहा।

” नही मीनाक्षी मैने फैसला किया है कि मैं उस ऑफिस मे काम नही करूंगा !” केशव आँख खोलते हुए बोला।

” ये क्या बात हुई केशव मैने बॉस से बात कर ली थी तुम चलो तो वैसे भी नौकरी आसानी से नही मिलती !” मीनाक्षी ने समझाया!

” अब आसानी से मिलने वाली नौकरी करनी भी नही ये आसानी से ही मिली थी ना पर तब इस बात का अंदाजा नही था आसानी से मिली नौकरी इतनी आसानी से मुझे जलील करेगी !” केशव बोला।

” ऐसा नही है केशव अच्छा ऐसा करो अभी तुम नौकरी पर चलो रात को बात करते है इस विषय मे अभी देर हो रही है उठो जल्दी !” मीनाक्षी ने उसका हाथ पकड़ उठाते हुए कहा।

” मैं नही जाऊंगा वहाँ और तुम मेरी फ़िक्र मत करो मैं नौकरी ढूंढ लूंगा !” केशव हाथ छुड़ाते हुए बोला।

” देखो केशव तुम्हे वहाँ मेरे होने से परेशानी है ना ठीक है मै कही ओर जॉब ढूंढ लूंगी पर तुम मत छोड़ो ये जॉब !” मीनाक्षी प्यार से बोली।

” हा पता है अपने पापा के बल पर तुम बहुत आसानी से नौकरी ढूंढ लोगी ओर मुझे जलील करवाने का एक ओर मौका दोगी ऑफिस मे कि मीनाक्षी ने कितना त्याग किया केशव के लिए !” केशव व्यंग्य भरी हंसी हँसता हुआ बोला।

” ऐसा नही है केशव पर मैं ये चाहती हूँ तुम्हारी नौकरी बची रहे  !” मीनाक्षी बोली।

” नही करनी मुझे वो नौकरी जो बीवी के दमपर मिली हो खुद से ढूंढ लूंगा मैं नौकरी काबिल इंसान हो तो कुछ मुश्किल नही होती !” केशव ये बोल बिस्तर से उठ बाहर चला गया। मीनाक्षी अपना सा मुंह लेकर रसोई मे आ गई जहाँ सरला जी खाना बना रही थी।

” क्या बात है बेटा उदास क्यो हो ?” सरला जी प्यार से बोली।

” कुछ नही माँ बस ऐसे ही !” मीनाक्षी टालते हुए बोली।

” बेटा मैं समझती हूँ तुम्हे बुरा लग रहा होगा केशव का यूँ नौकरी छोड़ना !” सरला जी फिर बोली।

” माँ  आपको पता है ??” मीनाक्षी हैरानी से बोली।

” हाँ बेटा माँ हूँ उसकी जन्म दिया उसे उसके हाव भाव से समझती हूँ सब । बात क्या हुई ये तो नही जानती पर इतना पता है केशव ज़िद्दी है वो जो ठान ले फिर किसी की नही सुनता । उसे अपने बल पर ढूंढने दे नौकरी वैसे भी जहाँ अहम का टकराव हो उस जगह साथ काम करने से फायदा भी क्या । बेटा उम्र और तजुर्बे दोनो मे बड़ी हूँ जानती हूँ तुम गलत नही पर अभी उसे उसके हाल पर छोड़ दो और जाओ तुम तैयार हो जाओ  !” सरला जी ने समझाया।

” जी माँ !” मीनाक्षी मुस्कुराते हुए बोली और तैयार होने चल दी।

” हे भगवान ! मेरे बच्चो पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखो इनके प्यार के बीच तकरार को मत आने दो !”मीनाक्षी के जाने के बाद सरला जी हाथ जोड़ बोली।

मीनाक्षी के ऑफिस जाने के बाद केशव ने कई कम्पनियो मे अपना बायोडाटा भेजा। कई कम्पनियो से इंटरव्यू को कॉल भी आया पर नौकरी कही से नही मिली। आजकल नौकरी लगना आसान कहाँ होता है। दिन बीतते जा रहे थे और बीतते दिनों के साथ केशव चिड़चिड़ा होता जा रहा था।  मीनाक्षी जितना उससे प्यार से पेश आती उतना वो उससे गुस्से मे बात करता फिर भी मीनाक्षी उसकी मानसिक दशा को समझते हुए चुप रह जाती।

” केशव ये कुछ कम्पनियां शॉर्ट लिस्ट की है मैने तुम यहां अप्लाई करना !” एक दिन मीनाक्षी उसे फोन मे कुछ दिखाते हुए बोली।

” मै ढूंढ रहा हूँ ना नौकरी जल्द मिल जाएगी तुम परेशान मत होओ।” केशव बोला।

” केशव सिर्फ यहां तुम्हे अप्लाई करने को बोल रही हूँ मैं कोई मदद नही कर रही तुम्हारी !” मीनाक्षी बोली।

” मुझे तुम्हारी किसी भी मदद की जरूरत नही समझी तुम सारी जिंदगी तुम्हारी ऊँगली पकड़ चलूँ यही चाहती हो तुम !” केशव भड़क कर बोला।

” केशव कैसी बाते कर रहे हो तुम मैने ऐसा कब कहा तुम्हे ।क्या होता जा रहा है तुम्हे केशव हमने प्यार से सींचा था इस रिश्ते को पर ऐसा लगता है दो महीने मे ही हमारे बीच का प्यार ही खत्म होता जा रहा है !” मीनाक्षी तेज आवाज़ मे बोली।

” तो चली जाओ मुझे छोड़कर अपने पापा के घर वैसे भी मैं तुम्हारे लायक कहाँ हूँ तुम ठहरी अमीर बाप की नौकरीपेशा बेटी और मैं ठहरा गरीब घर का निकम्मा बेटा !” केशव व्यंग्य से बोला।

” तुमसे तो बात करना ही बेकार है !” ये बोल मीनाक्षी मुंह फेर कर लेट गई। ऐसा नही कि घर के बाकी लोग इनके रिश्ते मे आई दूरी को समझ ना रहे हो उन लोगो ने केशव को समझाने की भी कोशिश कि पर वो कुछ सुनने को तैयार ही नही था।

क्या हो गया है एक प्यारे रिश्ते को यहाँ ना केशव गलत ना मीनाक्षी गलत है तो समय जिसने केशव को चिड़चिड़ा बना दिया है और मीनाक्षी बेचारी को बिन कसूर के सजा मिल रही है केशव ये समझ नही पा रहा । क्या होगा अब क्या करवट लेगा इनका रिश्ता ?

जानने के लिए अगले भाग का इंतज़ार कीजिये और कहानी को अपना प्यार देते रहिये

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