कैसा ये इश्क है ( भाग – 4) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

hindi stories with moral : ” देखिये कैलाश जी हम बच्चो के जन्मदाता है भाग्यविधाता नही हमने अपने बच्चो को लायक़ बना दिया । अब उन दोनो ने एक दूसरे को पसंद किया है तो कुछ सोच समझकर ही ना । रही अमीरी की बात मेरे बच्चो को उसकी लत नही है वो आज भी जमीन पर चलना जानते है इस बात से आप बेफिक्र रहिये !” सुरेंद्र जी बोले।

कैलाश जी के पास तो कोई वजह ही नही थी वैसे भी वो अपने बेटे के लिए ऐसा रिश्ता तो चिराग लेकर भी नही ढूंढ सकते थे ।

आखिरकार एक समारोह मे केशव और मीनाक्षी की सगाई कर दी गई। जब केशव और मीनाक्षी के ऑफिस मे ये खबर पहुंची तो कुछ लोगो ने तो उन्हे खुले दिल से बधाई दी किन्तु कुछ लोगो को केशव की किस्मत से ईर्षा भी हुई । बहरहाल केशव और मीनाक्षी इन सबसे बेपरवाह अपनी आने वाली जिंदगी के सपने देख रहे थे । दोनो बहुत खुश थे क्योकि उनके प्यार को बिन किसी रूकावट के मंजिल मिल रही थी । भले दोनो मे कितना अंतर था पर वो अंतर उनके प्यार पर हावी नही हो रहा था इससे अच्छी और क्या बात थी।

समय धीरे धीरे बीतने लगा और दोनो की शादी का दिन भी आ गया। सुरेंद्र जी ने अपनी लाडली बिटिया के लिए बहुत अच्छा इंतज़ाम किया था । मेहरून और सुनहरी लहंगे मे सजी मीनाक्षी किसी शहजादी से कम नही लग रही थी कम तो केशव भी कही से नही लग रहा था । उसने भी मेहरून और सुनहरी शेरवानी ही पहनी थी दोनो देखने मे रब ने बना दी जोड़ी टाइप लग रहे थे।

पहले जयमाला फिर फेरे हुए और सात वचनों के साथ ही केशव और मीनाक्षी ने सात जन्म तक एक दूसरे का साथ निभाने का वादा किया । अपनी विदाई पर मीनाक्षी एक तरफ माता पिता से बिछड़ने के दुख मे फूट फूट कर रो रही थी वही दुसरी तरफ अपने प्यार को पा लेने की तसल्ली भी थी उसे । मिलने बिछड़ने की अनोखी रीत निभाती मीनाक्षी पहुँच गई अपने ससुराल जहाँ उसका स्वागत बहुत प्यार से हुआ ।

” आपके नए घर मे आपका स्वागत है भाभी !” द्वारचार की रस्म पर उसकी ननद काशवी ने उसे गले लगा कर कहा।

” बेटा आज से ये घर तुम्हारा भी उतना ही है जितना बाकी सबका !” कैलाश जी ने मीनाक्षी के सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते हुए कहा।

” बेटा मुझे सास नही माँ ही समझना और कहना !” सास सरला जी भी उसे प्यार करते हुए बोली।

निहाल हो गई मीनाक्षी और होती भी क्यो नही इतना प्यारा ससुराल जो मिला था जो भले पैसे से अमीर नही पर दिल के अमीर थे ।

मीनाक्षी ने अपने स्वभाव से केशव के घर मे सभी का दिल जीत लिया । सरला जी बहू की तारीफ करती नही थकती थी । केशव की बहन काशवी को तो एक सहेली मिल गई थी। विवाह के लिए ली पंद्रह दिन की छुट्टियाँ खत्म होते ही केशव और मीनाक्षी ने ऑफिस जाना शुरु कर दिया। मीनाक्षी को यूँ तो घर के काम की आदत नही थी फिर भी सास की यथासंभव मदद करने की कोशिश करती थी वो ।

” बेटा तू क्यो परेशान होती है मैं हूँ ना !” उसके जल्दी उठने पर सास कहती ।

” माँ आप हो लेकिन मेरा भी फर्ज है कुछ वैसे भी काम तो आप ही करती हो मैं तो बस मदद करती हूँ !” मीनाक्षी मुस्कुरा कर कहती । सरला जी उसकी बलैया लेते ना थकती ।

शादी के बाद जैसे ही दोनो ऑफिस पहुंचे दोनो को सारे स्टाफ ने बधाइयां दी । उन दोनो ने भी साथ लाई मिठाई से सबका मुंह मीठा करवाया और फिर अपनी अपनी जगह आकर काम शुरु कर दिया।

” क्या बात है केशव बड़ा लम्बा हाथ मारा है तूने तो !” उसका सहकर्मी काम करते करते उसे छेड़ते हुए बोला।

” क्या मतलब ?” केशव हैरानी से बोला।

” अरे इतने अमीर घर की लड़की से शादी की तूने तेरे तो वारे न्यारे हो गये । खूब दान दहेज़ मिला होगा ना ऊपर से खुद से ज्यादा कमाती बीवी …वाह भाई तेरी तो पांचो उंगलिया घी मे है !” वो हँसते हुए बोला।

” ऐसा कुछ नही है मैने मीनाक्षी के पैसो के लिए शादी नही की और दान दहेज़ के तो मैं बिल्कुल खिलाफ हूँ मैने मीनाक्षी से प्यार किया है और मुझे मतलब नही वो किसकी बेटी है या कितना कमाती है !” केशव उखड़ कर बोला।

” अरे यार उखड़ क्यो रहा है हम भी सब समझते है !” दूसरा सहकर्मी हँसते हुए बोला केशव को बहुत बुरा लगा पर उसने चुपचाप काम मे लगना ही सही समझा ।

” क्या बात है केशव इतने उखड़े क्यो हो?” घर आते मे मीनाक्षी ने केशव से पूछा।

” मीनाक्षी ये ऑफिस स्टॉफ भी ना !” केशव ने उसे सारी बात बताई।

” ओह्हो केशव लोगो का तो काम ही बात बनाना है तुम क्यो इनकी बात दिल पर लगाते हो चलो अपना मूड ठीक करो अब !” मीनाक्षी ने हँसते हुए कहा तो केशव भी मुस्कुरा दिया । ऑफिस के बाद दोनो हाथो मे हाथ डाल घूमने निकल गये। वो खुशी खुशी अपनी शादीशुदा जिंदगी के मजे ले रहे थे लेते भी क्यो नही प्यार को जो हांसिल किया था अपने वो भी बिना किसी रूकावट के ।

कुछ दिन ठीक से बीते की एक दिन केशव और मीनाक्षी के कॉलेज के दोस्तो ने मिलने का प्रोग्राम बनाया।

” ओह्हो कॉलेज के लव बर्ड्स अब तो हैपिली मैरिड होंगे !” उन्हे देख एक दोस्त बोला।

” अरे होंगे क्यो नही अब तो इनकी जिंदगी बदल गई होगी !” एक दोस्त बोली।

” हां यार जिंदगी तो बहुत बदली होगी एक अर्श से फर्श पर एक फर्श से अर्श पर क्यो मीनाक्षी !” एक दोस्त हंसती हुई बोली। मीनाक्षी और केशव दोनो को उनकी बात बुरी लगी पर मीनाक्षी ने हंसी मे टाल दी जबकि केशव के चेहरे पर गुस्सा साफ देखा जा सकता था।

” छोड़ो ना तुम लोग भी क्या बातें लेकर बैठ गये चल केशव हम लोग उधर बियर बार की तरफ चलते है !” एक दोस्त बोला।

” नही मैं पीता नही !” केशव बोला।

” अरे नही पीता तो आदत डाल ले अब तो अमीरों की महफिलों मे जाना होगा तेरा भी वहाँ ये आम है चल !” एक दोस्त बोला और लगभग खींचते हुए उसे ले गया। पहले तो केशव ने बहुत मना की पर कुछ दोस्तों ने ऐसी बाते बोल दी कि उसका आत्मसम्मान छलनी हुआ और उसने गिलास उठा एक झटके मे खत्म कर दिया । उसके बाद उसने दो पैग ओर लिए। पहली बार केशव ने ड्रिंक की थी तो उसके दिमाग़ पर तो चढ़नी थी वो अपनी कुर्सी से झूमते हुए उठा और मीनाक्षी की तरफ बढ़ा । उसके जो दोस्त मीनाक्षी और उसके साथ से खुश नही थे वो उसकी हालत का मजा ले रहे थे।

” मीनाक्षी चलो यहाँ से !” दोस्तों मे घिरी मीनाक्षी का हाथ पकड़ केशव बोला !

” केशव तुमने शराब पी है !” उसके मुंह से आती दुर्गन्ध और उसको लड़खड़ाता देख मीनाक्षी बोली।

” हां पी है मैं क्या किसी से कम हूँ जो नही पी सकता अब तुम चलो यहाँ से !” केशव बोला और उसे खींचने लगा । मीनाक्षी को दोस्तों के सामने बुरा तक लग रहा था पर फिर भी उसने वहाँ से चले जाना ही सही समझा अभी ।

” बेचारी मीनाक्षी !” उनकी पीठ पीछे एक दोस्त बोली जिसे उन दोनो ने ही सुन लिया था ।

” मै तुम्हारी जिंदगी को अर्श से फर्श पर ले आया हैना !!” घर आकर केशव मीनाक्षी से बोला।

” कैसी बाते कर रहे हो तुम तुमने इतनी पी ही क्यो जबकि आज तक तो कभी नही पी !” मीनाक्षी बोली।

” बड़े बाप की बेटी का पति बना हूँ ये सब तो मुझे आना चाहिए ना वरना तुम्हारी क्या इज़्ज़त रह जाएगी !” केशव जूते उतारता हुआ बोला।

” मेरे घर मे शराब कोई नही पीता और ये सब क्या लगा रखा है तुमने चुपचाप् सो जाओ तुम सुबह ऑफिस भी जाना है !” मीनाक्षी बोली पर केशव काफी देर तक बडबड करता रहा और फिर सो गया।

दोस्तों अक्सर ऐसा ही होता है भले प्यार कितना गहरा हो पर कोई ना कोई दीवार बीच मे आ ही जाती है । घर वाले राजी हो तो बाहर वालों को ये रास नही आता कि एक अमीर और एक गरीब कैसे प्यार के बंधन मे बंध गये । अगर ऐसे मे दोनो मे से एक भी समझदारी ना दिखाए तो प्यार के रिश्ते की डोर कमजोर पड़ते देर नही लगती ।

तो क्या केशव और मीनाक्षी के प्यार की डोर भी कमजोर होने लगी है ?

जानने के लिए इंतज़ार कीजिये अगले भाग का ।।

तब तक ढेर सारा प्यार दीजिये मीनाक्षी और केशव को और साथ ही दुआ कीजिये उनका प्यार का रिश्ता ना टूटे

दोस्तों आज मैने खूब सारा लिखा है अब शिकायत मत करना की छोटा भाग है

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