hindi stories with moral : अमृता तुम कालेज बंक करके कहा जाती हों …….निधि ने बड़े ही उत्तेजना से पूछा ……..बोलो अमृता …..बोलो …….
अमृता- तुम मेरा काम कर दो प्लीज़ निधि मैं तुम्हें सब बता दूँगी !
कौन सा काम और ये सब चल क्या रहा है…..? एक हफ़्ते से देख रही हूँ …….. तुम किसी मुसीबत में तो नहीं हो ना ……….. निधि ग़ुस्से में अमृता से पूछने लगी …….
अमृता- अरे नहीं नहीं तुम ज़्यादा ही सोच रही हो मैं ठीक हूँ ……तुम मेरा पैडिंग काम है वो बस कर देना…..प्लीज़ रिक्वेस्ट है…….
निधि- देखो अमृता तुम एक बार मुझसे झूठ बोल चुकी हो….तुम दुबारा वही काम कर रही हो …….कहीं तुम उस प्रशांत शराबी के झाँसे में तो नहीं आ गयी …….
अमृता-नहीं नहीं तुम मुझ पर विश्वास रखो …..
निधि- ठीक है इतना कह रही है तो मैं मान लेती हूँ ………पर तुम कालेज क्यों नहीं आ रही …..
अमृता- वो माँ कि तबीयत ठीक नहीं है …उसे मेरी ज़रूरत है !
अमृता- ओह………माँ का ध्यान रख कोई नहीं मैं तुम्हारा काम कर दूँगी ……..लेकिन अब कहा जा रही है………
वो मुझे जाना होगा माँ मेरा बाहर इंतज़ार कर रही है उसे डॉक्टर के पास ले कर जाऊँगी…अमृता निधि से बोल कर बाहर चली जाती है !
तभी निधि भी अमृता के पीछे पीछे बाहर तक रुक अमृता रुक जा ……तुझे मेरी क़सम है रुक जा ।
अमृता रुक जाती है …..
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निधि तू यहाँ क्यों आइ ….अमृता धीमे आवाज़ में
निधि से बोली
निधि- वो मैं माँ को देखने आयी ……
अमृता- म…म….म…..माँ ….,माँ से क्यू तूझे मुझ पर विश्वास नहीं है ……
निधि- तू कैसी बात कर रही है
अमृता तू मेरी बेस्ट फ़्रेंड है …..तेरी माँ मेरी माँ नहीं है क़्या……..
अमृता- हाँ ……हाँ……. है वो माँ बाहर ही एक दुकान पर है तू कालेज से बाहर तो जा नहीं सकती ……चल मैं चलती हूँ लेट हो जाऊँगी ……
निधि- चल ठीक है बाई अपना और माँ का ध्यान रखना…..
अमृता- बाई…….. बाई
अमृता के जाने के बाद
निधि- पता नहीं मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है ! जल्दी से उसकी माँ ठीक हो जाए !
दो दिन बाद निधि कालेज से घर जा रही थी तभी अमृता कि माँ मार्केट में दिखी ……
निधि- आंटी नमस्ते ……
अमृता कि माँ- नमस्ते बेटा कैसी हो और तुम अकेली…..
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निधि- आंटी मैं ठीक हूँ …. आपकी तबीयत ठीक है अब ….
अमृता कि माँ- हाँ बेटा मैं तो ठीक हूँ मुझे क्या हुआ है …..तुम्हारी तबीयत ख़राब थी ना ….
निधि- मेरी ……मैं कुछ समझी नहीं आंटी ……अमृता कहाँ है…….?
अमृता कि माँ- अमृता ……अमृता तो तुम्हारे साथ है वो दो दिन पहले मुझे बोल कर गयी कि तुम्हारी तबीयत ज़्यादा ख़राब है और तुम्हारी मम्मी पापा गाऊँ गए है ………!
निधि- आंटी आप घर जाइए मैं अमृता को ले कर आती हूँ…..
अमृता कि माँ- निधि बेटा क्या बात है बता ना ….. अमृता ठीक है ना……
निधि – हाँ …..हाँ आंटी सब ठीक है मैं आती हु ……. निधि बोल कर वहाँ से चली जाती है…..
मैंने आंटी से बोल तो दिया कि अमृता को ले कर आ रही हूँ मैं कहा ढूँढ़ू इस पागल लड़की को …………….निधि कि आँखें नम हो जाती है ……..मैं प्रशांत के घर जा कर देखती हूँ उसी के साथ होगी ….
अरे ये क्या प्रशांत के घर तो ताला लगा है …… अब कहा जाऊँ…….तभी अचानक परोस कि लता जी दिखी ….
निधि- आंटी नमस्ते ….. आंटी आपने प्रशांत को देखा है….
लता जी – प्रशांत …….. वो कब आता है कब जाता है …. कौन ध्यान रखे …. जब तक उसके माता पिता ज़िन्दा थे तब तक तो ठीक था …. उनके जाने के बाद ज़्यादा समय घर पर ताला ही लगा होता है…..
निधि – अच्छा आंटी कोई नहीं ….मैं चलती हूँ ।
लता जी- रुको …….रुको एक मिनट …… अभी 2 से 3 दिन पहले यहाँ 8 , 10 लड़के आए थे … पर उसने प्रशांत नहीं था…. उन्हें देख ऐसा लग रहा था जैसे वो लो खा ……पी … रहे है ….. ज़ोर ज़ोर से हँसी की आवाज़ आ रही थी …..
निधि- क्या कोई लड़की भी थी वहाँ पर …..
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लता जी- देखो बेटा लड़की को तो देखा नहीं ….. वो सब ज़ोर ज़ोर से हंसे जा रहे थे तो मेरे पति ने डाट दिया …… तब वो लोग चुप हो गए ……
निधि – ठीक है आंटी ……धन्यवाद
लगता है मुझे पुलिस कि हेल्प लेनी परेगी ….
कुछ देर बाद निधि पुलिस के साथ प्रशांत के घर पहुँचती है…..
निधि के अफ़ाइआर पर पुलिसकर्मी ने प्रशांत के घर का ताला तोर दिया…..
छी …….छी …..कितनी गंदी बदबू है निधि बाहर कि तरफ़ भागती है ….
पुलिसकर्मी- मैडम रुकिए ये दारू कि बदबू है आप नाक बंद कर के आए अंदर ……
निधि अंदर का माहोल देख कर दंग रह जाती है जगह……जगह दारू कि बोतलें …. मांस के टुकड़े परे थे…… एक जगह तो बोतल टूटी हूँई देख कर निधि रोने लगी…….अरे ये क्या ये मोती तो अमृता को मैंने दिए थे …..
पुलिसकर्मी- मैडम आप अंदर मत जाइए आप रुकिए ….
निधि – इंस्पेक्टर साहब ज़रूर अमृता यही कही है ……
अंदर जा कर एक कांस्टेबल सर…….सर …..मैडम जल्दी अंदर आइए ………
निधि का मानो दिल बैठ सा गया इस आवाज़ को सुन कर ………
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तुम पर विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी ….. निधि रोते हुए अमृता कि बॉडी को समेटने लगती है ……
कामिनी मिश्रा कनक✍️
फ़रीदाबाद