संस्कारहीन – अनिला द्विवेदी तिवारी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :  काम्या, आधुनिकता और फैशन सिंबल के नाम पर,  हमेशा नए-नए प्रयोग करती रहती थी। जबकि वहीं पर उसकी छोटी बहन सौम्या अपने नाम के ही अनुरूप सौम्य वा साधारण तरीके से रहती थी। 

जब काम्या उर्फी जावेद की नकल उतारते  हुए कटे-फटे कपड़े पहनती थी, तब उसकी माँ रागिनी और बहन सौम्या उसे काफी टोंकती थीं लेकिन काम्या पर उनकी समझाईस का भी कोई असर नहीं होता था।

वह अपनी धुन में आधा-अधूरा तन ढांककर रखना, अपना अधिकार समझती थी। वह अपनी माँ से कह देती थी कि पुरुषों की नजर ही खोटी है, इसलिए देखते हैं। कोई नवजात बच्ची घूंघट करके पैदा नहीं होती। लोग तो उसे भी नहीं छोड़ते।

रागिनी समझाती,,, “बेटा हमें पुरुषों के नजरिए से  मतलब नहीं है। जहाँ हमारी सौम्यता में हमारी शिष्टता झलकती है, वहीं फूहड़पन में अशिष्टता। हमें इसलिए मर्यादित जीवन जीना चाहिए।

लेकिन उस पर कोई भी असर ना होता देखकर उसकी माँ रागिनी ने भी अब रोकना-टोकना बंद कर दिया था।

अब तो काम्या अपने स्कूली ड्रेस पर भी काफी गहरे कट लगवाकर सिलबाती, जहाँ फ्रंट और बैक का आधा भाग दूर से ही नजर आता था। 

जिससे उसे स्कूल में भी काफी डांट पड़ती थी लेकिन टीचर्स की बात भी उसके सिर के ऊपर से निकल जाती थी। 

टीचर्स भी अधिक नहीं रोक-टोक सके, यह सोचकर कि आजकल कानून बहुत सख्त हो गया है। खुदा ना खास्ता कोई बच्चा प्रताड़ना का केस दर्ज करा देगा तो अपने लिए ही मुश्किल खड़ी होनी है।

समय गुजरता रहा,  काम्या और सौम्या की स्कूल की पढ़ाई पूरी हो गई। वे दोनों कॉलेज में पहुँच गईं।

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इस तरह दोनों को अपने घर से पढ़ाई के वास्ते अलग-अलग शहरों में जाना पड़ा।

जहाँ सौम्या को आईआईटी रुड़की (उत्तराखंड) में दाखिला मिला, वहीं काम्या को आईआईटी खड़गपुर(पश्चिम बंगाल) में।

दोनों की पढ़ाई शुरू हो गई। माता-पिता दो-तीन माह में जाकर एक बार दोनों की खोज-खबर लेने के लिए उनसे मिल आते थे। दोनों ही नौकरी पेशा थे। इसलिए हर माह जाना उन्हें भी संभव नहीं हो पाता था। रागिनी जी बैंक में मैनेजर थीं और उनके पति सुभाष जी रेलवे में इंजीनियर।

दोनों का काम भी बहुत सादगी और ईमानदारी पूर्ण था।

दूसरी तरफ सौम्या तो बहुत अच्छे से पढ़ाई करती रही लेकिन काम्या अपनी पढ़ाई में पिछड़ने लगी थी।

कारण वही, देर रात क्लब पार्टियों में जाना, ड्रिंक अल्कोहल, स्मोकिंग जैसी लतों का शिकार हो चुकी थी।

जहाँ पर हॉस्टल में रहती थी वहाँ तीन अन्य लड़कियाँ भी रहती थीं। उनसे वह लड़-झगड़ कर अलग कमरा लेकर रहने लगी।

अब उसके माता-पिता के द्वारा खर्चे के लिए भेजा गया पैसा कम पड़ने लगा तब वह किसी ऐसे अमीर लड़के की फिराक में थी जिसको झांसा देकर अपना खर्च चला सके।

संयोग से उसे एक ऐसा लड़का (निखिल) मिल भी गया जो उसकी दूर की रिश्तेदारी का था। दोनों के माता-पिता एक दूसरे को पहचानते थे। काम्या ने उससे जान पहचान बनाकर दोस्ती बढ़ा ली।

कुछ दिनों बाद उसी के साथ रूम पार्टनर बनकर रहने लगी।

फिर प्यार का ढोंग दिखाकर, रूम पार्टनर से लिव इन पार्टनर बना लिया।

उस लड़के ने जब कहा,,, “काम्या हमें जब शादी करनी ही है तो क्यों ना हम पहले शादी कर लें फिर किसी रिश्ते में आगे बढ़ें!” 

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उसको भी काम्या झिड़कती,,, “लगता है तुमसे मैं गलती से प्यार कर बैठी। तुम तो इस आधुनिक युग में भी आदम बाबा के जमाने की बात करते हो!

आजकल  लड़के फ्रैंक होते हैं, लड़कियाँ थोड़ा संकुचित सोच की लेकिन यहाँ तो उल्टा ही गंगा बह रही है!”

हारकर उसे भी काम्या की माँ की ही तरह चुप रहना पड़ता था।

पढ़ाई-लिखाई से काम्या का वास्ता लगभग खत्म ही हो चुका था।

उसके माता-पिता जब कुछ माह बाद अपनी बच्चियों से मिलने आए तब सौम्या के यहाँ तो सब कुछ ठीक मिला।

पर काम्या अपने रूम में ही नहीं मिली।  उसकी सहेलियों से पता करके उसके माता-पिता खोज-बीन करके उसके फ्लैट में पहुँचे। जहाँ काम्या अस्त-व्यस्त हालत में नशे में धुत मिली।

निखिल अपनी पढ़ाई के लिए चला जाता था उसकी अनुपस्थिति में यह शराबी-नशेड़ी लड़के-लड़कियों की महफिल जमाती थी।

काम्या के माता-पिता उस लड़के निखिल के इंतजार में रुके रहे। जब शाम को वह अपने कॉलेज से वापस आया तब  उन्होंने उससे काम्या  की शादी को लेकर बात की।

उस लड़के ने बताया,,, ” अंकल-आंटी मैं तो शुरू दिन से ही इसे शादी के लिए बोल रहा था लेकिन इसे किसी तरह का बंधन मंजूर नहीं है। 

मैने खर्च देने से मना किया तो मुझे रेप केस के लिए धमकाने लगी।

मैने सोचा कि मजाक कर रही है लेकिन मेरे द्वारा खर्च बंद करते ही इसने सचमुच मेरे खिलाफ रेप का केस दर्ज करा दिया है।

मैं खुद तिल-तिल कर मर रहा हूँ और उसदिन को कोस रहा हूँ जब यह नशे में धुत मुझे रास्ते में मिली थी और पहचान की होने के कारण मैं इसे अपने घर लेकर आ गया था।” काम्या के माता-पिता को सब कुछ बताते हुए निखिल रो पड़ा था।

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काम्या की माँ रागिनी ने निखिल के सिर पर हाथ रखकर चुप कराया और इतना ही कहा,,, “चिंता मत करो हम कुछ करते हैं।”

निखिल ने आगे यह भी कहा,,, “अभी भी काम्या अच्छे से रहना चाहे तो मैं शादी कर सकता हूँ। इसने भले ही मेरा उपयोग किया था लेकिन मैने इससे सच्चा प्यार किया है। इसीलिए इसकी गलतियाँ  मैने अपने घर वालों को भी नहीं बताई।”

काम्या के माता-पिता वापस अपने शहर चले गए।

जब न्यायालय में मुकदमें की अगली सुनवाई हुई तब काम्या की माँ रागिनी ने अदालत में गवाही दी,,, “जज साहब मेरी बेटी ही संस्कारहीन है। मेरे संस्कारों पर बाहर  की सीख  भारी पड़ गई है। ये शुरू से ही उच्च महात्वाकांक्षी थी। अपनी महात्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ये किसी हद तक जा सकती है!

लेकिन मैने कल्पना भी नहीं की थी कि ये इस हद तक गिर जायेगी।

इसकी ये तीन सहेलियाँ  हैं जो सब कुछ  बताएंगी जो इसने कहा था।”

फिर काम्या कि तीनों सहेलियों ने बारी-बारी से गवाही देकर बताया कि काम्या की माँ सच कह रही हैं।

उन्होंने वह रिकॉर्डिंग भी अदालत को सुनाई जिसमें काम्या कह रही थी कि वह निखिल से विवाह नहीं करेगी। वह तो उसका बैंक बैलेंस है, रिश्ता तो उसको शीशे में उतारने के लिए बनाया है। 

ताकि जब भी खर्चे देना बंद करेगा उसके खिलाफ झूठा रेप का आरोप लगा दूँगी। बस फिर वह भी खर्चे देगा। सरकार भी मदद करेगी और मैं बेचारी बन जाऊंगी।” ऐसा कहकर काम्या ने जोर का ठहाका लगाया था।

न्यायालय द्वारा काम्या को, उसकी माँ और उसकी सहेलियों की गवाही पर सात साल के कारावास से दंडित किया गया।

जो आगे चलकर निखिल द्वारा अपना केस वापस लिए जाने से, अगले न्यायालय द्वारा 

खत्म कर दिया गया था।

स्वरचित

©अनिला द्विवेदी तिवारी

जबलपुर मध्यप्रदेश

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