Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश और शुभ्रा की तेल हल्दी की रस्म और मेहंदी संगीत भी पूरी धूम धाम से हो चुका हैँ… दोनों घरों में खुशियों का माहोल हैँ…. शादी वाले दिन सुबह दादा नारायण जी अपने दामाद जी से कहते हैँ कि बबलू के साथ जाकर मंडी से सब्जी ले आओ और रास्ते में गेस्ट हॉउस में हलवाई को देते हुए आ जाना…. दामाद जी कहते हैँ कि वो सब तो ठीक हैँ पर आपकी एक बात अच्छी ना लगी…. शुभ्रा की शादी में तो आप इतनी बड़ी गाड़ी दे रहे पर मेरे ब्याह में एक सायकिल भी ना दी….
अब आगे….
कुँवर सा हर छोरी अपनो भाग्य लिखा के आवें हैँ…. और रही बात गाड़ी घोड़ा कि तो काऊँ ते कहियो मत…. छोरा वारे गाड़ी खुद लै रहे हैँ… हम एक भी पइसा ना दै रहे अपनी तरफ से… बाकी थोड़ो बहुत तो देनो ही पड़तो हैँ… जमानो ऊँ बदल गयो हैँ. … बुरा मत मानियों कुँवर सा … पर वा बखत तुम कछु ना करते जब शन्नो और तुमारो ब्याह भयो…. जे उमेश छोरा तो फौज में हैँ ऊपर ते अब तो अधिकारी बन गयो हैँ….. तो छोरा के हिसाब से ऊँ देखनो पड़त हैँ…. दादा नारायण जी साफ साफ बोल गए…
बेचारे फूफा जी अपना सा मुंह लेकर रह गए…. ठीक हैँ बाऊ जी… लाओ झोला … सब्जी लै आयें….
कुँवर सा सब्जी वारो खुद कट्टा में दै देगो सब्जी… इतनी सारी लैनी हैँ… बबलू जी बोले…
दोनों लोग मंडी चले गए….
आज शुभ्रा की माँ बबिता सुबह से ना जाने कितनी बार रो चुकी थी… शुभ्रा अपने कपड़े , ज़रूरी सामान निकालकर सूटकेस में रख रही थी…. शुभ्रा भी आंसू पोंछती जा रही, सामान लगाती जा रही… जब दोनों माँ बेटी का मन ज्यादा ही भारी हो गया तो माँ बेटी एक दूसरे से चिपक फफककर रो पड़ी….
शाम हो चली थी… इधर उमेश को उसके जीजा जी तैयार कर रहे थे… उन्हे शगुन भी दिया गया… उमेश ने क्रीम कलर की शेरवानी, महरून रंग का दुपट्टा ले रखा था… पैरों में मर्दानी जूतियां , सर पर पगड़ी , शेहरा पहनने से उमेश ने मना कर दिया क्युंकि उमेश को पसंद नहीं…. हाथ में छोटी सी तलवार भी दी गयी…. निकरौसी होने वाली थी… राहुल और सभी दोस्त कुछ शेरवानी में थे तो कुछ गर्म सूट… बहुत ही स्मार्ट लग रहे थे….
सभी घर के बाहर निकरौसी के लिए आयें हैँ…. बस उसके बाद बारात जाने वाली हैँ… बैंड बाजा वाला अपनी पोज़िशन लिए हुए हैँ….
इधर शुभ्रा पारलर् आयी हुई हैँ…. घर के सभी लोग तैयार होकर गेस्ट हॉउस पहुँच रहे हैँ…. दादा नारायण जी अपने ठाकुर जी को प्रणाम कर उन्हे भोग लगा चुके हैँ… वो भी तैयार हो रहे हैँ… चिकेन का सफेद रंग का भारी कुर्ता धोती उन्होने पहना हुआ हैँ… खुद को आईने में निहार रहे हैँ… अपनी पत्नी की फोटो के सामने खड़े हो कुछ बोल रहे हैँ…
का बाऊ जी… का कह रहे अम्मा से??अब चलो बाऊ जी बखत हैँ गयो…छोरा वारे बारात लेके पहुँच ही रहे होंगे…..बुआ बन्नो अपने लहंगे को संभालते हुए बोली…
नेक बात कर लेन दे अपयी मेहताई ते ….
नारायण जी पत्नी से बोल रहे हैँ… देख रही हैँ आज मैं अपनी पोती को ऊँ ब्याह कर रहो हूँ…. कितनो स्वस्थ हूँ… तेरो ही खिलायो पिलायो हैँ जो अभी तक चल रहो हूँ….. चली गयी इतयी जल्दी तू … तेरे लिए गेस्ट हॉउस से जे खानो मंगाय दयो हैँ… खाये लियो…. फिर हर बार की तरह मत बोलियो… मोये घर छोड़ जात हैँ…. खुद पकवान खात हैँ… अपने हाथ से दादा नारायण जी ने पत्नी की तस्वीर पर उनके होंठों पर थोड़ा सा खाना लगा दिया…. अपनी आँखों को पोंछ बाहर गेट के पास आ गए…. घर में बुजूर्ग ताई को देखभाल के लिए रोक दिया गया हैँ….
शुभ्रा भी लहंगे में बहुत ही खूबसूरत लग रही हैँ… घर की सभी लड़कियों ने उसे घेर लिया हैँ….
इधर उमेश के घर से बारात निकल रही हैँ… उमेश को घोड़े पर बैठा दिया गया हैँ… साथ में रिश्ते में भांजा लगता छोटा सा बच्चा भी बैठा हैँ…..
राहुल का बीन बजाते हुए जबरदस्त नागिन डांस जारी हैँ…. उमेश की बहन और जीजा जी भी उमेश की नजर उतारते हुए पैसे उड़ा रहे हैँ… जोश में जीजा जी ने हवा में दो चार अपनी लाईसेंसी पिस्टल से फायर भी कर दिये हैँ…. जो कि गलत हैँ… नहीं करना चाहिए…. पूरा आसमान आतिशबाजियों से गूंज रहा हैँ… जिस पर एक नजर उमेश ने भी डाली … ज़िसे देख छोटे से बड़े सभी के मन ख़ुशी से झूम उठे हैँ…. भई कुछ भी कहो… हमारे भारत जैसी शादियां कहीं नहीं होती… जो हमेशा के लिए यादगार बन ज़ाती हैँ…. उमेश के ताऊ ,पिता जी और माँ भी हाथों को ऊपर उठाकर डांस कर बेटे की शादी की ख़ुशी पूरे दिल से ज़ाहिर कर रहे हैँ… वहीं बारात के पोपुलर गाने…. तेनु लै के मैं जावांगा.,,, बद्री की दुल्हनिया , ऐंवी एंवी , बोलो तारा रा रा, य़मला पगला दिवाना, मेहंदी लगाके रखना , दिल चोरी सड्डा हो गया और भी ना जाने कौन कौन से गाने बज रहे हैँ…. सभी नाचने में इस तरह मशगूल हैँ कि आज किसी चीज का होश नहीं हैँ किसी को ….
बारात गेस्ट हॉउस पहुँच चुकी हैँ…. दादा नारायण जी घर के सभी लोग बारात के स्वागत के लिए खड़े हैँ… सभी को टीका किया गया, इत्र छिड़की गयी, मीठा खिलाया गया…. अंदर सभी ने प्रवेश किया …. गेस्ट हॉउस की सजावट और रौनक देख उमेश के सभी रिश्तेदार गदगद हो रहे हैँ… हर तरह के स्वादिष्ट व्यंजन रखे हुए हैँ… ज़िसे सभी लोग चटकारें लेकर खा रहे हैँ….
उमेश की सालियां उमेश और उसके दोस्तों के साथ मजाक करने में लगी हैँ… जैसा हर ब्याह में होता हैँ….. उमेश स्टेज पर शुभ्रा के इंतजार में दिल थामे बैठा हैँ… तभी सामने से शुभ्रा को दो लड़किया लेकर आ रही हैँ…. एक बड़े से लाल रंग के भारी दुपट्टे को शुभ्रा के सभी भाई चारों तरफ से पकड़े हुए हैँ… जिसके नीचे धीरे धीरे शुभ्रा अपनी आँखें नीचे किये कदम बढ़ा रही हैँ….
स्टेज पास आ चुका हैँ… कैमरामेन ने उमेश को आगे बढ़ शुभ्रा का हाथ पकड़ स्टेज पर लाने का इशारा किया … उमेश की दिल की धड़कने बढ़ी हुई हैँ… वो उठकर आगे बढ़ता हैँ… दो सीढ़ी उतर शुभ्रा का हाथ पकड़ता हैँ… फोटोग्राफर जगह जगह रुकने का इशारा करता हैँ… पहली बार उमेश और शुभ्रा एक दूसरे का हाथ इस तरह से पकड़े हुए हैँ…. उमेश शुभ्रा के हाथ की पकड़ को कस लेता हैँ कि कहीं शुभ्रा का हाथ छूट ना जायें ….
उमेश और शुभ्रा को स्टेज पर बैठाया गया …. दोनों ने एक दूसरे को गुलाब के फूलों की माला पहनायी … उमेश और शुभ्रा की नजरें एक दूसरे से टकरायी …. उमेश अपनी खूबसूरत सी दुल्हन को देख मुस्कुरा दिया …. शुभ्रा भी अपने उमेश को देख ख़ुशी को छुपाने का झूठा प्रयास कर रही हैँ… तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा गेस्ट हॉउस गूंज उठा हैँ…. सभी अपने फ़ोन में शुभ्रा और उमेश को कैद करने के लिए होड़ में लगे हुए हैँ…. राहुल उमेश के पीछे एक दोस्त एक भाई की तरह खड़ा हुआ हैँ…. एक एक कर सभी रिश्तेदार उमेश और शुभ्रा को आशीर्वाद देने आ रहे हैँ.. उनके बच्चे उमेश और शुभ्रा की गोद में बैठ रहे हैँ…. फोटो खींचते ही अगला जो लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर् रहा हैँ वो आगे बढ़ता हैँ…. जो लोग पैसे दे रहे हैँ…. उमेश शुभ्रा लेने में संकोच करते हैँ…
फोटोसेशन खत्म हुआ अब उमेश और शुभ्रा को मंडप में बैठाया गया …. दोनो का गठबन्धन किया गया ….. उमेश ने शुभ्रा की मांग में सिक्के से सिन्दूर भरा … ज़िसे देख शुभ्रा की आँखें आंसुओं से भर गयी… उमेश आँखों के इशारे से शुभ्रा को चुप होने को बोल रहा हैँ…. फिर उमेश ने शुभ्रा को मंगलसूत्र पहनाया…. दोनों को फेरे लेने के लिए खड़ा किया गया… सभी लोग फूलों की बारिश कर रहे हैँ…. गाने वाले ने मंगल गीत लगा दिया हैँ…
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
सात फेरों के एक एक वचन को उमेश शुभ्रा बड़े ध्यान से सुन रहे हैँ…. मन ही मन गाना बज रहा हैँ… जब तक पूरे ना हों फेरे सात जब तक पूरे ना हों फेरे सात तब तक दुल्हिन नहीं दुल्हा की रे तब तक बबुनी नहीं बबुवा की ना..
फेरे पूरे हुए… भुवेश जी और बबिता जी ने कन्यादान किया … भुवेश जी ने अपनी बिटिय़ा के सर पर हाथ रखा… दूसरी तरफ मुंह कर रो गए शुभ्रा के पिता जी…. वो जैसे ही उठे लाठी लेकर गिर ही ज़ाते अगर झट से उठ उमेश उन्हे संभालता ना तो…. पंडित जी ने उमेश से कहा भी इस तरह नहीं उठते…..
नाइन ने शुभ्रा को बिछिय़ां पहनायी….. आलता लगाया….
शुभ्रा पूरी तरह से अब उमेश की अर्धांगिनी बन चुकी थी… ऐसा लग रहा था कि ऊपर से खुद ब्रह्मा जी सभी देवताओं के साथ दोनों नव विवाहित जोड़े पर फूल बरसा रहे हो… अपना आशीर्वाद दे रहे हो….
सालियों ने जूता चुरायी मांगी …. उमेश ने दोस्तों के मना करने के बाद भी उनके मुंह मांगी चीज दे दी….
शुभ्रा की विदाई का समय आ गया….. चारों तरफ सबकी आँखें नम थी….शुभ्रा के मन को भारी करने वाले शब्द सुन सभी की आँखें आंसुओं से भरी हुई हैँ… अपने दादा जी को पकड़ शुभ्रा बोली – दादा जी,,, अब आपके कपड़ों पर बबली प्रेस कर दिया करेगी… सुन बबली दादा जी बिना प्रेस के कपड़े नहीं पहनती… मुझे याद कर बिमार मत पड़ जाना दादा जी…. नारायण जी भी आज फूटकर अपनी लाली को विदा करते हुए रो पड़े थे…. जा लाली… अब अपये दूसरे घर को संवार…..
विक्की. . .. अब कोचिंग लगा लेना… खूब मन लगाकर पढ़ना…अब तुझे दिन रात डांटने वाला कोई नहीं हैँ….पापा को हर वीक डॉक्टर को दिखाकर लाना चाहे वो कितना भी मना करें…. शुभ्रा अपने भाई के हाथों को पकड़े हुए कह रही हैँ….
दीदी… मत जाओ ना … जीजा जी आप हमारे घर नहीं आ सकते…. पता नहीं क्या क्या बाँवरों सी बातें कर रहा हैँ विक्की…. दीदी बहुत याद आओगी… अपनी दीदी से बच्चों की तरह चिपक गया विक्की….
अपने पिता के पास जाकर बोली शुभ्रा – कर दिया विदा पापा… हो गयी ज़िम्मेदारी पूरी… बहुत फिक्र थी आपको मेरी शादी की…. भूल जाओगे मुझे…. याद नहीं करना मुझे बिल्कुल. . .. समझे…..
ना बेटा… ऐसा मत बोल… ये समाज की बेटी को विदा करने की ऐसी रीत ना होती तो अपने कलेजे के टुकड़े को अपने से कभी जुदा ना करता…. ज़रा भी याद आयें हमारी… एक फ़ोन कर देना…. दौड़ा चला आऊंगा बेटा…. पिता भुवेश बिटिया को समझा रहे हैँ…..
माँ बबिता जो पहले ही ना जाने कबसे रो रही हैँ… शुभ्रा को पास आता देख उन्होने शुभ्रा को पकड़कर अपने सीने से लगा लिया…..
अब कुछ मत बोल… बिमार हो जायेगी… देख कैसी सूज गयी हैँ तेरी आँखें मेरी चिरईया ….. कितनी जल्दी बड़ी हो गयी तू मेरी आँखों के सामने…. जैसे इस घर को प्यार दिया उतना ही प्यार अपने ससुराल वालों से करना….
माँ तुम भी हर बात मन में रखती हो… किसी से कुछ नहीं कहती… मुझे विदा करने का सोच सोचकर आधी रह गयी हो… आपको मेरी कसम अब रोंओगी नहीं आप…. समझी… जब भी याद आयें मेरो तुरंत मुझे फ़ोन कर लेना… आपकी शुभ्रा दौड़ी चली आयेगी…. माँ एक बार रोज की तरह मेरे माथे को चूम दो …
माँ ने बिटिया के माथे को चूमा … मन नहीं भरा तो पूरे चेहरे को शुभ्रा के हाथों में ले चूम लिया… आखिर अपनी कोख से जन्म दी बिटिया को विदा करना इतना आसान नहीं…
माँ बेटी के प्यार को देख सभी की आँखें नम थी… बुआ शन्नो तो ऐसे दहाड़े मारकर रोयी कि सभी डर गए कि बुआ को क्या हो गया….
शुभ्रा को गाड़ी में बैठाया गया….गाड़ी फूलों से सजी हुई थी….उमेश हाथ जोड़कर खड़ा था… शुभ्रा के घरवालों से बोला…. शुभ्रा अभी भी आपकी बेटी हैँ… पूरा हक हैँ आपका उस पर … मैं वादा करता हूँ जब भी छुट्टी में आया करूँगा शुभ्रा को घर ज़रूर लाऊँगा… आप लोग भी जब चाहे बेझिझक शुभ्रा से मिलने जा सकते हैँ… उसे अपने घर ला सकते हैँ…. विक्की खूब मन लगाके पढ़ना… दीदी के सपनों को पूरा करना हैँ ना …
हां जीजा जी… करूँगा…..विक्की उमेश के गले लग गया… उमेश ने भी बड़े होने के फर्ज से उसे अपने गले से लगा लिया…. उमेश भी गाड़ी में बैठ गया… शुभ्रा अभी भी अपना चेहरा दूसरी तरफ किये जोर जोर से रो रही थी… उमेश पर अपनी शुभ्रा को ऐसे रोता हुआ देखा नहीं गया… उसने शुभ्रा का चेहरा अपनी तरफ किया … शुभ्रा के गालों पर आयें आंसुओं को अपने हाथों से धीरे धीरे पोंछने लगा….. शुभ्रा खुद को रोक ना पायी… कसके उमेश के गले लग गयी… उमेश ने भी अपने हाथों की पकड़ मजबूत कर दी….. गाड़ी चलाता हुआ समीर भी यह दृश्य देख मुस्कुरा दिया…
बस इतनी सी ही थी हमारी कहानी….
आज हमारे कहानी के उमेश और शुभ्रा विवाह के पवित्र बंधन में बंध चुके थे…..जो भी पाठक मेरी इस कहानी से शुरू से जुड़े रहे उन सबका बहुत बहुत आभार… आप सच्चे पाठक हैँ…. तीन महीने से चल रही ये कहानी आप सबके प्यार से ही इतनी आगे बढ़ पायी… आप सबकी मैं मीनाक्षी सिंह तहे दिल से शुक्र गुजार हूँ…. तो फिर मिलेंगे… एक नये विषय के साथ एक नयी कहानी का आगाज होगा…. तब तक के लिए राधे राधे
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -1) – मीनाक्षी सिंह
very heart touching story but isse aage bhi honi chaiye thi
plz isse aage bhi likhiye
Bhut hi heart💕 touching, emotional🥺 aur excellent👍👏💯 story thi ye…. Ending bhi bhut hi beautiful😍✨❤ hui h…. But please🙏 iske aage bhi kahani likhiye ma’am…..
Me ladke wale story ka season 2 nhi pad pa rhi hn
Mere pass part 4 tk show how rha hai. Please btaue
Nice story heart touching, continue with this story ma’am