Moral stories in hindi : खुशी और आनंद दोनों की शादी को अभी दो ही वर्ष हुए थे लेकिन दोनों ही बिल्कुल रोमांटिक तरीके से रहते थे। समिति के लोग उन्हें ज्यादातर लैला मजनू कहकर मजा लेते थे ।उन्हें भी यह सुनकर मजा सा आता था, बहुत अच्छी तरह से उनकी खुशनुमा जिंदगी चल रही थी। एक तो बड़ा शहर,
दूसरे अकेले रहते थे तो कोई रोक-टोक कोई पाबंदी नहीं थी। दोनों अपनी मर्जी से जीते थे। एक दिन खुशी के चेहरे पर अत्यधिक प्रसन्नता देखकर आनंद ने पूछा… क्या बात है, आज क्या तुम्हारे मायके से कोई आ रहा है,?
क्यों.. क्या मैं तुम्हारे संग होती हूं तब खुश नहीं होती, जो तुम ऐसा बोल रहे हो! तो जनाब.. मेरे मायके से फिलहाल कोई भी नहीं आ रहा है, आज मेरी किटी पार्टी अपने घर पर है और मेरी सारी सहेलियां आज घर पर आ रही हैं, तो हम खूब सारा एंजॉय करने वाले हैं और इसलिए मैं तरह-तरह की चीज भी बना रही हूं! ओहो..
फिर तो लगता है मुझे तो ऑफिस के लिए आज जल्दी ही जाना पड़ेगा, कहीं तुम्हारी सहेलियों को मैं कबाब में हड्डी ना लगू, तो भाई मुझे बता दो फटाफट तुम्हारी क्या मदद करवानी है,
जिससे मैं यहां से नौ दो ग्यारह हो जाऊं, उसकी ऐसी बातें सुनकर खुशी को हंसी आ गई, खुशी ने कहा… ठीक है तुम जाओ ऑफिस, में शांताबाई के साथ मिलकर सारा काम कर लूंगी और फिर आनंद खुशी को बाय करके निकल गया! सही समय पर खुशी की सारी सहेलियां उसके घर आ गई! कुछ देर उन्होंने मस्ती भरे गेम्स खेल कुछ खाया पिया
और 3 घंटे कब निकल गए कुछ पता ही ना चला, सभी सहेलियां अपने-अपने घर चली गई सिवाय उसकी एक सहेली माला के, जब उसने माला से वहां रुकने का कारण पूछा तो माला ने बोला…
क्या यह जो तस्वीर है यह तुम्हारे पति की है? हां जब मेरे साथ है तो मेरे पति ही होंगे ना.. लेकिन तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो? मैं ऐसा इसलिए पूछ रही हूं क्योंकि तुम्हारे पति आनंद का मेरी सहेली प्रिया के साथ अफेयर चल रहा है और प्रिया आनंद को लेकर बहुत सीरियस है! तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया
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, यह कैसी बातें कर रही हो तुम, आनंद सिर्फ और सिर्फ मुझसे प्यार करते हैं,
और हम दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं! मुझे अपने पति पर पूरा विश्वास है! ठीक है तो मैं प्रिया को अभी फोन करके यहां बुला लेती हूं, फिर दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा! हां हां …ठीक है उसे बुला लो! आनंद के आने से पहले प्रिया घर आ गई और शाम को जब आनंद आया तब उसने अपनी सहेलियों को अंदर कमरे में छुपा दिया और आनंद से थोड़ी इधर-उधर की बात करने के बाद बोली….
आनंद क्या तुम मेरे अलावा किसी और को भी चाहते हो? तो आनंद बोला.. यह कैसी बातें कर रही हो आज, क्या खाने के समय भांग पीली क्या? तुम्हें पता है मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं ,तुम्हारे अलावा तो मैं किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकता, तुम मेरी जिंदगी हो, मेरी सब कुछ हो,
फिर तुमने यह सब बात आज क्यों पूछी? नहीं ऐसे ही…! तभी वहां प्रिया बाहर निकल कर आ गई! उसे देखकर आनंद के होश उड़ गए, तब खुशी ने कहा… क्या हुआ आनंद, प्रिया को पहचानते होंगे? अब आनंद के पास सच बताने के अलावा कोई रास्ता नहीं था,
उसने कह ही दिया.. हां प्रिया, मेरे ऑफिस में काम करती है और मैं इसे चाहने लगा था किंतु खुशी मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हारे संग धोखा किया है ,तब प्रिया ने उसके एक थप्पड़ लगाते हुए कहा… मुझे शर्म आती है आनंद, शादीशुदा होकर भी तुमने मेरी जिंदगी खराब करने के बारे में सोचा! अरे.. तुम्हारी पत्नी कितनी सुंदर कितनी अच्छी और सुलझी हुई है,
फिर भी तुम बाहर भटक रहे हो! अपनी पत्नी से माफी मांगो, तुमने हम दोनों को धोखा दिया है। खुशी मुझे नहीं पता था आनंद तुम्हारा पति है, मुझ से जो भूल हुई है मैं उसका प्रायश्चित करती हूं, आइंदा मेरा आनंद के साथ कोई भी वास्ता नहीं रहेगा ।तो आनंद भी बोल उठा…
खुशी हो सके तो मुझे भी माफ कर देना, मैं भी भटक गया था, तब खुशी ने कहा ..आनंद शायद मैंने तुम पर विश्वास करके अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी, है अब मैं तुम पर विश्वास नहीं कर सकती! तुमने एक साथ दो जनों को धोखा दिया है, और विश्वास घात की कोई माफी नहीं होती।
हेमलता गुप्ता स्वरचित
तुम पर विश्वास करके मैंने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी