मेरे संस्कार मुझे इजाजत नहीं देते – हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : बड़ी धूमधाम से काव्य और रति का सगाई समारोह संपन्न हुआ, काव्य और रती दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे, साथ काम करते-करते दोनों को जब लगा दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं तो उन्होंने इजहार करने में भी वक्त नहीं लगाया और जल्दी ही दोनों के घर वालों की मर्जी से सगाई भी हो गई। अब शादी भी 2 महीने बाद ही थी दोनों ही परिवारों को इस संबंध में कोई आपत्ति नहीं थी,

दोनों ही बच्चे सूलझे और समझदार थे। शादी से 15 दिन पहले दोनों का प्री वेडिंग शूट होना था, जिसके लिए उन्हें सबसे अच्छी जगह उदयपुर पसंद आ गई। वैसे भी झीलों की नगरी उदयपुर किसे नहीं पसंद। दोनों ने वही अच्छे से होटल में दो रूम भी बुक करवा लिए थे। नियत समय पर प्री वेडिंग शूट हो गया जिसके लिए काव्य और रति दोनों ही बेहद रोमांचित थे।

आज रती तरह-तरह की ड्रेस में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। शाम तक शूटिंग खत्म हो गई और दोनों काव्य और रति होटल में वापस आ गए क्योंकि जल्दी सुबह उन्हें जयपुर पहुंचना था। वहां पहुंचने के बाद काव्य ने और रति ने अच्छा सा डिनर किया और दोनों बातों में और अपनी शादी की प्लानिंग में बिजी हो गए। कुछ समय पश्चात  काव्य ने ने रति से कहा….

रति मैं चाहता हूं जब हम यहां तक आगे बढ़ ही चुके हैं तो क्यों ना शादी के बाद वाली रस्म को भी एक बार निभा कर देखें, हालांकि यह सब कहते हुए काव्य हिचकिचा रहा था! उसने धीरे से रति का हाथ अपने हाथों में लेकर जब यह बात कही और एक अलग ही अंदाज में मुस्कुराने लगा तो  रति एकदम से भड़क गई और गुस्से में बोली…

काव्य तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गई ऐसी बातें करने की, तुम्हें पता है ना मेरे संस्कार मुझे इन सब चीजों की इजाजत नहीं देते! अरे मैं तो विश्वास करके तुम्हारे संग यहां तक आई हूं तो तुमने मेरे अकेलेपन का और मौके का फायदा उठाने की कोशिश की, हमारी शादी में दिन ही कितने से रह गए हैं। तभी काव्य बोला.. तभी तो कह रहा हूं कि हमारी शादी में दिन ही कितने रह गए हैं तो क्यों ना …….?

और तुम तो कितनी मॉडर्न हो। नहीं नहीं ..मुझ से यह सब सब नहीं होगा,  काव्य जब तुम इस बात को बोलने में ही सहज नहीं हो तो हम दोनों उस पल में कैसे सहज होंगे? प्लीज काव्य.. मैं ऐसी लड़की नहीं हूं, मेरे लिए आधुनिकता का शब्द मेरी सोच से है ना कि पहनावे और कुछ करने से! मैं शादी से पहले ऐसा कोई भी गलत काम नहीं करूंगी जिसके लिए बाद में मुझे या तुम्हें शर्मिंदा होना पड़े और अगर हमारे घर वालों को इस बात की भनक भी लग गई तो वह हमारे बारे में कैसी राय बनाएंगे!

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कभी तुमने सोचा है? और मैं इतनी संस्कार हीन लड़की नहीं हूं, माना कि मैं मॉडर्न हूं आज के जमाने की लड़की हूं तुम्हारे साथ हर कदम पर तुम्हारे साथ हूं किंतु यह सब मुझ से नहीं होगा! हो सकता है मैं हां कह भी दूं, किंतु क्या तुम्हारे मन में इस बात के लिए मेरे या मेरे चरित्र को लेकर कोई भी गलत सवाल नहीं आएंगे। इतना इंतजार किया है

तो कुछ दिन और सही, प्लीज काव्य मेरी बात मानो…सगाई और शादी के मध्य का जो समय होता है वह बहुत खूबसूरत होता है हमें इन पलों को खुशी से, एक दूसरे के इंतजार में बिताना है, इस पल को महसूस करना है, ना कि कोई भी ऐसा काम करके  उम्र भर शर्मिंदगी का बोझ अपने सिर पर ले।

  तुम बिल्कुल सही कह रही हो  मैं कुछ पल के लिए बहक गया था मुझे माफ कर दो, और अब हम इन पलों को एक दूसरे के इंतजार में बिताएंगे और जब तुम मेरी दुल्हन बनाकर मेरे घर में आओगी वह पल मेरे लिए अद्भुत होगा!

   हेमलता गुप्ता स्वरचित

  #संस्कारहीन

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