Moral Stories in Hindi : ..”हेलो अविनाश अरे यार मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है किसने तेरा ट्रांसफर करवा दिया … वो भी इतनी खराब जगह में…..देख ले ईमानदारी का नतीजा.. इसीलिए समझाता था बेटा थोड़ी दुनियादारी सीख ले लेन देन और चाटुकारिता के बिना आज की दुनिया में चैन से नौकरी करना नामुमकिन है भाई … अभी भी संभल जा … कुछ जुगाड़ करता हूं अगर तू तगड़ी व्यवस्था करने को तैयार हो…!!
समीर की आवाज में छुपा व्यंग्य और उपहास अविनाश स्पष्ट महसूस कर रहा था।
यस सर यस सर वाली इस दुनिया में …”सर मैं आपके सहमत नहीं हूं या नहीं सर आपकी यह योजना कर्मचारियों के हित में नहीं है…. कहने वाले अविनाश जैसे कर्मचारी से बॉस का नाराज होते जाना स्वाभाविक था और इसीलिए अपनी हां में हां ना मिला पाने व्यक्ति का मौका मिलते ही उन्होंने ट्रांसफर करवा दिया।
मिस्टर अविनाश थोड़ा व्यवहारिक बनिए आपसे जूनियर समीर से कुछ सीखिए आप जो पांच वर्षो में नहीं कर पाए वह इसने पांच महीनों में कर दिखाया….
बॉस के शब्द अविनाश के पांच वर्षो के एकनिष्ठ समर्पित कार्यों को हाशिए पर लाने के साथ उसके दिल को छलनी कर रहे थे… हृदय की पीड़ा समीर की बातों ने और बढ़ा दी…!
व्यवहारिक बनिए…!!
हां यही तो बेटा मनन भी उस दिन कह रहा था…”व्यवहारिक बनिए पापा व्यवहारिक… आज की दुनिया के अनुसार चलिए… आपके इस अव्यवहारिक रवैए के कारण ही मेरा भविष्य चौपट हो गया है समीर अंकल को देखिए अपने बेटे रवि को कहां से कहां पहुंचा दिया पढ़ाई या स्पोर्ट्स सबमें मुझसे कमजोर था रवि पर उसके पापा तो कमजोर नही थे ना…!
अपने खुद के बेटे की तीर की तरह चुभती बातों ने तो मानो अविनाश का दिमाग भी छलनी छलनी कर दिया था।
ट्रांसफर भी ऐसी जगह हुआ था जहां बेटी पायल की पढ़ाई के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल ही नही था …अब अविनाश अपना भविष्य देखे या बच्चों का… कैसे सामना करेगा पत्नी और बच्चों का..!!
समीर जैसे खोटे सिक्कों का शोर इतना ज्यादा है कि अच्छे सिक्कों की खनक किसी को सुनाई ही नहीं दे रही है !!
बच्चों का भविष्य बच्चों के सपने दांव पर नही लगा सकता इस बार कुछ जुगाड़ करके ट्रांसफर रुकवाना ही पड़ेगा..जो काम कभी नहीं किया बच्चो की खातिर करना पड़ेगा .. समीर से दुनियादारी के व्यवहारिकता के ढंग सीखने पड़ेंगे ..!
उसके साथ बॉस के घर चढ़ावा लेकर जाता हूं और जितना बन सकेगा खुशामद करने की कोशिश कर लूंगा… अविनाश की उधेड़बुन के बीच ही मोबाइल बज उठा … बेटे मनन का हॉस्टल से फोन था …
………पापा आपको पता है परीक्षा प्रश्नपत्र आउट धांधली में रवि का नाम आया है उसे कॉलेज से रेस्टिकेट किया जा रहा है…. मां बता रहीं थीं आपका ट्रांसफर कर दिया गया है .. पापा आप दुखी या चिंतित नहीं होइए .. आप ही मेरे आइडियल हैं आपके सिद्धांत और उन पर अमल करना आपसे ही मैंने सीखा है ..मनन कह रहा था।
पर बेटा ये ट्रांसफर मेरे परिवार का पायल का भविष्य खराब कर देगा… तू चिंता मत कर मैं कुछ भी करके इसे रुकवा लूंगा….अविनाश की व्यथा शब्दों में घुमड़ आई थी।
पापा….आप ही तो कहते हैं कठिन समय विपरीत परिस्थितियां हमारी परीक्षा लेने आती हैं अनुकूल परिस्थितियों में तो हर कोई कार्य कर सकता है … पर बात तो तभी है जब….परिस्थितियां विपरीत हों तब भी आप विचलित हुए बिना स्वयं के साथ खड़े रहें ….!
अच्छा भविष्य संस्कारों सिद्धांतो और दृढ़ विचारों से बनता है पापा… किसी स्थान पर जाने से नहीं आप साथ हैं तो परिवार का भविष्य सुनिश्चित है महज एक ट्रांसफर मेरे पापा को घुटने नही टेकने दे सकता …ये आपकी परीक्षा का समय है पापा ऑल द बेस्ट मुझे विश्वास है मेरे पापा का पेपर सबसे अच्छा जायेगा ….बेटे का विश्वास ….बेटे के वाक्य अविनाश के छलनी हो चुके दिल और दिमाग दोनों को मानो फिर नए सिरे से जोड़ रहे थे चेतन कर रहे थे…!!
#छलनी कर देना
लतिका श्रीवास्तव