ससुराल और मायका – पुष्पा जोशी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :सौरभ अपनी बहिन प्राची से बहुत प्रेम करता था। वह एक दिन के लिए भी उससे दूर चली जाती, तो उसका मन नहीं लगता था। प्राची बी.ए. द्वितीय वर्ष  में पढ़ रही थी। सौरभ की नौकरी बैंक में लग गई थी। उसके विवाह की तैयारी चल रही थी। सौम्या दीनदयाल जी के दोस्त राकेश की इकलौती लड़की थी।

वह बहुत सुन्दर और संस्कारी लड़की थी। प्राची शादी की तैयारी में मस्त और व्यस्त थी। बहुत धूमधाम से दोनों की शादी हो गई।
          सौम्या ने आकर अपने व्यवहार से सभी का मन जीत लिया था। वह हर काम बहुत व्यवस्थित ढंग से करती थी, किसी को शिकायत का मौका नहीं देती थी। घर में सब उससे बहुत खुश थे।

बस सौरभ कुछ खिचा खिचा रहता था, उसे सौम्या का प्रतिदिन अपने मायके में बात करना अच्छा नहीं लगता था, वह कुछ कहता नहीं मगर उसे सौम्या की यह बात पसंद नहीं आती थी।
  प्राची की परीक्षा चल रही थी। सौम्या की सासु जी जानकी जी का घर के आंगन में पैर फिसल गया और उनके पैर की हड्डी में फ्रेक्चर हो गया। प्लास्टर चढ़ाया गया उन्हें डॉक्टर ने सख्त हिदायत दी थी, कि वे डेड़ महिने तक पूरी तरह आराम करें। सौम्या सुबह जल्दी उठकर सारे काम व्यवस्थित रूप से करती। जानकी जी को समय पर नाश्ता, भोजन, दवाई सभी कुछ देती। पर काम निपटाने के बाद अपने मायके में फोन लगाना  नहीं भूलती थी।

एक दिन वह जानकी जी को दवाई देकर उनके पास बैठी थी, तब उसके पापा का फोन आया, वह बात कर रही थी,तभी सौरभ घर पर आया। उस दिन सौरभ ऑफिस से जल्दी घर आ गया था।उसकी तबियत उस दिन ठीक नहीं थी, बुखार की हरारत थी। सौम्या को फोन पर बाते करते देख भड़क गया, बोला तुम्हें किसी की चिंता है या नहीं। दिनभर फोन पर बातें करती रहती हो, अब तुम मेरी पत्नी हो इस घर के बारे में सोचो, इस घर के बारे में तुम्हारे कुछ कर्तव्य है या नहीं। सुनकर सौम्या सन्न रह गई। उस समय वह कुछ नहीं बोली उसे सौरभ की तबियत ठीक नहीं लग रही थी।

उसने कहा -‘आज आप जल्दी घर आ गए आपकी तबियत तो ठीक है।’ उसने देखा उसका शरीर तप रहा था। सौम्या ने उसे नाश्ता कराया ,बुखार की दवा दी और सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखी। उसे कुछ आराम मिला तो उसे नींद आ गई। आराम कर लेने से उसकी तबियत ठीक हो गई थी। जानकी जी ने उसे बुलाकर कहा कि ‘कल तूने बहू के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इतनी संस्कारी पत्नी तुझे मिली है, तू उससे जाकर अभी मॉफी मांग।

वह सबका बराबर ध्यान रखती है, उसके माता पिता ने लाड़-प्यार से उसे पाल पौसकर बड़ा किया, और अपनी बेटी को हमें सौंप दिया। उसका अपने माता पिता से लगाव स्वाभाविक है, अगर वो फोन पर उनसे बात करती है,तो क्या गलत करती है?कल को प्राची का विवाह होगा और अगर उसका पति उसे फोन करने के लिए मना करेगा

और यहाँ नहीं आने देगा तो या तुझे बुरा नहीं लगेगा?’ सौरभ ने कहा माँ आपने मेरी ऑंखें खोल दी, मैंने कभी इस तरह से सोचा ही नहीं, मैं जाकर सौम्या से मॉफी मांग लेता हूँ। सौम्या उस समय जानकी जी के लिए नाश्ता लेकर आ रही थी। उसने दोनों की बातें सुन ली थी। वह आकर बोली – ‘आपको मॉफी मांगने की जरूरत नहीं है,

आपके लिए बस यह जानना जरूरी है कि “मैं सिर्फ आपकी पत्नी ही नहीं किसी की बेटी भी हूँ। ” माँ की तबियत ठीक हो जाए और दीदी की परीक्षा हो जाए, उसके बाद आप मुझे मायके में मम्मी पापा से मिलवा कर लाना वे भी मेरे जीवन का अहं हिस्सा है।’ सौरभ ने कहा सौम्या मुझे अपनी गलती समझ में आ गई है।

प्राची की परीक्षा समाप्त होने के बाद वह माँ का ध्यान रख लेगी। मैं खुद तुम्हें कुछ दिनों के लिए तुम्हारे मायके छोड़कर आऊंगा, तुम्हारे मम्मी पापा भी तुम्हें याद कर रहे होंगे। जानकी जी ने कहा बेटा यह तूने सही बात कही है। सौम्या का चेहरा खुशी से खिल उठा था और घर में फैला तनाव दूर हो गया था।
प्रेषक-
पुष्पा जोशी
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित
         

betiyan M S sandesh YT

#मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूं।  वाक्य प्रतियोगिता )

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!