Moral Stories in Hindi : “मैं सिर्फ़ आपकी पत्नी ही नहीं, बल्कि एक बेटी भी हूं” आंखों से बह रहे आंसुओ को पोंछते हुए स्वाति ने अपने पति राघव से तेज आवाज में कहा तो राघव ने एक तेज झन्नाटेदार थप्पड़ स्वाति को दे मारा जिससे वह लड़खड़ाती हुई पास रखी मेज़ से टकरा गई और चोटिल हो गई।
शरीर की पीड़ा से ज्यादा दर्द उसे राघव के व्यवहार से हो रहा था जिसे अस्पताल में बीमार पड़े ससुर से अधिक अपने “विश्व भ्रमण” में दिलचस्पी थी, बात दरअसल यह थी कि राघव की कंपनी ने चुनिंदा कर्मचारियों को उनके पार्टनर के साथ एक महीने का विश्व भ्रमण का पैकेज उपहार स्वरूप दिया था,
राघव भी उन कर्मचारियों में से एक था और जब ये बात उसने अपनी पत्नी स्वाति को बताई तो वह भी बहुत खुश हुई और दोनों अपनी पैकिंग और शॉपिंग में लग गए, जानें में एक हफ्ता ही रह गया था की एक सुबह स्वाति की मां का फोन आया और रोते हुए बोली बेटा तेरे पापा को दिल का दौरा पड़ गया है, हालत नाजुक है तू जल्दी से आ जा….
अपने पापा की लाडली बेटी स्वाति ने राघव को सारी बात बताई और दोनों जल्दी से अस्पताल पहुंच गए। मशीनों से घिरे अपने पिता को देख स्वाति रोने लगी तभी वहां डॉक्टर्स आए उन्होंने बोला हालत नाजुक है और दवाइयां भी कम ही असर कर रही है, हो सकता है की एक हफ्ते में ठीक हो जाए या एक महीने में अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा तो आप लोग इनके आस पास रहे…
पिता की ऐसी हालत देख स्वाति ने राघव के साथ जाने से इंकार कर दिया साथ ही उससे भी आग्रह किया की इस समय मेरे पिता को मेरी और मुझे आपकी जरूरत अधिक है तो ये टूर कैंसल कर दो पर राघव ने कहा “अरे यार ससुर जी कौन सा मरने वाले है,क्यों यह सुनहेरा मौका गवा रही हो एक महीने की ही तो बात है फिर खूब सेवा कर लेना अपने पिता की” राघव ने लापरवाही से कहा तो स्वाति को गुस्सा आ गया और इसी बहस बाजी में राघव के हाथ उठाने से दुखी स्वाति, उसी समय अपने पिता की देखभाल करने अस्पताल निकल गई, वहा पहुंचकर पता चला की उसके पिता को दूसरा अटैक भी आ गया और हालत बहुत ही नाजुक हो चली है।
पांच दिन जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए स्वाति के पिता दुनिया को अलविदा कह गए और संयोग देखिए जिस दिन स्वाति विदेश में कदम रखती उसी दिन उसके पिता संसार से चले गए।
राघव भी अपने शब्दों और व्यवहार के लिए बहुत शर्मिंदा था पर स्वाति सोच रही थी यदि अपने पति की बात मान कर उसके साथ चली जाती तो पिता के अंत समय में साथ ना होने का दुख और ग्लानि जीवन भर उसे कचोटती रहती।
स्वरचित, मौलिक रचना
#वाक्य से कहानी बनाओ प्रतियोगिता
कविता भड़ाना