Moral Stories in Hindi : मम्मी आज आप पल्लू में पिनअप मत करिए…. फ्री पल्ला लीजिए …सच में इस साड़ी में बहुत अच्छा लगेगा …बहू आरना ने सासू मां नव्या से कहा…! सच में मम्मी , जब आप तैयार होती है ना तो बहुत स्मार्ट और सुंदर लगती हैं… मुझे पहले इतना सजने संवरने का शौक नहीं था पर आपको देखकर मैं भी बहुत कुछ सीख गई हूं ….मैं मायके में अपनी मम्मी को भी बोलती हूं , मेरी सासू मां से सीखिए इस उम्र में भी कैसे स्मार्ट रहती हैं ….. “आई प्राउड ऑफ यू मम्मी जी ” आरना लगातार अपनी सासू मां की तारीफ किए जा रही थी…।
बस कर आरना…इतनी भी तारीफ मत कर वो तो तू ही है पिनअप वगैरह कर देती है ना… इसलिए थोड़ी ठीक-ठाक लग जाती हूँ शरमा कर नव्या ने आरना से कहा …अरे जल्दी चलूँ बेटा , नितिन मेरा इंतजार कर रहे होंगे…
जैसे ही नव्या तैयार होकर कमरे से बाहर आई और बोली चले नितिन…? ओ…हो… क्या बात है आज तो बड़ी सुंदर लग रही हो नितिन ने प्यार भरी नजरों से नव्या को देखते हुए छेड़ा…।
हां नितिन , मैं तो सुंदर हूं ही… पर लगता है तुमने आज ध्यान दिया… नव्या ने भी इतराते हुए अपनी सुंदरता का प्रमाण पत्र देना चाहा ।
जानते हो नितिन …मुझे ना बचपन से सजने संवरने का बहुत शौक है , अच्छे-अच्छे कपड़े पहनना , पार्टी में जाना , पसंद का खाना…बहुत अच्छा लगता है …मैं बहुत खुश हूं कि
” मेरा जन्म स्त्री जाति में हुआ ” और मुझे इन सब चीजों को करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ …चहक चहक कर अपने शौक का व्याख्यान कर रही थी नव्या…।
हर स्त्री में खुद को विशेष दिखने की चाह होती है इसी चाह को बरकरार रखने हेतु नव्या हमेशा तत्पर रहती थी ।
जानते हो नितिन …अब ना धीरे-धीरे लोगों को मेरा सजना संवरना मोहल्ले की औरतें और रिश्तेदारों की आंखों में खटकने लगा है…. लोग तरह-तरह की बातें बनाते हैं कहते हैं…
उम्र का तो लिहाज करती…. सास बन गई है …दादी नानी बन चुकी है ,और फैशन तो देखो…. हर उम्र की एक गरिमा होती है ..अब इस उम्र में सादगी ही सुंदरता होती है और यही सादगी लोगों को प्रभावित भी करती है…।
लोगों की इस तरह की बातें आम हो गई थी , पर मैंने कभी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया ..हमेशा हंसकर कहती भगवान द्वारा बहुत सुंदर उपहार है….” स्त्री जाति में जन्म लेना ” अतः इसका अस्तित्व कायम रखें …सजना संवरना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है उसकी अवहेलना ना करें ….और हंसकर मैं माहौल को आनंदित कर देती हूं…।
सास या दादी नानी बनने के बाद क्या हमारा सजने संवरने का अधिकार खत्म हो जाता है… हमें अपने व्यक्तिगत शोक का त्याग कर देना चाहिए …? पद की गरिमा और आकर्षक दिखने के लिए प्रयास करना विरोधाभास क्यों… ये ” लक्ष्मण रेखा ” किसने खिंची…. कि किस उम्र में क्या करना चाहिए… मेरे परिधान में मेरी उम्र और मेरे साथ दादी नानी की पदवी में मेरा श्रृंगार आड़े क्यों…?
न जाने क्यों हमेशा लोगों की बात का बुरा न मानने वाली नव्या भावुक होकर नितिन से अपने दिल की बात कह डाली… लोगों के इस बर्ताव से अंदर से दुखी रहने वाली नव्या ऊपर से हमेशा मजबूत बनी रही… पर आज बातों ही बातों में नितिन के सामने उसने अपने मन की बातें खोल कर रख दी…।
अरे यार , तुम ऐसा क्यों सोचती हो… वाकई में तुम्हारे पास एक योग्यता है… जो कभी भी शौक के आगे उम्र को आने नहीं देती और जब तक तुम्हारे अंदर यह बचपना है ना नव्या , तब तक तुम सच में बच्ची हो और मैं चाहता हूं तुम्हारा यह बचपना हमेशा तुम्हारे अंदर बना रहे…।
लोगों का क्या… आप कुछ अच्छा करो तो भी बुरा और बुरा करो तब तो बुरा है ही…. आजकल तारीफ कौन करता है यार …जानती हो नव्या….तुम्हारे उत्साह को देखकर लोग जलते हैं तुमसे , तुम इतनी प्यारी जो हो चुटकी लेते हुए नितिन ने काव्या को हँसाना चाहा…!
तुमने तो कभी सोचा ही नहीं लोग क्या कहेंगे , फिर आज क्यों…??
बहु , बेटा और मैं सब तुम्हारी उत्साह , तुम्हारे उमंग और तुम्हारे जज्बे के सकारात्मक दृष्टिकोण को सलाम करते हैं नव्या…
सच में दोस्तों.. क्या मां बनने के बाद , सास बनने के बाद , दादी नानी बनने के बाद हमें अपने शौक खत्म कर देने चाहिए …ये कहां उपयुक्त है… हमारे उमंग , हमारे उत्साह में उम्र कभी आड़े नहीं आ सकती …बस हमारी सोच और दृष्टिकोण सकारात्मक होनी चाहिए ।
( स्वरचित मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित रचना )
श्रीमती संध्या त्रिपाठी