Moral Stories in Hindi : “मम्मी जी ये पैसे रख लो आज मुझे कंपनी से वेतन मिल गया है और हां मैंने आपके अकाउंट में भी ₹10000 डाल दिए हैं “राकेश ने अपनी मम्मी से कहा तो उसकी मम्मी पूनम ने पैसे लेने से इनकार करते हुए कहा “बेटा तुम अपने पास रख लो जब मेरे हाथ में बरकत नहीं है तब मैं पैसे रख कर क्या करूंगी? और क्या जरूरत थी मेरे अकाउंट में पैसे डालने की वैसे भी मुझे तुम्हारे पैसों की कोई जरूरत नहीं है।
यह सुनकर राकेश शर्मिंदगी भरे स्वर में बोला” मम्मी जी माफ कर दो मुझे मैं आगे से आपको कुछ भी नहीं कहूंगा आप तो गृह लक्ष्मी हो मां आपके हाथ में कभी पैसे की कमी नहीं रहती परंतु ,उस दिन गुस्से में मैं समझ नहीं पाया था प्लीज रख लो ना मुझे पता है आपके हाथ में बहुत बरकत है “कहते हुए उसने जबर्दस्ती अपनी सैलरी पूनम के हाथ में थमा दी थी राकेश को अपनी गलती के लिए पश्चाताप करते हुए देखकर पूनम ने उसकी सैलरी अलमारी में रख दी थी पैसे रखने के बाद वह ड्राइंग रूम में बैठकर बीती बातें याद करने लगी थीं।
भरा पूरा परिवार था उसका पति पंकज के अलावा बेटा राकेश और एक बेटी राधिका भी थी राकेश एक कंपनी में सीए की जॉब करता था और राधिका एक कॉलेज से एमबीए की पढ़ाई कर रही थी। उसके पति सरकारी टीचर थे जो नौकरी से रिटायर होने के बाद घर पर ही रहते थे वैसे तो वह उनकी पेंशन से हो पूनम घर का गुजारा कर लेती थी परंतु, कभी घर का खर्च चलाने में पैसों की कमी पड़ जाती तो वह राकेश की दी हुई सैलरी में से पैसे निकालकर घर का खर्चा चला लेती थी।
एक दिन राकेश ने अलमारी से पैसे निकाल कर गिनकर देखे तो उनमें कई सौ रुपए कम पाने पर वह गुस्से में पूनम से बोला” मम्मी जी आपके हाथ में तो बरकत ही नहीं है क्या जरूरत थी आपको इनमें से इतने पैसे खर्च करने की? क्या पापा की पेंशन में से घर का गुजारा नहीं चलता? मैंने तो आपको पैसे इसलिए दिए थे कि आप इन्हें जमा कर देंगीं मैं चाहता हूं मेरे अकाउंट में लाखों रुपए जमा हो जाए ताकि मैं आने वाली जिंदगी आराम से गुजार सकूं परंतु, आपको तो पैसा जमा करने की अक्ल ही नहीं है।
राकेश की बातें सुनकर दुख से उसकी मम्मी का चेहरा उतर गया था यह देखकर उसके पापा राकेश से बोले “शाबाश बेटा आज तूने अपनी मम्मी के त्याग और मेहनत का अच्छा सिला दिया तुम्हें शर्म नहीं आई अपनी मम्मी से ऐसे बात करते हुए तेरी मम्मी गृह लक्ष्मी है यदि तेरी मम्मी चाहती तो आज उसके अकाउंट में भी लाखों रुपए होते परंतु, उसने तेरी हर इच्छा पूरी करने के लिए कभी पैसों की परवाह नहीं की तुझे सीए बनाने के लिए मेरी सैलरी के साथ साथ इसे अपने मायके से तीज त्योहार पर जो भी पैसे मिलते थे सब तुझ पर खर्च कर देती थी जब कभी मैं इससे कहता कि कुछ पैसे अपने आगे के भविष्य के लिए भी बचा ले तब यह हंसकर मुझसे कहती “मेरा भविष्य मेरा बेटा बेटी है फिर मुझे पैसा जमा करने की जरूरत क्या है?
आज जैसे तू अपने पैसे जमा करने की बात कर रहा है अगर यह भी अपने पैसे तूम पर खर्च करने की बजाय जमा करती तो आज इसके पास भी लाखों रुपए होते परंतु ,आज उसके अकाउंट में हजार रुपए भी नहीं है जिन्हें यह अपने ऊपर खर्च कर सके क्या तुम अपनी मां के लिए इतना त्याग कर सकते हो बेटा आदमी तो सिर्फ पैसा ही कमाता है परंतु, घर को घर और अपने बच्चों का भविष्य सिर्फ गृह लक्ष्मी ही बनाती है?”
पापा की बातें सुनकर राकेश शर्मिंदा हो गया था शर्म से वह पूनम से हाथ जोड़कर बोला “मम्मी जी मुझे माफ कर दो मैं आगे से ऐसा नहीं कहूंगा आज के बाद तुम्हारी जो भी मर्जी हो तुम पैसे खर्च करना मैं कभी तुम पर गुस्सा नहीं करूंगा।” तब बेटे की बातें सुनकर उन्होंने उसे माफ तो कर दिया था परंतु ,मन ही मन यह निर्णय ले लिया था कि आज के बाद राकेश की सैलरी को मैं हाथ नहीं लगाऊंगी
लेकिन जब अगले महीने राकेश ने फिर से उनसे क्षमा याचना की तो उनका दिल पसीज गया था उसे सोच में डूबी हुई देखकर उसके पति उससे बोले” क्या सोच रही हो? आज तो तुम्हारे अकाउंट में पैसे आ गए इस खुशी में हमारा मुंह तो मीठा करा दो” “अभी लाती हूं “कह कर पूनम पति की बातें सुनकर खुशी से मुस्कुराने लगी थी ।
दोस्तों जब बच्चे बड़े होकर अपने माता-पिता से अपनी कमाई का हिसाब मांगने लगते हैं तो माता पिता को बहुत दुख होता है क्योंकि वह अपनी कमाई हुई सारी दौलत अपने बच्चों पर यही सोचकर न्योछावर कर देते हैं कि बड़े होकर बच्चे उनकी खुशियों का ध्यान रखेंगे परंतु गलती का एहसास कराने पर जब बच्चे अपनी गलती मान लेते हैं तो माता-पिता बड़ा दिल रखते हुए उन्हें माफ भी कर देते हैं लेकिन बच्चों को अपने माता-पिता से कभी भी अपनी कमाई का हिसाब नहीं मांगना चाहिए क्योंकि माता-पिता उन पर बेहिसाब खर्च जो करते हैं।
बीना शर्मा