Moral Stories in Hindi : ओ हो आरोही… तेरी शादी लग गई है कुल मिलाकर महीना भर भी नहीं बचा है …बता , बैचलर पार्टी देगी भी या नहीं??? हम नहीं जानते हमें तो इस शनिवार बैचलर पार्टी चाहिए तो चाहिए बस।
आराध्या ने इतराते हुए आरोही को छेड़ा ….हाँ हाँ यार क्यों नहीं चलते हैं इस वीकेंड पर किसी रेस्टोरेंट में। आरोही की तरफ से पार्टी स्वीकार करने पर ही आराध्या और अन्य सहेलियों ने दम लिया।
मध्यम वर्गीय परिवार की सुंदर साहसी और पढ़ाई में काफी तेज बिना सजे धजे ही सिर्फ कपड़े बदल लेने और बाल खुले होने से ही उसकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते थे। फैशन से दूर सहजता व सरलता स्पष्टवादिता उसका सबसे बड़ा गुण था। सच्ची और मुँह पर सपाट जवाब देने वाली आरोही को झूठ और चापलूसी जैसी चीजों से काफी नफरत थी। उसकी स्पष्ट वादिता उसके लिए ही कभी-कभी मुसीबत बन जाती थी।
उसकी अपनी ही सहेलियाँ उसे तेजतर्रार नकचढ़ी और न जाने क्या-क्या संबोधन से विभूषित कर देती थी पर इन बातों का आरोही ने अपने ऊपर कभी प्रभाव पड़ने ही नहीं दिया।
एमबीए पूर्ण होते ही और कैंपस सेलेक्शन होते ही उसके लिये योग्य लड़का देख परिवार वालों ने शादी पक्की कर दी थी।
शादी भी ऐसे परिवार में पक्की हुई जो काफी पढ़े लिखे और स्वतंत्र विचारों वाले थे। दिव्य आरोही के सादगी का कायल था।
जब भी आरोही दिव्य से मिलती बिल्कुल वैसे ही जैसे दिव्य ने उसे बस स्टॉप पर बस का इंतजार करते हुए देखा था। बस यही सादगी और सच्चाई परस्त आदतों के चलते दिव्य और दिव्य का पूरा परिवार आरोही को बहू बनाने के लिए आतुर था।
कभी-कभी आरोही की मम्मी निधि दिव्य और आरोही की फोटो देख आरोही को समझाने की कोशिश करती बेटा थोड़ा सज- धज कर रहना चाहिए ना…. तो आरोही का हमेशा जवाब होता मम्मी मुझे उनके घर तो हमेशा जैसी हूँ वैसी ही रहना है फिर इतना लीपापोती क्यों?? मम्मी सबकी पसंद अलग अलग होती है मुझे दिनभर सज धज कर बैठना पसंद नहीं है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है मम्मी कि ज्यादा मेकअप गलत है यह अपनी अपनी पसंद की बात है।
इस तरह मम्मी की बातों को समझा-बुझाकर टालमटोल कर जाती आरोही। जैसी तेरी मर्जी बिटिया रानी कहकर निधि भी चुप हो जाती।
आराध्या व सहेलियों का इंतजार खत्म हुआ….! शनिवार की शाम भी आ ही गई बैचलर पार्टी की तैयारियों में सहेलियाँ पूरी तरह व्यस्त थी शाम होते ही चलो फ्रेंड्स की आवाज के साथ सभी लड़कियाँ अपने अपने कमरे से बाहर निकली।
वाह …सच में जब लड़कियां तैयार होने पर आ जाती हैं तो मानो वह अप्सरा ही लगने लगती हैं। आरोही भी आदतन साधारण ही तैयार हुई थी !! वन पीस और खुले बाल. गजब की खूबसूरत लग रही थी आरोही !!! आरोही का साधारण मेकअप फिर भी बला की सुंदरता देखकर सहेलियों से रहा ना गया और आराध्या ने पूछ ही लिया…. मेकअप करना बिलकुल नहीं आता क्या तुझे??? मेकअप का कोई सेन्स है भी या नहीं।
वास्तव में यह भी एक कला है सबके बस की बात थोड़ी ना है… कटाक्ष करते हुए आराध्या ने कहा। मुस्कुराती हुई बातों को बिना दिल पर लगाए आरोही सहेलियों के साथ बैचलर पार्टी मनाने निकल गई। पार्टीज की फोटो अपने होने वाले ससुराल में भी भेजें जिसे दिव्य के साथ साथ ससुराल के सभी सदस्यों ने बहुत पसंद किया।
…….समय बीतता गया…
शादी का वह खूबसूरत लम्हा आ ही गया जहाँ आरोही व दिव्य परिणय सूत्र में बंध कर हमेशा के लिए एक हो गए !!
दोनों परिवार में खुशियाँ ही खुशियाँ और आरोही भी नए परिवार ..नए जॉब के साथ काफी खुश थी पर कहते हैं ना कभी-कभी खुशियों को भी ज्यादा खुशियाँ बर्दाश्त नहीं होती बिल्कुल यही हुआ आरोही के साथ।
मायके में भी घर की बड़ी बेटी ससुराल में भी इकलौती बहू…! दिवाली को कुछ ही दिन शेष रह गए थे ससुराल में पहली दिवाली बड़ी खुशी से दीपोत्सव की तैयारियाँ चल रही थीं..।
इसी बीच आरोही को खबर मिली कि उसकी मम्मी ..निधि के हार्ट में प्रॉब्लम है और तत्काल ऑपरेशन की जरूरत है…। ससुराल में भी सभी यह खबर सुनकर स्तब्ध रह गए।
हर वर्ष सपरिवार मिलकर दिवाली का पर्व आरोही के ससुराल में हर्षोल्लास से मनाया जाता था …चूँकि आरोही इकलौती बहू थी अतः दिवाली में उसकी उपस्थित कुछ विशेष मायने रखती थी…..!
मौके की नजाकत और जरूरत को समझ कर आरोही ने स्पष्ट शब्दों में ससुराल में पति से कह दिया ….
” मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूं ”
अतः मुझे इस विषम परिस्थिति में अपनी माँ के साथ होना चाहिए… ससुराल में सभी ने आरोही को इस मुश्किल घड़ी में माँ के साथ होना ही उचित बताया !! और आरोही दफ्तर और घर दोनों जगह से छुट्टी लेकर माँ की भरपूर सेवा की।
ऑपरेशन सफल रहा….! दिवाली के दिन ही माँ के प्रति बेटी के दायित्व को पूरा कर…. निकल पड़ी एयरपोर्ट के लिए आरोही ….उसे ससुराल में दिवाली के दिन बहू का दायित्व भी तो पूरा करना था।
शाम को आरोही ने ससुराल पहुंचते ही सादगी पर खूबसूरत ढंग से तैयार होकर सपरिवार पूजा अर्चना कर एक खुशनुमा माहौल बना दिया। जब निधि ने बिटिया रानी के दिवाली के खुशी के मौके की सपरिवार वाली तस्वीर देखी तो उनकी आधी बीमारी ऐसे ही दूर हो गई।
निधि के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा तूने अपने दोनों घरों के दायित्व को बखूबी निभाया बिटिया रानी…।
( स्वरचित मौलिक और सर्वाधिकार सुरक्षित रचना )
# वाक्य : ” मैं सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूं “
श्रीमती संध्या त्रिपाठी
#में सिर्फ आपकी पत्नी नहीं किसी की बेटी भी हूँ “