Moral Stories in Hindi :
जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि शुभ्रा के घर चिठ्ठी फेंकने वाले कोई और नहीं उसके गांव के चाचा पुत्तु थे… वो अपनी गलती की माफी मांग चुके हैँ… नारायण जी ने माफ कर दिया हैँ उन्हे … ताऊ बबलू जी शुभ्रा को लेकर सुनार की दुकान पर आ चुके हैँ जहां पहले से ही उमेश के घर वाले मौजूद हैँ… शुभ्रा की होने वाली सास वीना जी कह रही हैँ….शुभ्रा बेटा आपको जो जो पसंद हो बता दो पर शुभ्रा बार बार यहीं कह रही हैँ कि माँ जी आपको जो पसंद हो… वीना जी शुभ्रा से उमेश को विडियो कॉल लगाने को कहती हैँ कि अब तो उमेश ही बतायेगा कि तेरे लिए क्या क्या लूँ… डर डरकर शुभ्रा उमेश को कॉल लगाती हैँ… उमेश गाड़ी का इंजन सही कर रहा हैँ जिस वजह से उसके हाथ और चेहरे पर कालिख लग गयी हैँ…. वो ख़ुशी से झूम उठता हैँ… शुभ्रा का कॉल उठाता हैँ… दोनों की नजरें आपस में मिलती हैँ…
अब आगे…
शुभ्रा उमेश के काले चेहरे को देखकर जोर से हंस पड़ती हैँ…
पास में बैठा राहुल जल्दी से मग में पानी लाता हैँ…
ले मुंह धो पहले … तू तो भाभी की नजरों में ईम्प्रेशन डाउन करेगा…. इतना भी क्या खुश होना कि मुंह भी ना धोया सीधा कॉल उठा लिया….
उमेश गुस्से में राहुल को देखता हैँ… उसके हाथ से पानी का मग लेता हैँ…
ला जब तक मैं बात करता हूँ भाभी से…. अच्छे से पोंछ भी लेना चेहरा…. पानी टपकाता हुआ मत आ जाना…..
हां भाभी नमस्ते और बताइये…. कैसी हैँ आप??
मैं अच्छी हूँ…मम्मी जी को बात करनी थी इनसे… इसलिये कॉल किया… लीजिये मम्मी जी से बात कीजिये…
भाई तू क्या सोचा… तेरे अरमानों पर तो पानी फिर गया….
उमेश फ़ोन लेता हैँ… उसका मन बुझ जाता हैँ कि भले ही काला चेहरा था पर कम से कम शुभ्रा को सामने देख तो लेता…. वो तो शादी से पहले विडियो कॉल करने से रही…. इस कमीने राहुल ने मौका भी हाथ से निकाल दिया…
माँ राधे राधे….
राधे राधे बेटा… देख तेरी शुभ्रा कितना शर्मा रही हैँ. ..
क्यूँ क्या हुआ माँ??
मैं बार बार पूछ रही हूँ जो गोल्ड पसंद हो बता दो…. पर वो तो बस यहीं बोल रही हैँ कि मम्मी जी जो आपको पसंद हो वो ले लीजिये … अब बता मैं क्या करूँ …. नारायण जी से वादा किया है कि समय से घर भेज देंगे शुभ्रा को… पर लगता नहीं कि शाम तक भी अब जा पायेंगे…. अब तू ही बता दे अपनी शुभ्रा के लिए क्या क्या लेगा….
माँ शुभ्रा तो ऐसी ही हैँ…. लाईये दिखाईये…. कुछ मैं बता देता हूँ… कुछ आप देख लीजियेगा ….
ये ठीक हैँ… ये हार बता कैसा हैँ?? एक एक कर सभी चीजें वीना जी उमेश को दिखाती जा रही थी… शुभ्रा से भी पूछती जा रही थी…. शुभ्रा हां में सिर हिला देती….
तो ठीक हैँ माँ…. हो गया फाईनल …. बिलिंग करा लीजिये…. तू हर समस्या का समाधान निकाल देता हैँ…. ले अब बात कर ले शुभ्रा से जब तक बिलिंग हो रही हैँ… वीना जी शुभ्रा को फ़ोन देती हैँ…
शुभ्रा फ़ोन में सामने आयें बिना हेलो बोलती हैँ…
तो तुम अपना चेहरा नहीं दिखाओगी मुझे…. कर लो परेशान ….
एक बार तो आओ शुभ्रा सामने… तुम्हे दिवाली तो विश कर दूँ ….
जी हैप्पी दिवाली …. बिना चेहरा सामने लायें शुभ्रा बोलती हैँ….
ठीक हैँ… खुद तो देख रही हो मुझे… पर मुझे सता रही हो…. आज के बाद फ़ोन मत करना… बाय… गुस्से में उमेश फ़ोन रख देता हैँ…
राहुल उमेश का लाल पीला चेहरा देख बोलता हैँ…. कोई पत्थर से ना मारो मेरे दीवाने को…. भ्ई मान गए भाभी को….
उमेश हाथ में डंडा ले राहुल को मारने के लिए दौड़ता हैँ…
इधर बिलिंग हो गयी हैँ….. सभी लोग बाहर आ गए हैँ…
नरेश जी कहते हैँ… काफी टाइम लग गया… चलिये कुछ खा पी लिया जाए बबलू जी सामने होटेल में…
जी रहने दीजिये … घर ही चलते हैँ… नहीं तो बाऊ जी की दो चार गारी सुननी पड़ेगी…
जी ठीक हैँ… जैसा आपको सही लगे…. वीना जी हल्दीराम के दो मिठाई के डिब्बे बबलू जी को देती हैँ…और कहती हैँ… आप सबको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं ….
बबलू जी खील खिलौना, घर का देसी घी का बना मिल्क केक वीना जी को देते हैँ…
अरे इन सबकी क्या ज़रूरत थी?? नरेश जी कहते हैँ….
जी अब आप हमारे मान्य है … जैसे सब छोरियों की ससुराल त्योहारी ज़ाती हैँ वैसे ही आपके यहां…
समीर शुभ्रा को पटाखे देता हैँ… बोलता हैँ… विक्की को दे दीजियेगा भाभी… हमारे चाचा जी की फैक्टरी के हैँ…
शुभ्रा कहती हैँ… भईया घर आईयेगा कल… साथ में दिवाली मनायेंगे…
ज़रूर आता भाभी पर घर में काम चल रहा हैँ… एक मिनट की फुरसत नहीं है आपके इस देवर को …
सभी लोग एक दूसरे को अभिवादन करते हैँ… अपने अपने घर को लौट ज़ाते हैँ…
घर आकर शुभ्रा और बबलू जी खाना खाते हैँ… .
नारायण जी पूछते हैँ और सब बढ़िया रहो वहां…
जी बाऊ जी… काफी महंगो पड़ो जेवर …
अच्छा… हम हूँ कमी ना राखेंगे किसी चीज में… लाली शुभ्रा जे बाग ते गेंदा के फूल तुड़वा लिए हैँ और जे रंग मंगवा लये हैँ रंगोली के… या साल और सजा ए दे घर को… अगली साल से तो अपये ससुराल के घर को सजायेगी … कहते हुए दादा नारायण जी रो पड़ते हैँ…
शुभ्रा भी आँखों में आंसू भरे कहती हैँ… मेरी ससुराल दूर नहीं हैँ दादा जी… मैं फुदक कर सुबह यहां आकर घर सजाऊंगी फिर वहां… आपके बैठक में तो मैं ही दरवाजे पर फूल लगाऊंगी …. कहते हुए अपने दादा से लिपट ज़ाती हैँ लाली… काफी देर तक पोती और नारायण जी रोते रहते हैँ… भ्ई बेटी को विदा करना इतना आसान नहीं… पूछो उन माँ बाप के दिल से ज़िन्होने अपने घर की चिड़िय़ां को अंजानों के हाथ सौंप दिया….
अगले दिन दिवाली हैँ…. शुभ्रा और उमेश का घर रोशनी से जगमगा रहा हैँ… चारो तरफ फूल महक रहे हैँ… मिट्टी के दिये की लौ सभी के अन्तरमन को भा रही हैँ…तरह तरह के पकवान बनाये जा रहे हैँ…. शुभ्रा गुलाबी रंग का सूट पहने किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही… उमेश भी नीले रंग का कुर्ता पैजामा पहने किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा… शुभ्रा और उमेश के मन में एक ख़ुशी दिवाली की हैँ दूसरी तो उनके मन को उत्साहित कर ज़ाती हैँ… आखिर उनके दिल में एक दूसरे के प्रति प्यार परवान चढ़ रहा हैँ…
शुभ्रा उमेश को नाराज कर चुकी हैँ… इसलिये त्योहार के दिन उसका मूड सही करने के लिए उसे फोन लगाती हैँ…
हेलो जी…. सोरी…. सोरी … सोरी….. अपनी शुभ्रा को आज के दिन भी माफ नहीं करेंगे…
मुझे ये बताओ… तुम्हे पता था कि मैं नाराज हूँ फिर भी तुमने कल से फ़ोन क्यूँ नहीं किया … एक बात ध्यान से सुन लो शुभ्रा…. मेरी फीलिंग का मजाक मत बनाना कभी… तुम तो वहां फैमिली में कई लोगों के बीच में हो… पर मैं यहां अकेला सिर्फ तुम्हारे बारें में ही सोचता रहता हूँ…
आपको क्या लगता हैँ मैं नहीं सोचती आपके बारें में… पर यहां सभी के बीच बार बार फ़ोन नहीं कर पाती…
सुनो …. तुम्हे आज मेरी बात माननी होगी… मैं विडियो कॉल कर रहा हूँ… उठाओ …
जी कैसे….
मुझे नहीं पता कैसे… बस उठाओ कॉल….
शुभ्रा कॉल उठाती हैँ…. उमेश शुभ्रा को देखता रह जाता हैँ…
आगे की कहानी कल…. इस दीपावली आपके जीवन में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश सुख-शांति और समृद्धि लाएं
जीवन दीप सार रौनक हो, प्यार, स्नेह और आंनद का उजियारा फैले
आपको और आपके प्रिजयन को दीपावली की ढेरों मंगलकामना और बधाई
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
लड़के वाले सीजन -2 (भाग -1) – मीनाक्षी सिंह
लड़के वाले सीजन -1 – मीनाक्षी सिंह