लड़के वाले सीजन -3 (भाग – 11) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि किसी अंजान द्वारा चिठ्ठी फेंके जाने से शुभ्रा के घर में सभी दुखी हो गए हैँ… उमेश के पिता नरेशजी के आग्रह पर शुभ्रा को ताऊ बबलू जी सुनार की दुकान पर लेकर जाने वाले थे … सभी घर के सदस्य मौजूद हैँ….तभी घर के  गेट पर फिर से दो आदमी आतें हैँ….. पीछे बैठा हुआ आदमी फिर से  चिठ्ठी फेंकता हैँ….उसे देख विक्की उसकी कोलर पकड़ आगे की तरफ घसीटता हैँ…. वो आदमी जमीन पर गिर जाता हैँ… दादा नारायण जी उसका हेलमेट हटा उसका चेहरा देखते हैँ…. ये आदमी तो….

अब आगे….

ये आदमी तो कोई और नहीं नारायण जी के जानने वालों में था….

पुत्तु तू …. तू फेंक रहो हैँ हमाये घरे चिठ्ठी…. तोपे इतनो विश्वास करो … तोये कार्ड दये कि गाम के कछु कार्ड तू दे अईयो…. पर तू तो छोरी को ब्याह ही ना होने देनो चाह रहो…. बता काय कूँ ऐसो कर रहो….तोते ऐसी उम्मीद नाई  हती …..दादा नारायणजी अपने विश्वास को टूटता देख भावुक हो गए हैँ…

बबलू जी और विक्की पुत्तु को मारने के लिए डंडा लेकर आयें हैँ….

बाऊ जी…आज़ नाये छोड़ूँगो याए …. चाहे चाचा लगे य़ा ताऊ मेरो…. हमायी लाली को ब्याह ना होने देनो चाह रयो…. कढ़ी खाये …. आज तेई एक ऊँ हड्डी बच गयी तो मेओ नाम ऊँ बबलू नाये….. पुलिस को बुलाता हूँ….

ताऊ जी… मैं पुलिस को बुलाता हूँ….  विक्की बोला…

खबरदार …. काऊँ ने यापे हाथ ऊँ उठायो तो…. पुलिस कूँ बुलायेबे  की ज़रूरत नाये हैँ….

यह सुन पुत्तु दादा नारायण जी के पैरों को पकड़ लेता हैँ…..

दादा माफ कर देओ मोये… अब ना करूँगो ऐसो… बहुत बड़ी गलती हैँ गयी….

पर काय कूँ छोरा कूँ बदनाम कर रहो तू …. हिम्मत ऊँ देखो… दुबारा फिर आयें गयो चिठ्ठी डारने ….. आज तोये ना पकड़ते तो तू रोज फेंकतो ….. अब बताये रयो हैँ कि नाये… मैं लठ्ठ उठाऊँ …. मैं तो तोये मार सकत हूँ….

दादा… बताय रयो हूँ… वा दिना मैं तुमाये घरे आयें तो तुमने बतायी कि बड़े भले आदमी हैँ छोरा वारे….खुद ही गाड़ी घोड़ा लै रहे…. एक रूपया ना मांगो हम पे … हमाये खेत ऊँ बिकने ते बचाये लये …. बहुत किस्मत वारी हैँ छोरी …. ऐसो घर वार मिल रहो हैँ… छोरा फौज में हैँ…. तुमाये घर में इतयी खुशहाली मोये बर्दाशत ना भई दादा…. मैं 6 साल ते अपयी लाली के लिए छोरा देख रहो हूँ…. कोई बात ना बनी आज तक…. बड़ी लाली कूँ ससुरार वारो ने इतनो परेशान करो … वाये घर लानो पड़ो…. तीन बालकन के साथ वो घरे रह रही…. दो नालायक छोरा ऊँ हैँ… जो कछु ना करत …. बस य़ाई मारे तुम लोगन की ख़ुशी सह ना  पायो तो जे रास्ता बतायो य़ा करुआ ने…. मैं माफी के काबिल ना हूँ दादा…. पुत्तु जमीन पर सर पटककर रोने लगे…..

जे का कर रहो हैँ…. ऐसे छोरी को ब्याह तुड़वाये के तू अपयी छोरी को ब्याह कर लेगो…. जे बहुत गल्त करो तूने…. कोई समस्या होत हैँ तो वाये घर परिवार वारन कूँ बतायी जात हैँ… य़ा ऐसो काम करो जात हैँ…. तू मोये बतातो… मैं तेई छोरी के लिए छोरा देखतो …. मेई भी तो लाली हैँ वो… तेरो गुनाह माफ करबे लायक तो ना हैँ…..

बाऊ जी चिठ्ठी पढ़ो तो सही अब का लिखो या चाचा ने  छोरा के बारे में…. कहीं दो चार बालक और तो ना पैदा कर लायो वाके….

ताऊ बबलू बोले…

मन ही मन शुभ्रा ख़ुशी से फूलकर गुप्पा हो रही थी कि उसके उमेश गंगा के जल की तरह पवित्र हैँ….

इससे पहले कि बबलू जी चिठ्ठी उठाते… करुआ जो दूसरा आदमी था पुत्तु चाचा के साथ उसने वो चिठ्ठी फाड़कर मुंह में खा ली….

ज़िसे देख बबली की हंसी छूट गयी…

सुन पुत्तु …. कभी किसी को घर बर्बाद करके तू अपनो घर आबाद ना कर सकत … राम जी सब देखत हैँ… एक एक चीज को हिसाब याई जन्म मे लेत हैँ… ऊपर कछु ना राखो… या जन्म को अच्छे बुरे कर्मन को फल यहीं मिलेगो ….

मोये माफ कर दो दादा…. अब तुम्हे अपनी शक्ल ऊँ ना दिखाऊंगो …. पर काऊँ ए गाम में य़ा घर में बतइयो मत…. बहुत बदनामी हैँ जायेगी…. मैं अपयी जान दे दुंगो…

बांवरो हैँ गयो हैँ… तेए आगे अभी छोरियां पड़ी हैँ… उनको विदा करनो हैँ…. कोई काऊँ ते कछु ना कह रहो…. सबन कूँ मेई कसम… काऊँ ने कुछ कहीं तो गाम में…. और सुमित्रा तोये खास तौर पे कह रयो हूँ… तेई जबान ज्यादा चलत हैँ…

ताई सुमित्रा जो कि गांव की चाची का नंबर सर्च कर चुकी थी बस बटन दबने ही वाली थी उन्होने नारायण जी की बात सुन फ़ोन को चुपचाप बबली को पकड़ा दिया….

और का कह रयो तू कि शकल ना दिखाऊंगो … चुपचाप बऊ और बालकन कूँ  लैके ब्याह में आयें जइयो … समझो…. बड़ो आयो शकल ना दिखाने वारो… और करुआ तू भी भूल मत जइयो ….

पुत्तु चाचा नारायण जी के सीने से चिपक गए… दादा तुम बड़े भले मानुष हो…..

चुप कर …. अपये बाप ते कछु सीख लेतो तो ऐसो काम ना करतो…. अब जा अपनो काम संभार…. द्वे दिना तो तूने चिठ्ठी पत्तर में ई खराब कर दये… इतये में तो खेत जोत लेतो… आलून की बुआई  हैँ ज़ाती….

बबलू जा लै जा अब लाली कूँ … छोरा की महताई इंतजार कर रही होवेगी…. लाली अब तो दुखी ना हैँ तू … देख राम जी ने त्योहार पे सब सही कर दो…

जी दादा जी…. आँखों में आंसू भरे शुभ्रा दादा जी के गले लग गयी….

चाचा पुत्तु ने भी आँखें नीची कर शुभ्रा के सर पर हाथ रख दिया….

घर में खुशियां लौटा आयी थी…. शुभ्रा दुकान पर आ गयी हैँ…जहां पहले से ही उमेश की माँ वीना जी, भाई समीर , पिता नरेश जी शुभ्रा का इंतजार कर रहे हैँ….

समीर ने शुभ्रा के पैर छूये …. शुभ्रा भी अपने सास ससुर के पैर छू रही थी कि नरेशजी ने मना कर दिया…. बस प्रणाम कर दिया करो…. हमारा आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा हैँ…..

जी पापा जी….

बबलू जी भी सभी से राम राम करते हैँ….

सब लोग अंदर आकर मखमली सोफों पर बैठते हैँ…

भई हमारी बहू के लिए सुन्दर और लेटेस्ट जेवर दिखा दीजिये ….

जी ज़रूर… जब तक आप लोग चाय पीजिये … तनिष्क वाले ने चाय मंगवाई …. आजकल सब पैसों का रैसा हैँ…. बड़ी दुकानों पर आप जायें …. आपके पोकेट में पैसा हो…. तो चाय कोफी के रुप में  इज्जत अपने आप मिलने लग ज़ाती हैँ… जो कि आज के समय की कड़वीं सच्चाई हैँ…

एक से एक जेवर शुभ्रा के सामने पेश किये जा रहे हैँ… ज़िसे देखकर शुभ्रा सकुचा रही हैँ… भई शुभ्रा निंम्न मध्यम वर्गीय परीवार से हैँ जिसके घर में प्यार और सम्मान तो बहुत हैँ पर पैसा शायद लड़के वालों के ज़ितना नहीं हैँ… हर लड़की अपना भाग्य लिखाकर आती हैँ…. तो जीवन में पहली बार इतना कुछ देखकर शुभ्रा का  सकुचाना तो वाजिफ हैँ….

वीना जी बार बार पूछ रही हैँ…. भ्ई बताओ… शुभ्रा बेटा… क्या क्या पसंद हैँ…. शुभ्रा बस एक ही बात बोल रही हैँ… जो मम्मी जी आपको पसंद हो….

भई तुम अपने मुंह से नहीं बोलोगी…. अब उमेश से ही पूछती हूँ… तुम तो कुछ बोलोगी नहीं… उमेश ही बता दे… कि उसे अपनी पत्नी के लिए क्या क्या पसंद है ….

शुभ्रा बेटा…मेरा फ़ोन बाहर समीर ले गया हैँ… ज़रा तुम अपने फ़ोन से उमेश को वीडियो कॉल करना तो…

क्या मम्मी जी मैं ….?? शुभ्रा वीडियो कॉल की बात पर घबरा जाती हैँ…. कि उमेश जी को कैसे कर सकती हूँ वीडियो कॉल..

हां… बेटा… लगाओ उमेश को कॉल…. जल्दी डिसाइड करें…

शुभ्रा घबराते हुए उमेश को वीडियो कॉल करती हैँ…

उमेश जिसके हाथ काले हो रखे हैँ फौजी गाड़ी का इंजन सही करते हुए… शुभ्रा का वीडियो कॉल देख ख़ुशी के मारे उछल पड़ता हैँ…. वो वीडियो कॉल उठाता हैँ… .

शुभ्रा और उमेश की  नजरें  एक दूसरे से टकराती हैँ….

आगे की कहानी कल…. आप सभी को नरक चतुर्दशी एवं छोटी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं….. राधे राधे

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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