अपनापन – किरण विश्वकर्मा : Hindi kahani

अम्मा जी यह आपके लिए…. ऋतु अपनी मकान मालकिन रुकमनि जी को साड़ी और लड्डू का डब्बा देते हुए बोली।

अरे!!! बेटा मुझे क्यों इस पर तो तेरी सास का हक है.. रुकमनि जी बोली।

हक था पर जब सुना कि बेटी हुई है तो वह मुझे अस्पताल में छोड़कर गाँव चली गई और आपने यह सब देखते हुए सारी जिम्मेदारियों को निभाया और जो अपनापन मुझे अपनों से मिलना चाहिए था वह आपसे मिला और अपना वही होता है जो मुसीबत में काम आये।

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